SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 302
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ताओ उपनिषद भाग ५ कुछ आदिवासी जातियों में वह हिस्सा काम करता हुआ मालूम पड़ता है। तो आस्ट्रेलिया में एक छोटा सा कबीला है। वैज्ञानिक बड़े चकित हुए हैं कि उसका वह हिस्सा काम करता है। और जो हमारा हिस्सा काम कर रहा है वह उसका काम नहीं करता। मगर वह बड़ा चमत्कारी कबीला है। उसके बड़े गहरे अनुभव हैं जो कि समझ के बाहर हैं। उस कबीले के पास कोई भाषा नहीं है, कोई लिखने की लिपि नहीं है। लेकिन उस कबीले के गांव में बीच में वे एक वृक्ष लगाते हैं। उस वृक्ष का उपयोग वे मंदिर की तरह करते हैं। समझो कि किसी का बेटा शहर गया है कुछ खरीदने और बाप को बाद में याद आया कि मैं यह तो कहना भूल ही गया कि तुम फलां चीज खरीद लाना। तो वह उस वृक्ष के पास जाता है। उस वृक्ष के पास आंख बंद करके खड़ा हो जाता है। और बेटे को संदेश देता है बोल कर कि बेटा, यह चीज मैं भूल गया, तू यह और ले आना। इस पर कोई दस साल से अध्ययन चल रहा है। और हर मौके पर बेटे को संदेश पहुंच जाता है। लेकिन उस वक्त यह भीतर का मस्तिष्क काम कर रहा है जो साधारणतः काम नहीं करता। उस जाति का वह मस्तिष्क बड़ी तीव्रता से काम कर रहा है। इजरायल में एक आदमी है, ऊरी। वह दस फीट की दूरी से सिर्फ हाथ के इशारे से किसी भी चीज को तोड़-मरोड़ देता है। चम्मच रखी है दस फीट की दूरी पर, वह सिर्फ हाथ का इशारा करता है, चम्मच मुड़ कर गोल हो जाती है। ऐसे उसने हजारों प्रयोग किए। बड़ा, सबसे बड़ा चमत्कारी प्रयोग तो हुआ, लंदन में पिछले वर्ष टेलीविजन पर उसने यह दिखाया। टेलीविजन पर उसने दस-पचास चीजें टेबल पर रखी हुई दूर से खड़े होकर हाथ के इशारों से मरोड़ दी, तोड़ दीं। जैसे कि साधारणतः तुम जिस चम्मच को हाथ से भी नहीं घुमा सकते उसे वह दूर से खड़े होकर घुमा देता। पर यह तो ठीक ही था, संयोगवशात एक और बड़ी घटना घटी कि जो लोग टेलीविजन देख रहे थे, उनके घर में कई चीजें तोड़ी-मरोड़ी हो गईं-हजारों। टेलीविजन देख रहे थे लाखों लोग, उनके घरों में, जैसे कि टेलीविजन बैठे देख रहे हैं और टेबल पर कोई गमला रखा है, वह एकदम बिना किसी कारण के आड़ा-तिरछा हो गया। इस आदमी का वह मस्तिष्क काम कर रहा है जो साधारणतः काम नहीं करता। जिस दिन विज्ञान इसको ठीक, से समझ लेगा उस दिन यह हमारा सबसे महत्वपूर्ण मस्तिष्क सिद्ध होने वाला है। संभवतः इसी मस्तिष्क में योग की, पतंजलि की सारी सिद्धियां छिपी हैं। शायद इसी मस्तिष्क को सक्रिय करने के सारे योग के साधन हैं, प्रक्रियाएं हैं। शायद ध्यान की गहनता में यही मस्तिष्क सबसे पहले सक्रिय हो जाता है, और चमत्कार शुरू हो जाते हैं। मैं यह इसलिए कह रहा हूं, ताकि तुम्हें समझ में आ सके कि जीवन में कुछ भी अकारण नहीं है। तुम्हारा क्रोध, तुम्हारा लोभ, तुम्हारा मोह, कुछ भी अकारण नहीं है। उसका उपयोग करना है। अशुभ का भी उपयोग कर लेना है। तब अशुभ भी शुभ हो जाता है। और अगर तुमने शुभ का भी उपयोग न किया तो वह भी सड़ जाता है और अशुभ हो जाता है। जीवन की सारी कला एक बात में है कि कैसे जो तुम्हें मिला है उस सबको तुम एक लयबद्धता में बांध लो। अब हम इस सूत्र को समझें। 'एक बड़े देश की हुकूमत ऐसे करो जैसे कि एक छोटी मछली भूजते हो। रूल ए बिग कंट्री एज यू वुड फ्राय ए स्माल फिश।' छोटी मछली भूजना एक कला है। बड़ा सावधान होना जरूरी है। क्योंकि मछली इतनी छोटी है कि अगर तुम जरा ही ज्यादा भूज दो तो जल जाएगी। अगर जरा ही कम पूँजो तो कच्ची रह जाएगी। लाओत्से यह कह रहा है कि जीवन को शासित करना, अनुशासित करना, अपने या दूसरे के, बड़ा नाजुक मामला है-छोटी मछली भंजने जैसा नाजुक। जरा अति हो गई कि भूल हो जाएगी। अतिशय से बचना। 292
SR No.002375
Book TitleTao Upnishad Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy