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अस्तित्व की विरलतम घटना : सदगुरु सिगरेट पीए, इसको बिजली का शॉक दो। शॉक इतना तेजी से लगे कि सिगरेट के पीने में जो रस आता है, उससे ज्यादा पीड़ा शॉक की हो। रस कुछ आता भी नहीं। सिर्फ धुआं बाहर-भीतर लाने ले जाने में रस आ भी कैसे सकता है! भ्रांति है। असली बिजली का शॉक भ्रांति को तोड़ देगा। और ऐसा रोज करते रहो; एक-दो सप्ताह तक। और तब यह आदमी हाथ में सिगरेट उठाएगा और हाथ कंपने लगेगा। क्योंकि जैसे ही सिगरेट की याद आएगी, भीतर याद शॉक की भी आएगी। कंडीशनिंग हो गयी। अब इसकी सिगरेट हाथ से छूट जाएगी। समझाने की जरूरत नहीं है कि सिगरेट बुरी है। कितने दिन से समझा रहे हैं लोग! कोई नहीं सुनता।
लेकिन पावलफ ने जो कहा, यह बहुत भिन्न नहीं है। यही तो पुराने धर्मगुरु करते रहे। बचपन से ही समझाया जाए कि नर्क में कड़ाहा जल रहा है-मंदिरों में चित्र लटकाए जाएं, लपटों का विवरण किया जाए-कड़ाहों में फेंककर जलाए जाओगे, सड़ाए जाओगे, कीड़े-मकोड़े छेद करेंगे तुम्हारे शरीर में और भागेंगे, दौड़ लगाएंगे, और मरोगे भी नहीं। सामने पानी होगा, कंठ प्यास से भरा होगा, पी न सकोगे। और अनंतकालीन यातना झेलनी पड़ेगी। और पाप क्या हैं तुम्हारे? छोटे-मोटे, कि सिगरेट अगर पी। सिगरेट पीने के लिए इतना भारी उपाय! घबड़ा जाए आदमी!
छोटे बचपन से अगर यह बात मन पर डाली जाए तो स्वभावतः भय पकड़ लेगा। यह सिगरेट न पीएगा। लेकिन यह कोई चरित्र हुआ? तुमने चरित्र तो इसका नष्ट कर दिया सदा के लिए। चरित्र तो बल पर खड़ा होता है। चरित्र तो समझ पर खड़ा होता है। तुमने भय का जहर भर दिया। तुमने तो इसको मार डाला। अब यह जीएगा कभी भी नहीं।
और इसी तरह स्वर्ग का प्रलोभन दिया हुआ है। वहां बड़े सुख। तुम कर रहे हो दो कौड़ी के काम, लेकिन बड़े सुख की आशा कर रहे हो। एक भिखमंगे को एक पैसा दे आए, अब तुम हिसाब लगा रहे हो कि स्वर्ग जाओगे। कि कहीं धर्मशाला बनवा दी, कि कहीं मंदिर बनवा दिया, अब तुम सोच रहे हो कि बस भगवान पर तुमने बहुत एहसान किया; अब तुम स्वर्ग जाने वाले हो। ' ____ मैंने सुना है कि एक धर्मगुरु स्वर्ग जाने की टिकटें बेचता था—सभी धर्मगुरु बेचते हैं। स्वभावतः, कुछ अमीर खरीदते तो प्रथम श्रेणी की देता। गरीब खरीदते, द्वितीय श्रेणी के। तृतीय श्रेणी भी थी, और जनता-चौथी श्रेणी भी थी। सभी लोगों के लिए इंतजाम स्वर्ग में होना भी चाहिए। तरह-तरह के लोग हैं, तरह-तरह की सुविधाएं होनी चाहिए। काफी धन उसने इकट्ठा कर लिया था लोगों को डरा-डराकर नर्क के भय से। लोग खाना न खाते, पैसा इकट्ठा करते कि टिकट खरीदनी है। ___यही कर रहे हैं लोग। खाना नहीं खाते, मैं देखता हूं, तीर्थयात्रा को जाते हैं। कपड़ा नहीं पहनते, मंदिर में दान दे आते हैं। खुद भूखों मरते हैं, ब्राह्मण को भोजन कराते हैं। सदियों से डरवाया है ब्राह्मण ने कि हम ब्रह्म के सगे-रिश्तेदार हैं।