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ओत्से के सूत्रों में प्रवेश के पूर्व कुछ प्राथमिक बातें समझ लेनी जरूरी हैं। पहली बात, लाओत्से किसे रहस्य कहता है? । इस शब्द से ज्यादा कीमती दूसरा कोई शब्द धर्म की यात्रा में नहीं है। रहस्य को समझ लिया तो सब समझ लिया। वही गहरे से गहरा मर्म है। वही है गुप्त से गुप्त खजाना। रहस्य क्या है? रहस्य ऐसी समझ है कि तुम उसे समझ भी न कह पाओगे। रहस्य एक ऐसा जानना है कि तुम जान कर ज्ञानी न बन पाओगे, दावा न कर सकोगे कि जान लिया। जान लोगे, लेकिन दावा न कर पाओगे। गंगे केरी सरकरा, खाय और मुस्काय। तुम्हारा पूरा व्यक्तित्व कहेगा, तुम न कह सकोगे कि जान लिया। तुम्हारा रोआं-रोआं कहेगा, लेकिन तुम्हारा अहंकार निर्मित न
हो सकेगा कि जान लिया। जानने वाला मिट जाए जिस ज्ञान में वही रहस्य है।
ज्ञान दो तरह के हैं। एक ज्ञान है जिससे जानने वाला मजबूत होता है। एक ज्ञान है जिससे जानने वाला धीरे-धीरे पिघलता है; अंततः वाष्पीभूत हो जाता है। ज्ञान तो बच रहता है, जानने वाला खो जाता है।
हेरत हेरत हे सखी, रह्या कबीर हेराई। . रहस्य ऐसा ज्ञान है जो ज्ञानी को मार देता है। रहस्य एक ऐसी अनुभूति है जिसमें जानने वाला और जिसे जाना है, दोनों एक हो जाते हैं। फासला नहीं रह जाता, अंतराल नहीं बचता। तो कौन कहे कि जान लिया? किसको कहे कि जान लिया? दावा कौन करे? किसके संबंध में करे? दावेदारी खो जाती है। ऐसा ज्ञान रहस्य है।
. रहस्य गणित का साफ-सुथरा रास्ता नहीं है; सुगढ़, साफ, व्यवस्थित राज-मार्ग नहीं है। पहाड़ों में घूमता हुआ, वन-प्रांतों में उलझा हुआ, पगडंडी की तरह है। तुम उस पर चल सकते हो, लेकिन अकेले; भीड़ वहां न हो सकेगी। तुम उसे जान भी सकते हो, लेकिन अपने परम एकांत में। वहां दूसरा गवाह न हो सकेगा। तो अगर तुम कहोगे कि मैंने जान लिया तो तुम गवाही न खोज पाओगे। क्योंकि जब भी तुम जानोगे अकेले जानोगे, वहां दूसरे न होंगे। इसलिए रहस्य ऐसा ज्ञान है जो आत्यंतिक रूप में सब्जेक्टिव है, आत्मिक है; आब्जेक्टिव नहीं है, विषयगत नहीं है। यही तो धर्म और विज्ञान का फासला है।
विज्ञान भी सत्य को खोजता है, लेकिन खोज का ढंग आब्जेक्टिव है, बाहर खोजता है, दूसरे में खोजता है, पर में खोजता है, वस्तु में खोजता है। इसलिए तो विज्ञान सार्वभौम बन जाता है। एक दफा खोज लिया तो सभी को साफ हो जाता है। खोजने वाले को ही नहीं, जिन्होंने खोजने में कोई हिस्सा नहीं बंटाया उनको भी साफ हो जाता है। एडीसन या आइंस्टीन वर्षों मेहनत करके कुछ खोजते हैं; सारी दुनिया जान लेती है। हर एक को अलग-अलग खोजने की कोई जरूरत नहीं। एक ने खोज लिया, सब ने पा लिया। स्कूल में विद्यार्थी पढ़ेगा फिर, और जान लेगा।
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