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________________ अनंत छिपा है क्षण में यह कहना कि जो चलता है वह पहुंच गया। महावीर कहते थे, अगर तुमने दरी बिछाने के लिए खोली-खोलना शुरू की कि खुल गई। अब यह बात तो बड़ी गहरी थी। मगर बुद्ध बुद्धिमानों के हाथ में पड़ जाए तो बड़ा खतरा। उसने कहा, इसका तो मैं प्रमाण दे सकता हूं कि यह बात बिलकुल गलत है। वह एक दरी ले आया लपेटकर। उसने कहा कि यह लो, हम खोल दिए-जरा सी खोल दी और फिर रुक गया। और महावीर कहते हैं, खोली कि खुल गई। कहां खुली? उससे पांच सौ आदमियों को भड़का लिया, महावीर के शिष्यों को।। कभी-कभी पंडित भी ज्ञानियों के शिष्यों को भड़का लेते हैं, क्योंकि पंडित की बात ज्यादा तर्कपूर्ण होती है। वह ज्यादा बद्धि को जंचती है। बात तो जंचेगी। यह क्या बात है? खोलने से कहीं खुलती है, बीच में भी रुक सकती है। चलने से कहीं कोई पहुंचता है, बीच में भी तो रुक सकता है। ___ महावीर करुणा के आंसू गिराए होंगे, लेकिन क्या कर सकते थे? सिद्ध तो वे भी नहीं कर सकते थे यह। करुणा के आंसू गिराए होंगे, क्योंकि उन्हें पता है कि जो एक कदम भी सत्य की तरफ चल पड़ा, वह कभी नहीं रुकता है—मगर अब इसको समझाएं कैसे-क्योंकि सत्य का आकर्षण ऐसा है। तुम जो नहीं चले हो उनको खींच रहा है। जो चल पड़ा वह फिर कभी नहीं रुकता है। नहीं जो चले हैं वे भी खिंचे जा रहे हैं, तो जो चल पड़ा है वह कहीं रुकने वाला है? जिसने जरा सा भी स्वाद ले लिया सत्य का फिर सब स्वाद व्यर्थ हो जाते हैं। जो सत्य की तरफ जरा सा झुक गया, सत्य की ऊर्जा, सत्य का आकर्षण चुंबक की तरह खींच लेता है। यह तो ऐसे ही है जैसे कि हमने छत से एक पत्थर छोड़ दिया जमीन की तरफ। महावीर यह कह रहे हैं कि पत्थर छोड़ दिया कि पहुंच गया। अगर मैं होता तो महावीर के दामाद को ले गया होता छत पर। दरी न खुलवाई होती, क्योंकि दरी की बात मैं न करता—वह मैं भी समझता हूं कि वह झंझट हो जाएगी दरी में तो। एक पत्थर छोड़ देता और कहता, छूट गया—पहुंच गया। क्योंकि बीच में रुकेंगा कैसे? गुरुत्वाकर्षण है। हां, जब तक छत पर ही रखा हुआ है तब तक गुरुत्वाकर्षण कुछ भी नहीं कर सकता। जरा डगा दो। इसलिए मैं कहता हूं, सत्य ऐसा है जैसे छत से कोई छलांग लगा ले। तुम एक कदम उठाओ, बाकी फिर अपने से हो जाएंगे। तुम्हें दूसरा कदम उठाना ही न पड़ेगा। क्योंकि जमीन का गुरुत्वाकर्षण कर लेगा शेष काम। ___ महावीर ठीक कहते थे। लेकिन महावीर कोई तार्किक नहीं हैं। महावीर हार गए, ऐसा लगता है। रोए होंगे करुणा से कि यह पागल खुद भी पागल है और यह पांच सौ और पागलों को अपने साथ लिए जा रहा है। ___ महावीर जानते हैं कि जो एक कदम चल गया वह मंजिल पर पहुंच गया। कृष्णमूर्ति ने पहली किताब लिखी है—द फॅर्स्ट एंड लास्ट फ्रीडम, उस किताब का 95
SR No.002379
Book TitleDhammapada 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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