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ताओ उपनिषद भाग ५
तैयारी से बचना, अगर संतत्व की तरफ जाना हो। संतत्व का कोई रिहर्सल नहीं है। और एक बात दुबारा नहीं दुहरती। इसलिए तैयारी का कोई उपाय नहीं है। हर घड़ी बस एक बार घटती है और खो जाती है।
तुम सभी बुद्धिमान हो! जब घड़ी निकल जाती है तब तुम सोचते हो कि क्या करना था। तुम्हारी बुद्धि जरा देर से आती है। किसी आदमी ने कुछ कहा, तुमने कुछ उत्तर दिया; घड़ी भर बाद तुम्हें याद आता है कि अगर यह उत्तर दिया होता तो ठीक होता। बुद्धिमान का लक्षण ही यही है कि उसे उत्तर उस क्षण में आए जब उत्तर की जरूरत है।
अन्यथा तो बुद्ध भी बड़े ऊंचे उत्तर खोज लेते हैं। प्रतिभा का एक ही लक्षण है कि वह पछताती नहीं। अगर तुम पछताते हो तो प्रतिभा नहीं है। और पछतावा क्यों पैदा होता है। और प्रतिभा क्यों नहीं जन्मती?
प्रतिभा तो हर व्यक्ति लेकर पैदा होता है, लेकिन तैयारी की धूल जम जाती है। तुम तैयारी के भीतर से देखते रहते हो। वहीं तुम चूकते हो।
ऐसा हुआ कि मुल्ला नसरुद्दीन के गांव में सम्राट का आगमन हुआ। वह गांव का सबसे बड़ा बूढ़ा था। तो गांव के लोगों ने कहा कि तुम्ही हमारे प्रतिनिधि हो। और गांव के लोग डरे भी थे, गैर पढ़े-लिखे थे। मुल्ला अकेला लिख-पढ़ सकता था। तो तुम्ही सम्हालो! ।
सम्राट के पहले वजीर आए। क्योंकि गांव गंवारों का था और पता नहीं वे कैसा स्वागत करें, तो उन्होंने सब तैयारी करवा दी। मुल्ला को कहा कि देखो, कुछ अनर्गल मत बोल देना, क्योंकि यह सम्राट का मामला है। छोटी सी बात में गर्दन चली जाए। और तुम जरा कुछ बक्कार हो, कुछ भी बोलते रहते हो। यहां जरा खयाल रख कर बोलना। एक-एक शब्द की कीमत चुकानी पड़ेगी। तो बेहतर यह है कि तुम तैयारी कर लो। और हम सम्राट को कह रखेंगे कि वह तुमसे वही पूछे प्रश्न जो तुमने तैयार किए हैं। तो पहले वह तुमसे पूछेगा, तुम्हारी उम्र कितनी? तो तुम बता देना कि सत्तर साल। फिर वह पूछेगा कि तुम इस गांव में कितने समय से रहते? तो तुम तीस साल से रहते तो कह देना तीस साल। ऐसे पांच-सात प्रश्न तैयार करवा दिए और कहा कि ठीक याद रखना! जरा भी भूल-चूक न हो।
मुल्ला ने कंठस्थ कर लिए, मुल्ला बिलकुल तैयार था।
सम्राट आया। सम्राट ने पूछा कि इस गांव में कब से रहते हो? मुल्ला मुश्किल में पड़ा; क्योंकि पहले सम्राट को पूछना चाहिए था, तुम्हारी उम्र कितनी है? और वह पूछ रहा है, इस गांव में कितने दिन से रहते हो? तो मुल्ला ने कहा, सम्राट गलती करे तो करे, अपन क्यों गलती करें! उसने कहा, सत्तर साल। सम्राट जरा चौंका। तो उसने कहा,
और तुम्हारी उम्र कितनी है? मुल्ला ने कहा, तीस साल। सम्राट ने कहा, तुम होश में हो या पागल! मुल्ला ने कहा, हद्द हो गई। उलटे सवाल तुम पूछ रहे हो; सीधे जवाब हम दे रहे हैं। और होश में हम हैं कि तुम? और पागल तुम कि हम? हम बिलकुल ठीक वही जवाब दे रहे हैं, जो तैयार किए गए हैं।
एक बार एक आदमी ने विंसटन चर्चिल को बड़ी मुश्किल में डाल दिया। वह मुल्ला नसरुद्दीन जैसा ही आदमी रहा होगा। राजनीतिज्ञ अक्सर यह तरकीब करते हैं कि भीड़ में अपने-अपने आदमी छिपा रखते हैं, जो वक्त पर ताली बजाते हैं, इशारे पर खड़े होकर प्रश्न पूछते हैं वही प्रश्न जो राजनीतिज्ञ जवाब दे सकता है। और भीड़ पर प्रभाव पड़ता है इसका कि देखो, सब जवाब साफ-साफ दे दिए। तो विंसटन चर्चिल लड़ रहा था एक चुनाव। एक आदमी खड़ा हुआ, उसने बड़ा कठिन सवाल पूछा कि विंसटन चर्चिल ने भी पसीना पोंछा। मगर जवाब ऐसा दिया कि वाह-वाह हो गई। तब एक दूसरा आदमी खड़ा हुआ। उसने और भी कठिन सवाल पूछा कि विंसटन के पैर कंप जाएं। भीड़ सांस रोक कर सुनने लगी। विंसटन ने उसे भी ऐसा जवाब दिया कि मुंह की खाकर रह गया। तब तीसरा आदमी खड़ा हुआ। खड़े होकर उसने कोट के खीसे में हाथ डाला, फिर पैंट के खीसे में हाथ डाला, फिर इधर देखा, उधर देखा, और कहा कि महानुभाव, आपने जो प्रश्न पूछने को कहा था, वह चिट कहीं खो गई।
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