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जागकर जीना अमृत में जीना है
भी खयाल न आया कि जिस वृक्ष में हर बार मृत्यु का फल लगता है वह वृक्ष बीज से ही गलत है। जो जागे, जिन्होंने जरा गौर से जिंदगी को देखा, उन्होंने क्या पाया? उन्होंने कुछ और ही बात पायी!
मैंने पूछा जो जिंदगी क्या है
हाथ से गिर के जाम टूट गया जिन्होंने भी पूछा, जिन्होंने भी जरा होश सम्हाला, जरा जिंदगी को गौर से देखा-हाथ से गिर के जाम ट्ट गया। बेहोशी में ही जिंदगी का जाम सम्हला है। होश आते ही टूट जाता है, टुकड़े-टुकड़े हो जाता है। पर हो ही जाए तो अच्छा। तुम जिसे जिंदगी कहते हो वह टूट ही जाए तो अच्छा। क्योंकि तुम और किसी तरह जागोगे नहीं। तुम्हारा सपना किसी तरह बिखर ही जाए तो अच्छा। ___ पर तुम अपने अनुभव को झुठलाए चले जाते हो। आदमी अनुभव से सीखता ही नहीं। तुम अपने सारे अनुभव को भूलते चले जाते हो। कल भी तुमने क्रोध किया, परसों भी क्रोध किया, क्रोध से कुछ पाया? कुछ भी नहीं पाया। तुम भलीभांति जानते हो। किसी बुद्धपुरुष की जरूरत नहीं है तुम्हें यह समझाने को। लेकिन आज भी तुम क्रोध करोगे, और कल भी तुम क्रोध करोगे। क्या तुम अनुभव से कभी कुछ सीखते ही नहीं? क्या अनुभव का तुम कभी कोई इत्र नहीं निचोड़ते? क्या अनुभव आते हैं और चले जाते हैं और तुम चिकने घड़े की तरह रह जाते हो? तुमने कल भी वासना की थी, परसों भी वासना की थी, कौन से फूल खिले? कौन से वाद्य बजे? कौन सा उत्सव हुआ? हर बार हारे, हर बार थके, हर बार विषाद ने मन को घेरा, हर बार पीड़ा अनुभव की, संताप अनुभव किया, फिर-फिर भूल गए। ऐसा लगता है कि तुमने अपने को धोखा देने की कसम खा रखी है।
तुम कहां वस्ल कहां वस्ल के अरमान कहां
दिल के बहलाने को एक बात बना रक्खी है तुम्हें भलीभांति पता है कि दिल को बहला रहे हो। लेकिन इस दिल का बहलाना बड़ा महंगा सौदा है। जो मिल सकता था वह तुम गंवा रहे हो, और जो मिल नहीं सकता उस द्वार पर हाथ जोड़े खड़े हो। ___ जागो। थोड़े से भी जागोगे, एक किरण काफी है अंधेरे को मिटाने को। मिट्टी का छोटा सा दीया काफी है, कोई सूरज थोड़े ही चाहिए। लेकिन जिस घर में पहली किरण आ गयी, उस घर में सूरज का आगमन शुरू हो गया। और जिस घर में मिट्टी का दीया जल गया, देर नहीं है, जल्दी ही हजार-हजार सूरज भी जलेंगे। थोड़ी सी किरण भी; जरा सा बोध भी; पर बैठे मत रहो, कोई और इस काम को तुम्हारे लिए न कर सकेगा। तुम्हीं को करना होगा। इसलिए प्रतीक्षा मत करो कि कोई आएगा
और आशीर्वाद दे देगा, और किसी के आशीर्वाद से हो जाएगा। यह आशीर्वाद तुम्हें स्वयं को ही अपने को देना होगा।
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