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एस धम्मो सनंतनो
जाओ। प्रेम जन्म के साथ थोड़े ही मिलता है। अर्जन है। उपलब्धि है। साधना है। सिद्धि है। ___ यही तो परेशानी है। सारी दुनिया में हर आदमी यही सोच रहा है कि जन्म के साथ ही हम प्रेम करने की योग्यता लेकर आए हैं। धन कमाने की तुम थोड़ी बहुत कोशिश भी करते हो, लेकिन प्रेम कमाने की तो कोई भी कोशिश नहीं करता। क्योंकि हर एक माने बैठा है कि प्रेम तो है ही। बस प्रेमी मिल जाए, काम शुरू। जिसको तुम प्रेमी कहते हो, उसे भी प्रेम का कोई पता नहीं है। दूर की ध्वनि भी नहीं सुनी है। न तुम्हें पता है।
जिसको तुम प्रेम समझ रहे हो वह सिर्फ मन की वासना है। जिसको तुम प्रेम समझ रहे हो-दूसरे के साथ होने का आनंद-वह केवल अपने साथ तुम्हें कोई आनंद नहीं मिलतों, अपने साथ तुम परेशान हो जाते हो, अपने साथ ऊब और बोरियत पैदा होती है, दूसरे के साथ थोड़ी देर को अपने को भूल जाते हो, उसी को तुम दूसरे के साथ मिला आनंद कह रहे हो। दूसरे के साथ तुम्हारा जो होना है, वह अपने साथ न होने का उपाय है। वह एक नशा है, इससे ज्यादा नहीं। उतनी देर को तुम अपने को भूल जाते हो, दूसरा भी अपने को भूल जाता है। यह आत्म-विस्मरण है, आनंद नहीं। मूर्छा है, अहोभाव इत्यादि कुछ भी नहीं है। मेरी बातें सुन-सुनकर तुम्हें अच्छे-अच्छे शब्द कंठस्थ हो जाएंगे। इनको तुम हर कहीं मत लगाने लगना।
'कल आपने कहा कि कोई दूसरा कभी किसी को खुश नहीं कर सकता।' .
निश्चित मैंने कहा है। और कोई कभी नहीं कर सका है। लेकिन किसी भी युवा को समझाना मुश्किल है। क्योंकि जो युवक समझता है, वह तो समय के पहले प्रौढ़ हो गया। कभी कोई शंकराचार्य, कभी कोई बुद्ध समय के पहले समझ पाते हैं। अधिक लोग तो समय भी बीत जाता है—जवानी भी बीत जाती है, बुढ़ापा भी बीतने लगता है, मौत द्वार पर आ जाती है तब तक भी नहीं समझ पाते।
समझ का कोई संबंध तुम्हारे जीवन की होश की तीव्रता से है। अभी जिसको तुम सोचते हो कि प्रेमी के साथ प्रेम में डूब जाने में अभी तुम अपने में नहीं डूबे, दूसरे में कैसे डूबोगे! जो अपने में नहीं डूब सका, वह दूसरे में कैसे डूब सकेगा! अभी तुम अपने भीतर ही जाना नहीं जानते, दूसरे के भीतर क्या खाक जाओगे। बातचीत है। अच्छे-अच्छे शब्द हैं। सभी जवान अच्छे-अच्छे शब्दों में अपने को झुठलाते हैं, भुलाते हैं। जवानी में अगर किसी से कहो कि यह प्रेम वगैरह कुछ भी नहीं है, तो न तो यह सुनाई पड़ती है बात-सुनाई भी पड़ जाए तो समझ में नहीं आती—क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को एक भ्रांति है कि दूसरे को न हुआ होगा, लेकिन मुझे तो होगा, हो रहा है। ____ अभी यात्रा का पहला ही कदम है। जरा बात पूरी हो जाने दो। जरा ठहरो, जल्दी निर्णय मत करो। जिन्होंने जाना है जीवन का यह दौर, जो इससे गुजरे हैं, उनसे पूछो।
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