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________________ मुक्त व्यवस्था-संत ऑन स्वर्ग की उपाय है। अगर तुमने लिख कर दे दिया है कोई दस्तावेज तो बच सकते हो। लेकिन जब तुमने कुछ लिखा हुआ ही नहीं है, सब अनलिखा है, कहां बचोगे? कहां भागोगे? कहां से तरकीब निकालोगे? लाओत्से बड़ी महत्वपूर्ण बात कह रहा है। वह कह रहा है, 'बिना स्पष्ट योजना के फल प्राप्त करता है।' । परमात्मा ने कोई योजना का जाल नहीं बिछाया हुआ है। नहीं तो कुछ न कुछ कुशल लोग निकल आते जो उसमें से बाहर निकल जाते। जाल ही नहीं है, बचोगे कैसे? भागोगे कहां? जहां जाओगे उसे ही पाओगे। स्पष्ट उसकी योजना नहीं है। सब बड़ा रहस्यपूर्ण है। इसलिए बचने का उपाय नहीं है। 'स्वर्ग का जाल व्यापक और विस्तृत है।' सब तरफ है। जहां तुम हो वहीं है। तुम भी स्वर्ग के जाल के हिस्से हो। 'उसमें बड़े-बड़े छिद्र हैं, तो भी उसमें से कुछ निकल नहीं पाता।' बड़े-बड़े छिद्र का अर्थ है, बड़ी स्वतंत्रता है। फिर भी तुम भाग न पाओगे। क्योंकि जहां भी तुम जाओगे उसी को पाओगे। उसी का नियम हमेशा नीचे पैरों के तुम्हारी भूमि बनाता है। उसी का नियम आकाश बनाता है। उसी का नियम तुम्हें बनाता है। स्वतंत्रता पूरी है। तुम जो भी चाहो करो। तुम बुरा करो तो भी वह मौजूद है, और तत्क्षण तुम दुख पाओगे। तुम भला करो तो भी वह मौजूद है, तत्क्षण तुम पाओगे कि अमृत की तुम्हारे आस-पास वर्षा हो गई। स्वतंत्रता तुम्हें पूरी है। तुम नरक बनाना चाहो नरक बनाओ; स्वर्ग बनाना चाहो स्वर्ग बनाओ। लेकिन तुम जाल के बाहर न जा सकोगे। छेद बड़े-बड़े हैं। बड़ी खूबी की बात है कि परमात्मा ने किसी की स्वतंत्रता को जरा भी नहीं रोका है। परमात्मा ने तुम्हें इतनी स्वतंत्रता दी है कि वह कभी तुम्हारे आस-पास सामने खड़ा भी नहीं होता, क्योंकि उसके खड़े होने से परतंत्रता आ सकती है। ___मुझसे लोग पूछते हैं कि परमात्मा दिखाई क्यों नहीं पड़ता? मैं उनसे कहता हूं, क्योंकि वह चाहता है तुम स्वतंत्र रहो। वह दिखाई पड़े, तुम्हारी स्वतंत्रता खंडित हो जाएगी। परमात्मा सामने खड़ा हो; तुम कैसे पाप कर पाओगे? परमात्मा मौजूद हो तो अंकुश पैदा हो जाएगा। उसकी मौजूदगी ही अंकुश पैदा कर देगी। जैसे छोटा बच्चा बैठा हो, सिगरेट पी रहा हो, और बाप आ जाए! तो जल्दी से सिगरेट को छिपा लेगा। स्वतंत्रता खो गई। अगर परमात्मा मौजूद हो तो उसकी मौजूदगी, उसकी महिमा, तुम्हारी स्वतंत्रता को नष्ट कर देगी। इसलिए मैं कहता हूं, उसकी बड़ी कृपा है कि वह तुम्हें कहीं मिलता नहीं। फिर भी तुम उससे बच न पाओगे। स्वतंत्रता पूरी है, लेकिन स्वतंत्रता के नीचे भी आधार उसी का है। उसने खुला आकाश तुम्हें दिया है कि जहां तक उड़ना चाहो उड़ो; अपने पंख भी तोड़ लेना हो तॊ भी कोई हर्जा नहीं, उड़ो और तोड़ डालो। आत्महत्या करनी हो तो भी स्वतंत्र हो, कोई रोकेगा न, कोई हाथ बीच में आकर कहेगा न कि यह क्या कर रहे हो? मैंने तुम्हें जीवन दिया और तुम जीवन नष्ट कर रहे हो? कोई तुम्हें रोकेगा न, कोई प्रतिध्वनि सुनाई न पड़ेगी। तुम परिपूर्ण स्वतंत्र हो। और फिर भी तुम उससे बच नहीं सकते। 'बड़े-बड़े छिद्र हैं उसके जाल में, तो भी उसमें से कुछ निकल नहीं पाता।' यह तो बड़ी जटिल बात हो गई। तुम परिपूर्ण स्वतंत्र हो, फिर भी स्वच्छंद नहीं। तुम्हारी स्वतंत्रता बेशर्त है, फिर भी तुम्हारी स्वतंत्रता अराजकता नहीं है। तुम्हारी स्वतंत्रता के पीछे भी नियम है। उस नियम को ही लाओत्से ताओ कहता है। उसी नियम को हमने इस मुल्क में धर्म कहा है, बुद्ध ने धम्म कहा है। धर्म और ताओ का एक ही अर्थ होता है। धर्म का अर्थ होता है जिसने तुम्हें धारण किया है। तुम उससे भाग न सकोगे। क्योंकि वही तुम्हें धारण किए है, तुम भागोगे कहां? तुम जाओगे कहां? जहां जाओगे, उसी के हाथ तुम्हें सम्हाले हैं। नरक में भी वही तुम्हें सम्हालेगा; स्वर्ग में भी वही तुम्हें सम्हालेगा। तुम और सब चीजों से भाग सकते . 217
SR No.002376
Book TitleTao Upnishad Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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