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एस धम्मो सनंतनो उसे उठा। उसने कहा कि अदृश्य! माना कि अदृश्य हैं, उनको ही लेने आयी हूं, लेकिन पक्का इसमें हैं? और ये किसी को दिखायी भी नहीं पड़ते। उस दुकानदार ने कहा कि तू मान न मान, आज महीने भर से तो स्टॉक में ही नहीं हैं, फिर भी बिक रहे हैं। अब ये अदृश्य हेअर पिन की कोई स्टॉक में होने की जरूरत थोड़े ही है।
और महीने के पहले भी बिकते रहे, स्टॉक में होने की जरूरत कहां है? ___ यह धंधा कुछ अदृश्य का है। इसमें जरा कठिनाई है। क्योंकि तुम पकड़ नहीं सकते कि कौन बेच रहा है, कौन नहीं बेच रहा है। किसके पास है, किसके पास नहीं है। बड़ा कठिन है। यह खेल बहुत उलझा हुआ है। और इसलिए इसमें आसानी से गुरु बनकर बैठ जाना जरा भी अड़चन नहीं है। कोई और तरह की दुकान खोलो तो सामान बेचना पड़ता है। कोई और तरह का धंधा करो तो पकड़े जाने की कोई न कोई सुविधा है। कहीं न कहीं से कोई न कोई झंझट आ जाएगी। कितना ही धोखा दो, कितना ही कुशलता से दो, पकड़ जाओगे। लेकिन परमात्मा बेचो, कौन पकड़ेगा? कैसे पकड़ेगा? सदियां बीत जाती हैं बिना स्टॉक के बिकता है।
तो तुम इससे परेशान मत होओ कि बुद्ध इतने गुरुओं के पास गए और सदगुरु न मिले। यह स्वामी योग चिन्मय का प्रश्न है। चिन्मय को यही खयाल है कि ऐसे सदगुरु हर कहीं बैठे हैं। जहां गए वहीं सदगुरु मिल जाएंगे। बहुत कठिन है। सौभाग्य है कि कभी कोई सदगुरु के पास पहुंच जाए। कैसे पहचानोगे? एक ही उपाय है पहचानने का, और वह यह है कि जो गुरु कहता हो-वह सदगुरु है या नहीं, इसकी फिक्र छोड़ो-जो वह कहता हो उसे करना। अगर सदगुरु है, तो जो उसने कहा है उसे करने से तुम्हारे भीतर कुछ होना शुरू हो जाएगा। अगर सदगुरु नहीं है, तो उसके भीतर ही नहीं हुआ है, तुम्हारे भीतर कैसे हो जाएगा?
लेकिन सदगुरु तो कभी-कभी होते हैं। पर सदगुरु की तलाश तो सदा होती है। इसलिए झूठों को बैठने का अवसर मिल जाता है। और चूंकि तुम कभी करते ही नहीं कुछ, तुम सिर्फ सुनते हो, इसलिए तुम्हें धोखा दिया जा सकता है। तुम कुछ करोगे, तो ही तुम्हें धोखा नहीं दिया जा सकता। मेरी ऐसी समझ है कि चूंकि तुम धोखा देना चाहते हो, इसलिए तुम्हें धोखा दिया जा सकता है। तुम कुछ करना तो चाहते नहीं। तुम चाहते हो कि कोई कृपा से हो जाए किसी की।
मेरे पास लोग आते हैं, वे कहते हैं कि जब आपके पास आ गए तो अब क्या ध्यान करना? आपकी कृपा से! वे मुझ ही को धोखा दे रहे हैं। वे मुझ ही को तरकीब बता रहे हैं, कि अब आपके पास आ गए तो अब क्या ध्यान करना? यह
और करें, हम तो श्रद्धा करते हैं। इतनी भी श्रद्धा नहीं है कि मैं जो कहं वह करें, और श्रद्धा करते हैं। क्योंकि मुझ पर तुम्हारी श्रद्धा और कैसे प्रकट होगी? जो मैं कहता हूं, वह करो। ___तो तुम करते नहीं हो, इसलिए झूठे गुरु भी चलते जाते हैं। तुम करो, तो तुम्हारा
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