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एस धम्मो सनंतनो
है जैसे कोई अंधेरे को धक्का दे-देकर बाहर निकाल रहा हो। प्रेम तो विधायक है, दीया जलाने जैसा है। __तुम धर्मगुरुओं से राजी हो गए, क्योंकि तुम्हें भी लगा कि यही आसान है। लेकिन तुम अपने त्यागियों को, अपने तपस्वियों को गौर से देखो, जरा उनकी आंखों में झांको, उनके आसपास की हवा को परखो-तुम पाओगे उन्होंने छोड़ तो दिया है कुछ, यह बात पक्की है लेकिन पाया कुछ भी नहीं। सिर्फ छोड़ने से ही थोड़े ही मिलने का कोई सबूत मिलता है। जाओ, अपने संन्यासियों के अंतर्तमं में झांको, वहां तुम्हें सूना घर मिलेगा। तुमसे भी ज्यादा सूना। क्योंकि तुम्हारे घर में कम से कम अंधेरा तो है; तुम्हारे घर में कम से कम कूड़ा-कर्कट, कीचड़ तो है-वह भी उन्होंने फेंक दी। कमल तो खिला नहीं; क्योंकि कीचड़ को फेंककर कहीं कोई कमल खिला है!
काम ही राम बनता है। संभोग की ही यात्रा विपरीत हो जाती है तो समाधि बन जाती है। वह जो नीचे की तरफ जा रहा है वह काम है। वही ऊर्जा जब ऊपर की तरफ जाने लगती है तो राम हो जाती है। पर राम और काम एक ही ऊर्जा की दो भिन्न दिशाएं हैं। जिसने काम को काट डाला, उसने राम की संभावना मिटा दी।
प्रेम पर भरोसा करो। भरोसे पर प्रेम करो। और जल्दी मत करना छोड़ने की। छोड़ने की भी क्या जल्दी है! जब मिल जाएगा, छोड़ देंगे। मैं तुमसे कहता हूं पाने की फिकर करो। सारी दृष्टि खोज में लगाओ।
आशिकी से मिलेगा ऐ जाहिद
बंदगी से खुदा नहीं मिलता गहन प्रेम से, आशिकी से। तुम्हारी बंदगी झूठी है, अगर उसमें गहन प्रेम नहीं है। तुम कितना ही झुको, कितनी ही इबादत और प्रार्थना करो, कितने ही मंदिरों की घंटियां बजाओ और पूजा के थाल सजाओ—यह बंदगी झूठी है, जब तक इसके भीतर आशिकी का स्वर न बजता हो, जब तक परमात्मा तुम्हारा प्रेमी न हो जाए, तुम्हारी प्रेयसी न हो जाए, जब तक ऐसा आत्मीय निकट का संबंध न हो जाए।
लेकिन, चूंकि तुम प्रेम से परेशान हो, चूंकि तुम प्रेम करना सीख नहीं पाए, चूंकि तुम नाचना नहीं जानते, तुम कहते हो आंगन टेढ़ा है। आंगन की कोई फिकर करता है जिसको नाचना आता हो? आंगन की वही फिकर करता है जिसे नाचना न आया। संसार से भागते वही हैं, जो नाच न सके। जिसे नाचना आता है, टेढ़ा आंगन भी पर्याप्त है।
असली बात जीवन की कला को सीखने की है।
मैं तुम्हें तोड़ना नहीं चाहता, तुम्हें जोड़ना चाहता हूं। अगर तुम ठीक से समझो, तो मैं तुम्हें जो दे रहा हूं वही योग है। योग यानी जोड़। प्रेम एकमात्र योग है, क्योंकि वही जोड़ता है। और तो सब चीजें तोड़ देती हैं।
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