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बुद्धपुरुष स्वयं प्रमाण है ईश्वर का
नर्क में भी डाल दो तो तुम नर्क में न डाल सकोगे। यह असंभावना है। बुद्ध वहां स्वर्ग खड़ा कर लेंगे। बुद्ध अपना स्वर्ग अपने साथ लेकर चलते हैं, वह बुद्ध के जीवन की हवा है। वह उनके आसपास चलता हुआ मौसम है। उसको तुम उनसे छीन न सकोगे। नर्क बदल जाएगा, बुद्ध न बदलेंगे। तुम बुद्ध को दुखी नहीं कर सकते, तो तुम नर्क में कैसे डाल सकते हो? तुम तुम्हारे तथाकथित धर्मगुरुओं को सुखी नहीं कर सकते, तुम स्वर्ग कैसे भेज सकते हो?
बस इसी धुन में रहा मर के मिलेगी जन्नत
तुझको ऐ शेख न जीने का करीना आया हे धर्मगुरु, तुझे जीने का करीना न आया। तू इसी आशा में रहा कि मरकर मिलेगा स्वर्ग। जिसने जीते जी स्वर्ग न पाया, वह मरकर कैसे पा लेगा? जब जीते जी चूक गए तो मुर्दा होकर कैसे पा लोगे? स्वर्ग तो होता है तो जीवन से जुड़ता है, मौत से नहीं। स्वर्ग होता है तो जीवन से निकलता है। मौत से कैसे निकलेगा? स्वर्ग मरघटों में नहीं है। स्वर्ग वहां है जहां जीवन नाचता है हजार-हजार रंगों में। स्वर्ग वहां है जहां जीवन की धुन बज रही है हजार-हजार स्वरों में। स्वर्ग वहां है जहां तुम जितने गहरे जीवंत हो जाते हो।
स्वर्ग सिकुड़ना नहीं है, फैलाव है। इसलिए हिंदुओं ने अपने परम सत्य को ब्रह्म कहा है। ब्रह्म का अर्थ होता है, विस्तीर्ण । ब्रह्म का अर्थ है, जो फैलता ही गया है। जिसकी कोई सीमा नहीं आती। ___ तुमने कभी खयाल किया, दुख सिकुड़ता है, आनंद फैलता है। दुख का स्वभाव है सिकुड़ना। जब तुम दुखी होते हो, तब तुम चाहते हो द्वार-दरवाजे बंद करके बैठ जाओ। कोई मिलने न आए, किसी से बात न करनी पड़े, बाजार न जाना पड़े। तब तुम अपने को बंद कर लेना चाहते हो। सिकुड़कर पड़ जाना चाहते हो बिस्तर में। अगर बहुत ही दुखी हो जाता है आदमी, तो मरने की चेष्टा करने लगता है। कब्र में समा जाना चाहता है, ताकि फिर कभी कोई दुबारा न मिले। अकेला हो जाऊं। इसलिए दुखी आदमी आत्मघात कर लेता है। लेकिन जब सुख भरता है, जब महासुख उतरता है, जब तुम नाचते होते हो, तब तुमसे कोई कहे घर में बैठो; तुम कहोगे, नहीं, अभी तो जाना है, अभी तो बांटना है, अभी तो फैलना है।
तुमने देखा, महावीर और बुद्ध जब दुखी थे, जंगल भाग गए। लेकिन जब आनंदित हुए, जब उतरा अमृत उनके जीवन में, लौट आए वापस बस्ती में। इस पर किसी ने कभी कोई सोचा नहीं, कि जब वे दुखी थे तब जंगल भाग गए थे-अकेले में। उसकी बड़ी कथाएं शास्त्रों में हैं, कि उन्होंने सब छोड़ दिया और जंगल चले गए। लेकिन इस संबंध में शास्त्र कुछ भी नहीं कहते कि एक दिन उन्होंने जंगल छोड़ दिया और बस्ती में वापस आ गए।
वह दूसरी घटना और भी महत्वपूर्ण है। क्योंकि जब आनंद उनके जीवन में
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