SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 124
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बुद्धपुरुष स्वयं प्रमाण है ईश्वर का हो। तुम्हें खुद ही पता नहीं कि तुम कहां हो। तुम्हारा कोई पता-ठिकाना नहीं है, तुम्हें खोजे भी तो कहां खोजे? तुम ऐसे ही हो जैसे किसी मेहमान को निमंत्रण दे आए हो, और जब मेहमान घर आता है तो तुम्हें घर पाता ही नहीं। मेजबान कभी घर मिलता ही नहीं। जीवन को तुम खोजते हो, जीवन तुम्हें खोज रहा है। इस बात को थोड़ा ठीक से समझ लो। .. तुम जीवन को खोज रहे हो, जीवन तुम्हें खोज रहा है। और तुम जीवन को खोजने में ही गंवा रहे हो। खोजने की जरूरत नहीं है, जीवन मिला ही हुआ है। उसने सब तरफ से तुम्हें घेरा है। वही सब तरफ से बरस रहा है। रोएं-रोएं में, श्वास-श्वास में जीवन की ही पुलक है, जीवन का ही नत्य है। कहां तुम खोजने जा रहे हो? जहां भी जाओगे, गलत जाओगे। जाना गलत है। होना सही है। जाने में ही तो तुम वर्तमान से चूक जाते हो। तुम कहते हो कल, कल सुख पाएंगे। न तो बीते कल मिला, न आने वाले कल मिलने वाला है, क्योंकि कल कभी आता नहीं। आता हुआ लगता है। सदा आता है, लगता है आया, आया, आता कभी नहीं। जो आता है, वह आज है। जो आता है, वह अभी है। इस क्षण को तुम कल के लिए मत स्थगित कर देना। जिसने आज को जीने के लिए कल पर छोड़ा, वही पापी है। तब फिर ऐसा मन अतीत की स्मृतियां करता है। • और बड़े मजे की बात यह है कि तुम जिन बातों की स्मृतियां करते हो, उन बातों में भी तुम मौजूद न थे। वह भी तुम्हारा खयाल है। क्योंकि जब वे बातें घट रही थीं, तब तुम कहीं और थे। __ मेरे एक मित्र के साथ मैं ताजमहल गया था। तीन-चार घंटे हम वहां थे। पूरे चांद की रात थी। लेकिन वे ताजमहल को न देख पाए, क्योंकि उनको फोटो लेने थे। मैंने उनको कहा भी कि फोटो तो तुम्हारे घर-गांव में ही मिलते थे, बिकते थे। इतनी दूर आने की जरूरत न थी। और जो फोटो बाजार में मिलते हैं वे ज्यादा बेहतर फोटोग्राफरों ने लिए हैं। तुम सिक्खड़ हो। तुम्हारे फोटोग्राफ का मतलब भी क्या! .पर वे बोले कि नहीं, घर चलकर शांति से देखेंगे। ताजमहल सामने है, वे चित्र ले रहे हैं। वे घर चलकर शांति से देखेंगे! और तब वे सोचेंगे, कैसा प्यारा ताजमहल! और वह कभी उन्होंने देखा नहीं। वह कैमरे ने देखा होगा। वे तो वहां थे ही नहीं। वे एलबम बना रहे हैं। तुम कभी खयाल किए कि तुम पीछे लौट-लौटकर देखते हो, बचपन कितना प्यारा था! पर बचपन में तुम वहां थे? कि ताजमहल के फोटो लिए! कोई भी बच्चा वहां नहीं है। वह जवानी के सपने देख रहा है। वह बड़े होने की कामना कर रहा है। वह जल्दी-जल्दी बड़ा हो जाना चाहता है। क्योंकि उसे लगता है, बड़े बड़ा आनंद लूट रहे हैं। बड़ों के पास शक्ति है, सामर्थ्य है। मेरे पास कुछ भी नहीं। वह जल्दी में है। वह जल्दी बड़ा होना चाह रहा है। 111
SR No.002378
Book TitleDhammapada 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy