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आत्मक्रांति का प्रथम सूत्र : अवैर
आयी थी, न कुछ!
एक गांव में उपद्रव हो गया। एक असली शिष्य मिल गया। उसने कहा, अच्छा, तुम्हें पता है! पक्का पता है? बिलकुल पक्का पता है। क्योंकि अभी तक कोई झंझट आयी नहीं थी। उसने कहा, अच्छा, मैं चलता हूं। कितने दिन लगेंगे पहुंचने में? तब जरा गुरु घबड़ाया कि यह जरा उपद्रवी मालूम पड़ता है। पैर छुओ, बात ठीक है। साथ चलने की बात! मगर अब सबके सामने मना भी नहीं कर सका। उसने कहा, देखेंगे, भटकाएंगे साल दो साल, भाग जाएगा अपने आप। छह साल बीत गए। वह उनके पीछे ही पड़ा है। वह कहता है कि कब आएगा? अभी तक आया नहीं। एक दिन उस गुरु ने कहा, तेरे हाथ जोड़ता हूँ, भैया! तू जब तक न मिला था हमको भी पता था; अब तेरे कारण हमारा भी...! असली शिष्य मिल जाए, तो फिर गुरु अपने आप...।।
दुनिया में नकली गुरु हैं, क्योंकि नकली शिष्यों की बड़ी संख्या है। नकली गुरु तो बाइप्राडक्ट हैं। वे सीधे पैदा नहीं होते। नकली शिष्य उन्हें पैदा कर लेता है।
बुद्ध सभी गुरुओं के पास गए। गुरु घबड़ा गए। क्योंकि यह व्यक्ति निश्चित प्रामाणिक था। जो उन्होंने कहा, वह इसने इतनी पूर्णता से किया कि उनको भी दया आने लगी, कि यह तो हमने भी नहीं किया है! कोई करता ही नहीं था, तब तक बात ठीक थी। इस पर दया आने लगी। इससे यह भी न कह सकते थे कि तुमने पूरा नहीं किया, इसलिए उपलब्ध नहीं हो रहा है। इसने पूरा-पूरा किया। उसमें तो रत्ती भर कमी नहीं रखी। गुरुओं ने हाथ जोड़कर कहा कि बस, हम यहां तक तुम्हें बता सकते थे, इसके आगे हमें खुद भी पता नहीं है।।
सारे गुरुओं को बुद्ध ने चुका डाला। एक गुरु साबित न हुआ। तब सिवाय इसके कोई रास्ता न रहा कि खुद खोजें। और इसीलिए बुद्ध की बातों में बड़ी ताजगी है, क्योंकि उन्होंने खुद खोजा। किसी गुरु से नहीं पाया था। किसी से सुनकर नहीं दोहराया था। फिर खुद खोज पर निकले-नितांत अकेले, बिना किसी सहारे के। शास्त्र धोखा दे गए, गुरु धोखा दे गए, सब पीछे हट गए, अकेली रह गया खोजी।
ऐसा ही होता है। जब तुम्हारी खोज असली होगी, तुम पाओगे शास्त्र काम नहीं देते। शास्त्र तभी तक काम देते हैं जब तक तुम उनका भजन-पाठ करते हो। बस तभी तक। अगर तुमने यात्रा शुरू की, तुम तत्क्षण पाओगे शास्त्र में हजार गलतियां हैं। होनी ही चाहिए। क्योंकि हजारों साल तक हजारों लोग उसे दोहराते रहे हैं, बनाते रहे हैं। उसमें बहुत कुछ छूट गया है, बहुत कुछ जुड़ गया है। लेकिन यह तो पता तुम्हें तभी चलेगा जब तुम यात्रा करोगे। ___ एक तुम नक्शा लिए घर में बैठे हो, उसकी तुम पूजा करते हो तो कैसे पता चलेगा? यात्रा पर निकलो तब तुम्हें पता चलेगा-अरे, इस नक्शे में नदी बतायी है, यहां कोई नदी नहीं है! इस नक्शे में पहाड़ बताया है, यहां कोई पहाड़ नहीं है!
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