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अनंत छिपा है क्षण में
कहे देता हूं कि मुझे पीने की आदत है। तो मैंने कहा, यह भी कोई बात हुई! आप पी लेते, लुक-छिपकर पी लेते, इतना बड़ा बंगला है। उन्होंने कहा, यही तो मुश्किल है, कि जब भी कोई पीता है—असली पीने वाला—अकेले में नहीं पी सकता। चार-दस मित्रों को न बुलाऊं तो पी नहीं सकता। अकेले में भी क्या पीना! उन्होंने कहा, पीना कोई दुख थोड़े ही है, पीना एक उत्सव है।
वह बात मुझे याद रह गई। जब जीवन की साधारण मदिरा को भी लोग बांटकर पीते हैं, तो जब तुम्हारी प्याली में परमात्मा भर जाए, और तुम न बांटो! जब शराबी भी इतना जानते हैं कि अकेले पीने में कोई मजा नहीं, जब तक चार संगी-साथी न हों तो पीना क्या! जब शराबी भी इतने होशपूर्ण हैं कि चार को बांटकर पीते हैं, तो होश वालों का क्या कहना! ___ बांटो। शक्ति का आविर्भाव हुआ है, लुटाओ। और यह भी मत पूछो किसको दे रहे हो, क्योंकि यह भी कंजूसों की भाषा है। पात्र की चिंता वही करता है जो कंजूस है। वह पूछता है, किसको देना? पात्र है कि नहीं? दो पैसा देता है, तो सोचता है कि यह आदमी दो पैसे का क्या करेगा? यह भी कोई देना हुआ, अगर हिसाब पहले रखा कि यह क्या करेगा? यह तो देना न हुआ, यह तो इंतजाम पहले ही न देने का कर लिया। यह तो तुमने इस आदमी को न दिया, सोच-विचारकर दिया।
.मेरे एक मित्र थे, बड़े हिंदी के साहित्यकार थे। हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष थे। और भारतीय संसद के सबसे पुराने सदस्य थे-पचास साल तक वे एम.पी. रहे। उनका जुगलकिशोर बिड़ला से बहुत निकट संबंध था। मेरे काम में उन्हें रस था। वे कहने लगे कि मेरा संबंध है बिड़ला से, अगर वे उत्सुक हो जाएं आपके काम में तो बड़ी सहायता मिल सकती है। तो हम दोनों को मिलाया।
बिड़ला मुझसे बातचीत किए। उत्सुक हुए। कहने लगे, जितना आपको चाहिए मैं दूंगा। और जिस समय चाहिए, तब दूंगा। सिर्फ एक बात मुझे पक्की हो जानी चाहिए कि जो मैं दूंगा, उसका उपयोग क्या होगा? मैंने कहा, बात ही खतम करो। यह अपने से न बनेमा, यह सौदा नहीं हो सकता। अगर यही पूछना है कि आप जो देंगे उसका मैं क्या करूंगा, अपने पास रखो। यह कोई देना हुआ? अगर बेशर्त देते हो, कि मैं तुम्हारे सामने ही यहां सड़क पर लुटाकर चला जाऊं, तो तुम मुझसे पूछ न सकोगे कि यह क्या किया? क्योंकि देने के बाद अगर तुम पूछ सको, तो तुमने दिया ही नहीं। और देने के पहले ही अगर तुम पूछने का इंतजाम कर लो, और पहले ही शर्त बांध लो, तो तुम किसी और को देना। यह शर्तबंद बात मुझसे न बनेगी। ___ वह बात टूट गई। आगे चलने का कोई उपाय न रहा। लोग देते भी हैं-अब बिड़ला जैसा धनपति भी हो, वह भी देता है तो शर्त रखकर देता है कि क्या काम में
आएगा? किस काम में लगाएंगे? तो वह मुझे नहीं देता, अपने ही काम को देता है। उलटे मुझे भी सेवा में संलग्न कर रहा है। यह देना न हुआ, मुझे मुफ्त में खरीद
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