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________________ देखा तो हर मुकाम तेरी रहगुजर में है कितनी ही हो, भ्रांत थी। नागार्जुन ने कहा, ठहर। एक छोटा सा प्रयोग कर। फिर, अभी इतनी जल्दी नहीं है मरने-मारने की। यह भाषा ही नासमझी की है। यहां मरना-मारना कैसा? तू एक तीन दिन छोटा सा प्रयोग कर, फिर देखेंगे। और उससे कहा कि तू चला जा सामने की गुफा में, अंदर बैठ जा, और एक ही बात पर चित्त को एकाग्र कर कि तू एक भैंस हो गया है। भैंस सामने खड़ी थी, इसलिए नागार्जुन को खयाल आ गया कि 'तू एक भैंस हो गया है।' यह सामने भैंस खड़ी है। उस युवक ने कहा जरा चिंतित होकर कि इससे मुक्ति का क्या संबंध? नागार्जुन ने कहा, वह हम तीन दिन बाद सोचेंगे। बस तू तीन दिन बिना खाए-पीए, बिना सोए, एक ही बात सोचता रह कि तू भैंस हो गया है। तीन दिन बाद मैं हाजिर हो जाऊंगा तेरे पास। अगर तु इसमें सफल हो गया, तो मुक्ति बिलकुल आसान है। फिर मरने की कोई जरूरत नहीं। उस युवक ने सब दांव पर लगा दिया। वह तीन दिन न भोजन किया, न सोया। तीन दिन अहर्निश उसने एक ही बात सोची कि मैं भैंस हूं। अब तीन दिन अगर कोई सोचता रहे भैंस है-वह भैंस हो गया! हो गया, नहीं कि हो गया; उसे प्रतीत होने लगा कि हो गया। एक प्रतीति पैदा हुई। एक भ्रमजाल खड़ा हुआ। जब तीसरे दिन सुबह उसने आंख खोलकर देखा तो वह घबड़ाया-वह भैंस हो गया था! और भी घबड़ाया, क्योंकि अब बाहर कैसे निकलेगा! गुफा का द्वार छोटा था। आए तब तो आदमी थे; अब भैंस थे, उसके बड़े सींग थे। उसने कोशिश भी की तो सींग अटक गए। चिल्लाना चाहा तो आवाज तो न निकली, भैंस का स्वर निकला। जब स्वर निकला तो नागार्जुन भागा हुआ पहुंचा। देखा, युवक है। कहीं कोई सींग नहीं हैं। मगर सींग अटक रहे हैं। कहीं कोई सींग नहीं हैं। वह आदमी जैसा आदमी है। जैसा आया था वैसा ही है। लेकिन तीन दिन का आत्मसम्मोहन, तीन दिन का सतत सुझाव! तीन बार भी सुझाव दो तो परिणाम हो जाते हैं, तीन दिन में तो करोड़ों बार उसने सुझाव दिए होंगे। फिर बिना खाए, बिना सोए! ... जब तुम तीन दिन तक नहीं सोते तो तुम्हारी सपना देखने की शक्ति इकट्ठी हो जाती है। तीन दिन तक सपना ही नहीं देखा! जैसे भूख इकट्ठी होती है तीन दिन तक खाना न खाने से, ऐसा तीन दिन तक सपना न देखने से सपना देखने की शक्ति इकट्ठी हो जाती है। वह तीन दिन की सपना देखने की शक्ति, तीन दिन की भूख...! भूख में भी जितना शरीर कमजोर हो जाता है, उतना मन मजबूत हो जाता है। भूख से शरीर तो कमजोर होता है, मन मजबूत होता है। इसलिए तो बहुत से धर्म उपवास करने लगे और बहुत से धर्मों ने रात्रि-जागरण किया। अगर रातभर जागते रहो तो परमात्मा जल्दी दिखायी पड़ता है। सपना इकट्ठा हो जाता है। अभी इस पर तो वैज्ञानिक शोध भी हुई है। और वैज्ञानिक भी इस बात पर राजी हो गए हैं कि अगर तुम बहुत दिन तक सपना न देखो तो हैलूसिनेशन्स पैदा होने 227
SR No.002378
Book TitleDhammapada 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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