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________________ मण गुण से बड़ी कोई शक्ति बहीं पिता प्राकृतिक नहीं है, सामाजिक है; क्योंकि पशुओं में कोई पिता नहीं है, लेकिन माता है। आदिम युगों में मनुष्यों में भी कोई पिता नहीं था, मां ही थी। पिता तो सामाजिक व्यवस्था है। और इसीलिए तो पुरुष को रोक रखना एक स्त्री के पास बड़ा कठिन काम है। पुलिस लगी है, अदालतें लगी हैं, कानून लगा है, सब भांति कि पुरुष एक स्त्री के पास रुका रहे। लेकिन स्त्री एक पुरुष के पास रुकना चाहती है; कोई कानून को लगाने की जरूरत नहीं है। क्योंकि पिता बिलकुल ही अप्राकृतिक है, कृत्रिम है; उसको जोर-जबरदस्ती से रोका गया है। नसरुद्दीन का बेटा अपने बाप से पूछ रहा था कि मैं कानून की किताब पढ़ रहा हूं। आखिर दो शादी करने पर इतनी मनाही क्यों है? यह जुर्म क्यों है? तो नसरुद्दीन ने कहा, बेटा, तुझे पता नहीं; जो अपनी रक्षा नहीं कर सकते, उनकी कानून को रक्षा करनी पड़ती है। अगर कानून रक्षा न करे तो दो पर भी नहीं रुकेगा पुरुष। फिर मुसीबत में पड़ेगा। पुरुष, पिता, सामाजिक संस्कार है। असली नाता तो बच्चे का मां से है। और पिता का काम बड़ा थोड़ा सा है; वह काम इंजेक्शन भी कर सकता है। लेकिन मां का काम कोई व्यवस्था नहीं कर सकती। इस पर प्रयोग चले हैं कि क्या मां के गर्भ को भी हम यंत्र में, यांत्रिक गर्भ में भी बच्चे को रख कर बड़ा कर सकते हैं? बच्चा बड़ा हो जाता है-पशुओं के बच्चों पर प्रयोग किए गए हैं लेकिन वह पागल ही बड़ा होता है। विक्षिप्त हो जाता है पहले ही से। क्योंकि मां का गर्भ सिर्फ यंत्र नहीं है; एक बड़े गहन प्रेम की छाया भी भीतर है जो यंत्र नहीं दे सकता। यंत्र गर्मी दे देगा, प्रेम नहीं दे सकता। गर्मी तो बिजली से भी मिल सकती है। लेकिन मां से जो गर्मी मिलती है, उसमें जो प्रेम का तत्व जुड़ा है, वह बिजली से नहीं मिल सकती। बंदरों पर एक वैज्ञानिक प्रयोग कर रहा था हार्वर्ड में। तो उसने दो बंदर-माताएं बनाई थीं। एक बंदर-माता; बिजली का ही सब इंतजाम, उसके स्तन, दूध की सब व्यवस्था, और कंबल से लपेटी हुई थी उसे। और दूसरी माता सिर्फ तारों से बनी थी; उसमें भी सब दूध का सब इंतजाम, गर्मी का इंतजाम। लेकिन बंदर उस मां से दूध पीना पसंद करते थे जिसमें थोड़ा कंबल लिपटा हुआ था। क्योंकि थोड़ा सा मां के शरीर का एहसास, थोड़ा सा मां की चमड़ी का स्पर्श, ऐसी कुछ प्रतीति उसमें थी। - अलग-अलग बंदर पाले गए। जो बंदर मां के पास पाले गए वे, जो कंबल से लिपटी मां के यंत्र से पाले गए वे, और जो तारों से लिपटी मां से पाले गए-उन तीनों में बुनियादी फर्क थे। पहले बच्चे बिलकुल स्वस्थ थे। दूसरे बच्चे शरीर से बिलकुल स्वस्थ थे, लेकिन मन से कुछ-कुछ विक्षिप्त थे। और तीसरे बच्चे शरीर से बिलकुल स्वस्थ थे, लेकिन मन से बिलकुल विक्षिप्त थे। " मां कुछ और भी दे रही है। पिता तो केवल जीवाणु दे रहा है, जो कि इंजेक्शन से भी दिया जा सकता है; मां कुछ और भी दे रही है। शरीर ही नहीं, उसके जीवन की ऊर्जा, उसके भीतर छिपे हुए प्राण बच्चे को सब तरफ से सम्हाल रहे हैं। यह संभव नहीं है कि यंत्र से किया जा सके। इसलिए वैज्ञानिक कहते हैं, पुरुष को कभी हम विदा भी कर सकते हैं, लेकिन स्त्री को विदा नहीं किया जा सकता। वह ज्यादा मौलिक है, ज्यादा आधारभूत है। लाओत्से कहता है कि स्त्रैण तत्व सृष्टि का मूल है। पुरुष सहयोगी है, आधार नहीं। ___ और स्त्रैण तत्व क्या है? स्त्रैण तत्व है, पहली बात समझ लेनी, गड्डे की भांति। स्त्री क्या है? स्त्री एक गर्भ, एक गड्डा है। एक रिसेप्टिविटी, एक ग्राहकता है। स्त्री में जगह है, स्पेस है। तभी तो उसमें बच्चा बड़ा हो सकता है। एक दूसरे जीवन को भीतर लेने की संभावना है। लाओत्से कहता है कि तुम भी स्त्रैण बनो, ताकि तुम भीतर ले सको। परमात्मा भी तुम्हारे भीतर तभी प्रवेश कर सकेगा जब तम गर्भ की भांति हो जाओगे। जगह बनाओ, गड्डा करो, स्थान बनाओ। और परमात्मा को भी तुम | 309
SR No.002375
Book TitleTao Upnishad Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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