SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 198
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रेम है महामृत्यु परमात्मा से हम दूर हो गए हैं, टूट गए हैं, पास आना है; दूर चले गए हैं घर से, लौटना है। घृणा, विरोध, त्याग, निषेध-इनसे तुम कैसे पहुंच पाओगे? और इनसे तुम अगर पहुंच भी गए तो तुम इनसे ही भरे रहोगे, तुम परमात्मा को भी पहचान न पाओगे। अगर तुम आज जैसे हो, ऐसे ही परमात्मा के सामने पहुंच जाओ, तुम पहचान न पाओगे। पहचानोगे तो तुम्ही? तुमने जो भी जाना है, उसमें कहीं भी तो परमात्मा की झलक तुम्हें मिली नहीं, परमात्मा का कोई परिचय नहीं। इसलिए मैं तुमसे कहता हूं, प्रेम परमात्मा से पहला परिचय है। तुम जिसके भी प्रेम में पड़ जाओगे उसी में तुम्हें परमात्मा की थोड़ी सी झलक मिलनी शरू हो जाएगी। जहां तुम्हें प्रेम किसी के प्रति हुआ, वहीं तुम्हें रूपांतरण दिखायी पड़ेगा। अब जिस व्यक्ति के प्रति तुम्हारा प्रेम हो गया है, वह साधारण नहीं रह गया, असाधारण हो गया। तुम्हारा प्रेम उसके भीतर कहीं न कहीं परमात्मा को खोजने लगेगा। प्रेम परमात्मा को खोज ही लेता है, क्योंकि बिना परमात्मा के प्रेम हो ही नहीं सकता। तुम्हें उस व्यक्ति की बुराइयां दिखायी पड़नी बंद हो जाती हैं, जिसको तम प्रेम करते हो। और जिसे तुम घृणा करते हो, उसकी सिर्फ बुराइयां दिखायी पड़ती हैं। जिसको तुम घृणा करते हो, उसमें शैतान दिखायी पड़ने ही लगेगा। और जिसको तुम प्रेम करते हो उसमें परमात्मा दिखायी पड़ने ही लगेगा। उसकी भलाई ही भलाई दिखती है। वह बुरा भी करे तो भी भला मालूम होता है। उसमें सुगंध ही सुगंध मालूम पड़ती है। मंदिर बनना शुरू हो गया। यही तो पहचान होगी। यहीं से परिचय बनेगा। यह परिचय अगर पास में रहा, तो किसी दिन तुम परमात्मा के सामने खड़े होओगे तो पहचान पाओगे। अगर यह परिचय तुम्हारे पास नहीं है, जैसा कि तुम्हारे तथाकथित त्यागियों के पास नहीं है, इनके सामने भी परमात्मा खड़ा रहे तो इन्हें शैतान ही दिखायी पड़ेगा। ___राबिया एक सूफी फकीर औरत हुई। कुरान में एक वचन है कि शैतान को घृणा करो, उसने काट दिया। अब कुरान में कोई संशोधन करना बड़ा खतरनाक मामला है। और कोई दूसरा बरदाश्त भी कर ले, मुसलमान बरदाश्त भी नहीं कर सकते। अगर कोई वेद में सुधार कर दे तो हिंदू बहुत फिक्र न करेंगे। अगर कोई गीता में भी दो-चार पंक्तियां इधर-उधर कर दे तो कहेंगे, उसकी मौज है, क्या करना! लेकिन मुसलमान बरदाश्त न करेंगे। ___ एक दूसरा फकीर राबिया के घर मेहमान था। उसने सुबह ही कुरान उठाकर पढ़ी, देखा कि लकीरें कटी हुई हैं। कुरान में, और तरमीम, सुधार! वह घबड़ा गया। उसने कहा, यह किसने पाप किया? यह तो आखिरी वचन है परमात्मा का, इसके आगे अब कोई सुधार नहीं हो सकता। जो कहना था वह कह दिया गया है। जो नहीं कहना था वह नहीं कहा गया है। आखिरी! मोहम्मद के बाद अब कोई पैगंबर होने को नहीं है। यह किसने नासमझी की है? वह बड़ा क्रोधित हो गया। करेंगे। 185
SR No.002378
Book TitleDhammapada 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy