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एस धम्मो सनंतनो
सम्हालकर रखेंगे? सड़ जाएंगे। और कुछ कम-बढ़ हो गया, झंझट होगी; और बाप कह गया है, तुम्हारा भविष्य! तो उसने सोचा, यही उचित होगा कि इनको बाजार में बेच दिया जाए। पैसे को सम्हालकर रखना आसान होगा। फिर जब बाप लौटेगा, फिर बाजार से खरीदकर बीज उसको लौटा देंगे। यह बात ठीक गणित की थी।
दूसरे बेटे ने सोचा कि कैसे सम्हाला जाए? बीज कहीं खो न जाएं, कुछ कमी न हो जाए, सड़ न जाएं, कुछ गड़बड़ न हो जाए। और फिर जो बीज दिए हैं, कहीं बाप उन्हीं की जिद्द न करे, तो बेचना तो उचित नहीं है। और जब उसने कहा, भविष्य इन पर निर्भर है; तो उसने एक तिजोड़ी में सब बीजों को बंद करके, ताला लगाकर चाबी सम्हालकर रख ली।
तीसरे बेटे ने बीजों को जाकर बो दिया बगीचे में। क्योंकि बीज कहीं तिजोड़ी में सम्हाले जाते हैं? और बाप ने जो अमानत दी है, वह कोई बाजार में बेचने की बात है? फिर खरीदकर भी लौटा देंगे, तो वे वही बीज तो न होंगे। और बीज तो विकासमान है। उसको सम्हालकर रखने में तो या तो वह सड़ेगा, खराब होगा। और एक बीज तो करोड़ बीज हो सकता है। जब पिता लौटेंगे, तब तक और बहुत बीज लग जाएंगे।
तीन वर्ष बाद जब पिता लौटा तो उसने बड़े बेटे को कहा। वह भागा बाजार की तरफ। उसने कहा, रुकिए, अभी लाता हूं। वह बाजार से बीज खरीद लाया, ठीक उसी मात्रा में थे। लेकिन बाप ने कहा, ये मेरे बीज नहीं हैं। जो मैंने दिए थे वे तूने कहीं गंवा दिए। ये कोई और बीज होंगे। लेकिन जो मैंने तुम्हें सम्हालने को दिए थे वे कहां हैं? ..दूसरे बेटे को कहा। उसने तिजोड़ी सामने लाकर खोल दी। वहां से सिर्फ दुर्गंध उठी। क्योंकि सब बीज सड़ गए थे। राख थी वहां अब। बाप ने कहा, मैंने तुम्हें बीज दिए थे और तुम राख लौटाते हो! तो बेटे ने कहा, ये वही बीज हैं। बाप ने कहा, ये वही नहीं हैं। दूसरे ने तो कम से कम बीज लौटाए हैं-दूसरे बीज हैं, तुम्हारे तो बीज भी नहीं हैं। यह तो राख है। मैंने तुम्हें बीज दिए थे। बीज का मतलब होता है, जो अंकुरित हो सके। क्या यह राख अंकुरित हो सकेगी? क्या इसमें फूल लग सकेंगे?
तीसरे बेटे को पूछा। बेटे ने कहा, आप मकान के पीछे आएं, क्योंकि बीज वहां हैं जहां उन्हें होना चाहिए। पीछे करोड़ों फूल खिले थे। और बेटे ने कहा, अभी जल्दी फसल आने के करीब है, हम बीज आपके लौटा देंगे। लेकिन हम उतने ही लौटाने में असमर्थ हैं जितने आपने दिए थे। करोड़ गुना हो गए। और उतने ही क्या लौटाना! क्योंकि बीज का अर्थ ही होता है, जो बढ़ रहा है, जो प्रतिपल विकासमान है। उसको उतना ही कैसे लौटाया जा सकता है? उसको उतना ही लौटाने का तो पहला उपाय है जो बड़े भाई ने किया। बेच दिया बाजार में, दूसरे खरीद लाया। और वही बीज भी मैं आपको नहीं लौटा सकता हूं, उनकी संतान लौटा सकता हूं। चूंकि वही बीज