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________________ ताओ उपनिषद भाग ६ करने बैठता था तब दिखाई पड़ती थीं। आज जीवन में पहला मौका मिला था जब देख लेता एक झलक। और कोई अड़चन न थी, बिलकुल किनारे पर ही सब घटना घट रही थी। आवाज सुनाई पड़ने लगी कि उसने अपने आभूषण फेंक दिए हैं। सैनिक बात करने लगे, जो दोनों तरफ चल रहे थे कि अरे, उसने कपड़े भी फेंक दिए! अरे, वह बिलकुल नग्न भी हो गई! और वह अपना दीया सम्हाले है और बूंद तेल न गिर जाए। उसने सात चक्कर पूरे कर लिए, एक बूंद तेल न गिरी। सम्राट ने उसे बुलाया और कहा, समझे? जिसके पास कुछ सम्हालने को हो, सारी दुनिया चारों तरफ नाचती रहे, कोई अंतर नहीं पड़ता। तुझे अपना जीवन बचाना था, तो वेश्या नग्न हो गई तो भी तेरी आंख उस तरफ न गई। ये सैनिक बड़ी रसभरी चर्चा कर रहे थे-ये मेरे इशारे थे कि तुम रसभरी चर्चा करना, लुभाना-और दोनों तरफ से बोल रहे थे, और इन दोनों के बीच तू फंसा था; फिर भी तूने ध्यान न छोड़ा, तूने ध्यान अपने पात्र पर रखा। भरा पात्र था, कुशल से कुशल व्यक्ति भी मुश्किल में पड़ जाता। बड़े सात लंबे चक्कर थे। एक बूंद तेल गिर जाती, गर्दन तेरी उतर जाती। जीवन तुझे बचाना था। ___ जनक ने कहा, कुछ मेरे पास है जिसे मझे बचाना है। और जब तुम्हारे पास कुछ बचाने को होता है तो वही तुम्हें बचाता है। प्रेम जब जिसके भीतर होता है, प्रेम कों तुम बचाते हो, प्रेम तुम्हें बचाता है। तुम प्रेम को सम्हालते हो, प्रेम तुम्हें सम्हालता है। प्रेम को बचाना। प्रेम से संतुलन आ जाएगा, क्योंकि कुछ बचाने को है। तुम अतियों पर न जाओगे। और जिसने प्रेम जान लिया, वह महत्वाकांक्षा पर हंसने लगता है; क्योंकि महत्वाकांक्षा प्रेम के अभाव में पैदा होती है। जिनके जीवन में प्रेम नहीं है, वे धन पाना चाहते हैं। धन सब्स्टीटयूट है। प्रेम तो न मिला, किन्हीं आंखों ने ऐसा तो न कहा कि धन्यभाग हैं कि तुम हो; किन्हीं हाथों ने छुआ नहीं और कहा नहीं कि फूल की पंखुरियां भी इतनी कोमल नहीं; किसी ने गले न लगाया और कहा कि तुम्हीं मेरी आत्मा हो और तुम्हारे बिना सब सूना हो जाएगा। किसी ने तुम्हारे लिए गीत न गाए। किसी ने वीणा न बजाई। कोई आनंदमत्त होकर तुम्हारे चारों तरफ नाचा नहीं। अब . एक कमी रह गई। तो अब तुम कोशिश कर रहे हो कि धन हो जाए तो लोग कहें कि हां, तुम कुछ हो; खूब धन है तुम्हारे पास, ऐसा किसी के भी पास नहीं। कि पद मिल जाए, कि तुम राष्ट्रपति हो जाओ, कि प्रधानमंत्री हो जाओ, कि सारी दुनिया कहे कि हां, सिद्ध कर दिया कि तुम कुछ हो। __ मेरे जानने में, जिनका प्रेम असफल हो गया है, वे ही राजनीति में उतरते हैं; जिनका प्रेम असफल हो गया है, वे ही धन की दौड़ में लगते हैं, जिनका प्रेम असफल हो गया है, वे ही प्रसिद्धि की आकांक्षा करते हैं। वे सब्स्टीट्यूट हैं, परिपूरक हैं। पर ध्यान रखना, प्रेम का कोई परिपूरक नहीं है। आखिर में तुम धन कमा लोगे, बड़ी से बड़ी कुर्सी पर बैठ जाओगे और भीतर पाओगे वही रिक्तता। क्योंकि प्रेम को सिर्फ प्रेम ही भर सकता है, कोई और नहीं। प्रेम की आकांक्षा को सिर्फ प्रेम ही तृप्त कर सकता है। तुम थोड़ा सोचो, किसी को प्यास लगी है, वह पानी मांग रहा है; तुम उसे करेंसी नोट दे रहे हो। किसी को प्यास लगी है, वह पानी मांग रहा है। तुम कह रहे हो कि हम तुम्हें राष्ट्रपति बनाए देते हैं। वह कहेगा, हमें पानी चाहिए। पानी के लिए कुछ भी तो परिपूरक नहीं हो सकता। साधारण प्यास के लिए परिपूरक नहीं मिल सकता तो प्रेम की प्यास के लिए परिपूरक मिल जाएगा? कोई परिपूरक नहीं है। इसलिए जिसने प्रेम को सम्हाला, उसका संतुलन सम्हल जाता है। जिसने संतुलन सम्हाल लिया, वह आगे होने की दौड़ में कभी भी उतरता ही नहीं। तुम उसे राजी ही न कर पाओगे। च्चांगत्सु की कथा से पूरी करूं। 44
SR No.002376
Book TitleTao Upnishad Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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