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'आज' के गर्भाशय से 'कल' का जन्म
ही मंजिले-मकसूद है? क्या यही लक्ष्य है जीवन का? इतना काफी है क्या कि सुविधा से जी लूं और सुविधा से मर जाऊं? सुविधा काफी है? तब बुद्ध के मनोविज्ञान की शुरुआत होती है। जिसको यह दिखायी पड़ने लगा-सुविधा सार नहीं है, सामान्य हो जाना कुछ भी मूल्य नहीं रखता, स्वस्थ हो जाने में भी कुछ नहीं है जब तक सत्य न मिल जाए।
जीसस के जीवन में उल्लेख है कि वे एक गांव में आए और उन्होंने एक आदमी को शराब पीए रास्ते के किनारे नाली में पड़े गालियां बकते देखा। तो वे उसके पास आए, करुणा से उसे हिलाया और उठाया, और कहा कि तू अपना जीवन शराब पी-पीकर क्यों बर्बाद कर रहा है? नाली में पड़ा है। उस आदमी ने आंखें खोलीं, जीसस को देखकर उसे होश आया। और उसने कहा कि मेरे प्रभु! मैं तो रुग्ण था, खाट भी नहीं छोड़ सकता था, तम्हीं ने छकर मझे ठीक किया था। अब मैं ठीक हो गया, अब इस स्वास्थ्य का क्या करूं? मुझे तो बस शराब पीने के सिवाय कुछ सूझता नहीं। मैंने तो कभी पी भी न थी। मैं तो खाट पर पड़ा था, इस शराबघर तक भी नहीं आ सकता था। तुम्हारी ही कृपा से!
जीसस सोचने लगे कि मेरी कृपा का यह परिणाम हुआ है। वे उदास आगे बढ़े। उन्होंने एक आदमी को एक वेश्या के पीछे भागते देखा। उसे पकड़ा और कहा कि
आंखें इसलिए नहीं परमात्मा ने दी हैं। यह क्यों वासना के पीछे भागा जा रहा है? किस पागलपन में दौड़ रहा है? उस आदमी ने गौर से रुककर देखा, उसने कहा, मेरे प्रभु-वह पैर पर गिर पड़ा-मैं तो अंधा था, तुमने ही छूकर मेरी आंखें ठीक की थीं। अब इन आंखों का मैं क्या करूं? मैं तो किसी वेश्या के पीछे न भागा था। मुझे तो रूप का पता ही न था, मैं तो जन्मांध था। तुम्हारी ही कृपा है कि तुमने आंखें दीं। अब इन आंखों का क्या करूं?
__ जीसस बहुत उदास हो गए। और वे गांव के बाहर निकल आए। और बड़े चिंतन में पड़ गए कि मेरी कृपा के ये परिणाम! . उन्होंने एक आदमी को फांसी लगाते देखा अपने को। रस्सी बांध रहा था वृक्ष से। वह भागे गए और कहा कि मेरे भाई, रुक! यह तू क्या कर रहा है? उसने कहा, अब मत रोको, बहुत हो गया। मैं मर गया था, तुम्हीं ने मुझे जिंदा किया था। अब जिंदगी का क्या करूं? यह तुम्हारी ही कृपा का कष्ट मैं भोग रहा हूं। अब बहुत हो गया, अब.मत रोकना और मर जाऊं तो मुझे जिलाना मत। तुम कहां से आ गए
और! मैं किसी तरह तो इंतजाम करके अपने मरने की व्यवस्था कर रहा हूं। पहले भी मर चुका था।
जिसको तुम स्वास्थ्य कहते हो उसका परिणाम क्या है? गंवाओगे उसे कहीं जिंदगी के रास्ते पर। किसी नाली में पड़ोगे। जिसे तुम आंखों की ज्योति कहते हो, उसका करोगे क्या? कहीं रूप में भरमाओगे। और जिसे तुम जीवन कहते हो, उसका
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