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एस धम्मो सनंतनो
बस में है, लेना मेरे बस में है। उस मालकियत को मुझसे कोई कभी नहीं छीन सकता। मैं कह सकता हूं कि नहीं लेता, फिर तुम क्या करोगे? तुम्हारी गाली तुम्ही पर लौट जाएगी। तुमने गाली देने के लिए जो तैयारी में दुख भोगा, वह भोगा; अब गाली लौटेगी तब तुम जो दुख भोगोगे, वह भोगोगे।
जब हम किसी चीज को अपने मन के भीतर ले लेते हैं, तभी वह सक्रिय हो जाती है। और दूसरे से लेने की कोई जरूरत नहीं है; तुम अपने भीतर ही इतने दुख के बीज पैदा करते रहते हो। अकारण! ____ मैं कलकत्ते में एक मित्र के घर मेहमान होता था। उनके पास सबसे बढ़िया कोठी है कलकत्ते में। थी कहना चाहिए, अब नहीं है। अब एक दूसरी कोठी खड़ी हो गयी, पड़ोस में ही खड़ी हो गयी। जब मैं उनके घर मेहमान होता था, तो वे हमेशा अपने मकान में मुझे ले जाते। कई बार दिखा चुके थे, मगर फिर-फिर दिखाते। उनका रस खतम नहीं होता था। स्विमिंग-पूल, बगीचा-सब दिखाते। उनकी आदत थी, यह मानकर मैं जब भी वे दिखाते फिर इस तरह उत्सुकता लेता जैसे कभी नहीं देखा है। मगर आखिरी बार जब उनके घर गया, तो उन्होंने मकान.न दिखाया। मैं थोड़ा हैरान हुआ, क्या यह आदमी बदल गया! मैंने पूछा कि क्या मामला है, मकान नहीं दिखलाइएगा? कहने लगे, क्या खाक दिखलाएं!
क्या हुआ?
देखते नहीं कि बगल में एक बड़ा मकान खड़ा हो गया? जब तक इससे बड़ी कोठी न कर लूं तब तक अब चैन नहीं! अब क्या दिखाना है! .
इनका मकान वैसे का वैसा ही है, क्योंकि बगल के मकान ने इनके मकान में कुछ फर्क नहीं किया है। इनका मकान ठीक उतना ही सुंदर है जैसा था। लेकिन बगल में एक मकान खड़ा हो गया! बड़ी लकीर किसी ने खींच दी, इनकी लकीर छोटी हो गयी, बिना छुए। किसी ने छुआ नहीं, हाथ नहीं लगाया; मगर बगल में एक लकीर खड़ी हो गयी। __ उनकी पत्नी ने मुझसे कहा कि कुछ समझाइए इनको; न सोते हैं, न चैन! इनकी छाती पर बोझ हो गया है वह बगल का मकान। बगल के मकान वाले को शायद पता भी न हो कि कोई जला-भुंजा जा रहा है, कि कोई मरा जा रहा है। मगर इस आदमी ने अपने भीतर एक बीज बो लिया। यह उस मकान से नहीं आया है, क्योंकि इसकी पत्नी को कोई तकलीफ नहीं है। इसकी पत्नी भी वहीं है, उसे कोई तकलीफ नहीं है। मकान से नहीं आया है। इसके अपने भीतर के मन का रोग है। एक ईर्ष्या जगी है। अहंकार को चोट लगी है। ___ मैंने उनसे कहा कि मैं सदा जानता था, कभी न कभी यह झंझट होगी। आप अपने मन में अपने मकान का इतना रस लेते हैं कि कोई भी मकान अगर खड़ा हो गया, तो आप जी न सकोगे। क्योंकि सदा आपको देखकर मुझे ऐसा लगा है, यह