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________________ एस धम्मो सनंतनो छोटे बच्चे खड़े हो जाते हैं कुर्सियों पर, अपने बाप से कहते हैं, हम तुमसे बड़े हैं। वह बड़े होने की कामना उनमें गहरी हो गयी है। छोटे बच्चे सिगरेट पीने लगते हैं, सिर्फ इसलिए कि सिगरेट बड़े का प्रतीक है। बड़े पी रहे हैं उसको। वह ताकतवर आदमी का सिंबल है, उसका प्रतीक है। बच्चे सिगरेट पीने लगते हैं, क्योंकि उससे अकड़ मालूम होती है कि वे भी बड़े हो गए। ___मैं एक गांव में ठहरा हुआ था। सुबह-सुबह घूमने गया था। एक छोटे बच्चे को मैंने आते देखा। इतनी सुबह, और बच्चा इतना छोटा–छह-सात साल से ज्यादा का न रहा होगा और उसका ढंग ऐसा कि मैं भी देखता रह गया। हाथ में एक छड़ी लिए था, बड़े-बूढ़े की तरह चल रहा था, और उसने छोटी सी मूंछ भी लगा रखी थी। जब मैंने उसे गौर से देखा तो वह भागकर एक वृक्ष के पीछे छिप गया। मैं उसके पीछे गया। तो वह अपने घर में चला गया। मैं उसके पीछे उसके घर पहुंचा। उसने जल्दी से अपनी मूंछ निकालकर खीसे में रख ली। ___ मैंने पूछा कि मामला क्या है? तू कर क्या रहा है? उसके पास कोई उत्तर नहीं है। शायद उसे भी पता नहीं है। बड़े होने का ढोंग कर रहा है। बड़ा होने की आकांक्षा जग गयी है। छोटे होने में पीड़ा है। सभी बड़े होना चाहते हैं। ___ यही बच्चा कल बड़ा होकर बचपन की बातें करेगा, कि बचपन स्वर्ग था। उस स्वर्ग के केवल चित्र लिए हैं, वह स्वर्ग कभी जीया नहीं। बूढ़े हो जाओगे तब तुम जवानी के चित्रों का एलबम देखोगे। वह जवानी भी तुमने कभी जी नहीं। जब वहां थे, तब वहां थे नहीं। यही रोग पाप है। ___ तुमसे बहुत और व्याख्याएं लोगों ने कही हैं पाप की। शायद किसी ने तुमसे यह व्याख्या न कही हो। लोगों ने कहा है, बुरा करना पाप है। मैं नहीं कहता। क्योंकि मैं मानता हूं, बुरा करना तुम्हारे गलत होने से पैदा होता है। इसलिए वह गौण है। गलत होना पाप है, गलत करना नहीं। और जो ठीक हो गया, उसके जीवन से पाप विदा हो जाते हैं। इसलिए असली सवाल ठीक करने का नहीं है, असली सवाल ठीक होने का है। इस भेद को ध्यान में रख लेना। क्योंकि यह भेद बुनियादी है। अगर तुम गलत को ठीक करने में लग गए तो तुम जन्मों-जन्मों तक गलत को ठीक करते रहोगे, गलत ठीक न होगा; क्योंकि तुम गलत हो, वहां से और गल्तियां पैदा होती रहेंगी। यह तो ऐसा ही है जैसे एक शराबी आदमी है, वह शराब पीना तो बंद नहीं करता, सम्हलकर चलने की कोशिश करता है। सभी शराबी करते हैं। तुमने अगर कभी शराब पी है तो तुम्हें पता होगा, जितने शराबी सम्हलकर चलते हैं कोई नहीं चलता। हालांकि वे गिरते हैं। मगर सम्हलकर वे बहुत चलने की कोशिश करते हैं। जिसने शराब नहीं पी है, वह सम्हलकर चलने की कोशिश ही क्यों करेगा? वह सम्हलकर चलता ही है। इसकी कोशिश थोड़े ही करनी होती है। जो होश में है उससे 112
SR No.002378
Book TitleDhammapada 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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