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प्रार्थना स्वयं मंजिल
इसी को पुण्य कहते हैं। तुम चकित होओगे। बुद्ध कहते हैं, जिसके जीवन में एकस्वरता है, वही पुण्यधर्मा है। पापी एक भीड़ है, पुण्यधर्मा एक माला है। पापी असंगत है। कहता कुछ है, करता कुछ है। सोचता कुछ है, होता कुछ है। पापी के भीतर एकस्वरता नहीं है। बोलता कुछ है, आंखें कुछ और कहती हैं, हाथ कुछ और करते हैं।
पापी एक साथ बहुत है। पुण्यात्मा एक है। योगस्थ है। जुड़ा है, इंटीग्रेटेड है। वह जो भी करता है वह सब संयोजित है। वह सभी एक दिशा में गतिमान है। उसके पैर भी उसी तरफ जा रहे हैं जिस तरफ उसकी आंखें जा रही हैं, उसके हाथ भी उसी तरफ जा रहे हैं जिस तरफ उसका हृदय जा रहा है। उसकी श्वासें भी उसी तरफ जा रही हैं, जिस तरफ उसकी धड़कनें जा रही हैं। वह इकट्ठा है। उसके जीवन में एक दिशा है, एक गति है, विक्षिप्तता नहीं है।
'जैसे फूलों से मालाएं बनती हैं, वैसे ही जन्म लेकर प्राणी को पुण्य अर्जन करना चाहिए।'
ताकि तुम्हारा जीवन एक माला बन जाए। 'फूलों की सुगंध वायु की विपरीत दिशाओं में नहीं जाती।' बड़ी मीठी बात बुद्ध कहते हैं। खूब हृदय भरकर सुनना।
'फूलों की सुगंध वायु की विपरीत दिशाओं में नहीं जाती। न चंदन की, न तगर की, न चमेली की, न बेला की।'
अगर हवा पूरब की तरफ बह रही हो, तो चंदन, कोई उपाय नहीं चंदन के पास कि अपनी सुगंध को पश्चिम की तरफ भेज दे। हवा के विपरीत नहीं जाती।
'न तगर की, न चमेली की, न चंदन की, न बेला की। लेकिन सज्जनों की सुगंध विपरीत दिशा में भी जाती है।'
सत्पुरुष सभी दिशाओं में सुगंध बहाता है। एक ही सुगंध है इस जगत में जो विपरीत दिशा में भी चली जाती है। वह है सत्पुरुष की। वह है संत-पुरुष की। वह है जाग्रत पुरुष की सुगंध।
मनुष्य भी एक फूल है। और जो कली ही रह गए, खिल न पाए, उनके दुख का अंत नहीं। कलियों से पूछो, जो खिलने में असमर्थ हो गयीं; जिनमें गंध भरी थी और लुटा न पायीं; ऐसे ही जैसे किसी स्त्री को गर्भ रह गया, और फिर बच्चे का जन्म न हो, तो उसका संताप समझो। गर्भ बड़ा होता जाए और बेटे का जन्म न हो, तो उस स्त्री की पीड़ा समझो। ऐसा ही प्रत्येक मनुष्य पीड़ा में है, क्योंकि तुम्हारे भीतर जो बड़ा हो रहा है, वह जन्म नहीं पा रहा है। तुम एक गर्भ लेकर चल रहे हो। गर्भ बड़ा होता जाता है, लेकिन तुम्हारे जन्म की दिशा खो गई है। तुम भूल ही गए हो। तुम एक कली हो, उसके भीतर गंध इकट्ठी होती जा रही है। बोझिल हो गई है, कली अपने ही बोझ से दबी जा रही है।
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