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________________ एस धम्मो सनंतनो नाम है, पहली और आखिरी मुक्ति। क्योंकि पहले कदम पर ही आखिरी घट जाती है। वही महावीर कह रहे थे कि एक कदम उठा लिया कि मंजिल आ गई। जिन्होंने भी पहला कदम उठा लिया उनकी मंजिल आ गई। अब तुम पूछते हो कि मंजिल क्या और मार्ग क्या? चाहो, दो कर लो; चाहो, एक कर लो; असलियत तो यही है कि मार्ग ही मंजिल है। क्योंकि एक कदम उठाते ही पहुंचना हो जाता है। तुम अगर नहीं पहुंचे, तो यह मत सोचना कि हमने कदम तो बहुत उठाए, चूंकि मंजिल दूर है इसलिए नहीं पहुंच पा रहे। तुमने पहला कदम ही नहीं उठाया। इसलिए अटके हो। मगर अहंकार को बड़ी पीड़ा होती है यह मानने में कि मैंने पहला कदम नहीं उठाया? यह बात ही गलत लगती है। कदम तो हमने बहुत उठाए, मार्ग लंबा है, . मंजिल दूर है, इसलिए नहीं पहुंच रहे हैं। अहंकार को उसमें सुविधा है कि मंजिल दूर है इसलिए नहीं पहुंच रहे हैं। ____ मैं तुमसे कहता हूं, तुमने पहला कदम ही नहीं उठाया। अन्यथा तुम्हें कोई रोक सकता है ? जिसने उठाया पहला कदम, वह पहुंच गया। पहले कदम पर ही पहुंचना हो जाता है। तुम उठाओभर कदम और मंजिल आ जाती है। लेकिन बैठे-बैठे हिसाब मत करो। काफी हिसाब कर लिए हो। तथाता मार्ग भी है, मंजिल भी। तथाता का अर्थ क्या होता है? तथाता का अर्थ है, सर्व स्वीकार का भाव। अहंकार संघर्ष है। अहंकार कहता है, ऐसा होना चाहिए, ऐसा नहीं होना चाहिए। अहंकार कहता है, यह रहा ठीक, वह रहा गलत। अहंकार चुनाव करता है, भेद करता है, बांटता है, खंड-खंड करता है। तथाता का अर्थ है, सर्व स्वीकार, टोटल एक्सेप्टेन्स। जैसा है, जो है, राजी हैं। अहंकार है परिपूर्ण विरोध। तथाता है परिपूर्ण स्वीकार। अहंकार है प्रतिरोध, रेसिस्टेन्स। तथाता है राजी होना। अहंकार है नहीं, तथाता है हां। अस्तित्व जो कहे, हां। तब तो पहले ही कदम पर मंजिल हो जाएगी। ऐसी घड़ी में तो क्रांति घट जाती है, रूपांतरण हो जाता है। फिर बचा क्या पाने को, जब तुमने सब स्वीकार कर लिया? लड़ाई कहां रही? फिर तुम तैरते नहीं, अस्तित्व की धारा तुम्हें ले चलती है सागर की तरफ। रामकृष्ण ने कहा है, दो ढंग हैं यात्रा करने के। एक है पतवार लेकर नाव चलाना। वह अहंकार का ढंग है। बड़ा थकाता है, और ज्यादा दूर पहुंचाता भी नहीं। दूसरा रास्ता है पतवार छोड़ो, पाल खोलो, हवाएं ले जाएंगी। तुम हवाओं के सहारे चल पड़ो। एहसान नाखुदा का उठाए मेरी बला । कश्ती खुदा पर छोड़ दूं लंगर को तोड़ दूं कौन चिंता करे मांझी की? 96
SR No.002379
Book TitleDhammapada 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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