________________
प्रेम को सम्हाल लो, सब सम्भल जाएगा
साथ दे देता है। स्वर्ग तो सहयोग है। परमात्मा तो राजी है-तुम जो होना चाहो। तुम अगर नर्क में गिरना चाहते हो तो परमात्मा का हाथ तुम्हें सहारा दे देता है। क्योंकि परमात्मा तुम्हारी स्वतंत्रता को नष्ट न करना चाहेगा। परमात्मा जबरदस्ती तुम्हें स्वर्ग में न उठाएगा। क्योंकि जबरदस्ती भी कहीं कोई स्वर्ग में गया है? अगर तुम जबरदस्ती स्वर्ग में भेज दिए जाओ तो स्वर्ग कारागृह मालूम पड़ेगा। क्योंकि जबरदस्ती परतंत्रता है। स्वतंत्रता से तुम नर्क में भी चले जाओ तो भी स्वर्ग मालूम पड़ेगा, तुमने ही चुना है।
परमात्मा किसी के साथ कोई जबरदस्ती नहीं करता। अस्तित्व सहयोग है, और परम स्वतंत्रता है। तुम जो होना चाहो, अस्तित्व कहता है, हम तुम्हारे साथ वहीं चलने को राजी हैं। अगर तुम अपने जीवन को कब्र बनाना चाहते हो तो कब्र के लिए ईंटें जुटा देगा अस्तित्व; तुम्हारे हाथों को बल दे देगा कि तुम सब रंध्र, द्वार, सब बंद कर दो। अगर तुम स्वर्ग में उठना चाहते हो तो अस्तित्व सीढ़ियां लगा देगा, पांव-पांखड़े बिछा देगा; अस्तित्व अपनी पलकें बिछा देगा कि आओ स्वागत है। लेकिन तुम्हारी स्वतंत्रता को अस्तित्व बाधा नहीं देता।
मनुष्य परम स्वतंत्र है। यही उसकी गरिमा भी है, यही उसका दुर्भाग्य भी। गरिमा; क्योंकि स्वतंत्रता से बड़ा और कुछ भी नहीं है। इसलिए तो हम मोक्ष की चर्चा करते रहे हैं सदियों से। गरिमा; कि मनुष्य उठ सकता है आखिरी छोर तक, जिसके पार और कुछ भी नहीं; वह बन सकता है शिखर उत्तुंग, गौरीशंकर। और दुर्भाग्य; क्योंकि स्वतंत्रता के कारण वह नर्कों की यात्रा भी कर सकता है। तुम्हारे हाथ में है सारी बाजी! शिकायत किसी से कर न सकोगे। नर्क गए तो अपने कारण; दुखी हो तो अपने कारण; सुखी होओगे तो अपने कारण। चाहो तो विषाद की मूर्ति बन सकते हो, कोई बाधा न डालेगा; चाहो तो समाधिस्थ आनंद की प्रतिमा बन सकते हो, सारा अस्तित्व साथ देगा। हर हाल में राजी है अस्तित्व; तुम जहां जाते हो, वहीं जाने को राजी है।
इसे स्मरण रखना। यह तो कहने का ढंग है लाओत्से का कि जिन्हें वह नष्ट होने से बचाना चाहता है स्वर्ग उन्हें प्रेम के कवच से सुसज्जित कर देता है। इसका कुल मतलब इतना है कि केवल वे ही बचते हैं जो प्रेम के कवच को उपलब्ध हो जाते हैं।
ये तीन खजाने हैं लाओत्से के। प्रेम पहला खजाना; सम्हालना, बचाना। जिंदगी में बहुत आंधियां आएंगी, • उस छोटे से दीये को बुझाने की संभावनाएं बनेंगी; तुम उसे बचाना, क्योंकि वही जीवन की संपदा है। कुछ भी हो, तुम प्रेम को मत खो देना।
और तुम बड़े जल्दी खो देते हो। एक आदमी धोखा दे देता है, तुम कहते हो, हमारा आदमियत पर से विश्वास उठ गया। आदमियत पर से विश्वास उठ गया? एक आदमी ने धोखा दे दिया तुम्हें, तुम्हारा पूरी आदमियत पर से विश्वास उठ गया? जैसे तुम तैयार ही बैठे थे विश्वास उठाने को। तुमने यह न कहा कि एक आदमी ने धोखा दिया है, इससे आदमियत का क्या लेना-देना!
अगर तुम प्रेम को बचाना चाहते हो तो सारी मनुष्यता भी तुम्हें धोखा दे दे, और एक आदमी बच रहे जिसने धोखा न दिया, तो भी तुम भरोसा कायम रखोगे कि अभी एक आदमी बाकी है। अभी एक आदमी काफी है भरोसे को बचाने को, अगर भरोसा बचाना है। अन्यथा एक आदमी काफी है मिटाने को। एक जगह तुम असफल हो जाते हो, कि बस उसी असफलता को तुम अपना घर बना लेते हो कि असफल हो गए। जिंदगी में कोई सार नहीं है!
झेन फकीर जेनरेन ने कहा है कि जब पतझड़ आए और वृक्षों से पत्ते सब गिर जाएं और वृक्ष नग्न हो जाएं, तब तुम सावधान रहना, यह मत कहना कि सब जीवन उजाड़ है। क्योंकि यह केवल वसंत की तैयारी है। और जब पानी का बुलबुला फूटे तो तुम यह मत कहना कि सब जीवन पानी का बुलबुला है। तुम जल्दी मत करना निषेध को इकट्ठी करने की।
41