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________________ ताओ उपनिषद भाग ५ अठारह घंटे सोता है। फिर सोलह घंटे सोता है। फिर धीरे-धीरे जरूरत कम होती जाती है। जैसे-जैसे बच्चे का शरीर पूरा हो जाता है, सृजन का काम बंद हो जाता है, आठ घंटे के करीब, सात-आठ घंटे के करीब ठहर जाती है बात। फिर पैंतीस साल के बाद शरीर में दूसरी क्रिया शुरू होती है, टूटने की। जब टूटने की क्रिया शुरू होती है तो नींद कम होने लगती है। क्योंकि जब नींद कम होगी तभी शरीर टूट सकता है, नहीं तो टूट नहीं सकता। जैसे कि बच्चे के शरीर के बनने में नींद की जरूरत है बूढ़े के शरीर के टूटने में नींद की बिलकुल जरूरत नहीं है। नहीं तो बूढ़ा मरेगा ही नहीं। तो नींद कम होने लगेगी। नींद के कम होने का मतलब यह है कि शरीर में अब बनने का काम बंद हो गया। हिंदुओं के शास्त्र बूढ़ों ने लिखे। तो बूढ़े अपने हिसाब से लिखते हैं। अगर दो माह का बच्चा शास्त्र लिख सके तो वह लिखेगा कि बीस घंटे सोना नियम है। जवान अगर लिखेगा तो सात-आठ घंटे सोना नियम है। बूढ़ा अगर लिखेगा तो तीन-चार घंटे काफी हैं। फिर एक-एक व्यक्ति में भेद है। तुम भोजन अलग-अलग ढंग का करते हो। अब जो मांसाहारी है वह थोड़ा ज्यादा सोएगा। जो शाकाहारी है वह थोड़ा कम सोएगा। क्योंकि मांस को पचाने के लिए शरीर को ज्यादा श्रम करना पड़ता है। शाक-सब्जी को पचाने के लिए उस तरह का श्रम नहीं करना पड़ता। इसलिए शाकाहारी कम सोएगा। जो मजदूर है वह ज्यादा सोएगा। क्योंकि दिन में इतना श्रम किया है कि शरीर के बहुत से सेल टूट गए; उनको पूरा करने के लिए उसे गहरी नींद जरूरी है। जो करोड़पति है उसको सोने के लिए ट्रैक्वेलाइजर लेना पड़ेगा। क्योंकि उसने कोई श्रम किया नहीं, कुछ टूटा नहीं। जब कुछ टूटा नहीं तो बनने का सवाल नहीं है। इसलिए नींद की कोई जरूरत नहीं है उसकी। तो रात करवटें बदलेगा। करवटें बदलना, असल में, शरीर की तरकीब है नींद में श्रम करने की। करवट बदलने का इतना ही मतलब है कि कुछ भी नहीं किया तो कम से कम करवट तो बदलो, तो थोड़ा श्रम हो जाए। थोड़ा श्रम हो जाए तो थोड़ी नींद लग जाए। अगर तुमने बौद्धिक श्रम किया है दिन में तो नींद कठिन हो जाएगी; अगर शारीरिक श्रम किया है तो नींद बड़ी सुगम होगी। फिर हर आदमी पर अपनी-अपनी...। इसलिए किसी शास्त्र के नियम में मत पड़ना। क्योंकि जिसने नियम . बनाया था वह तुम नहीं हो। जिसने नियम बनाया था वह अपने लिए होगा; उसके लिए ठीक रहा होगा। दुनिया में हजारों अड़चनें कम हो जाएं अगर प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन की सहजता को खोज कर नियम बनाने लगे। ___मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि पुरुष अगर पांच बजे उठ जाएं तो कोई हर्जा नहीं है। उनकी नींद पांच बजे पूरी हो जाती है। लेकिन स्त्रियों की नींद कोई साढ़े छह बजे पूरी होती है, या सात बजे पूरी होती है। लेकिन नियम यह है कि पत्नी को पहले उठना चाहिए, नहीं तो पति नाराज होगा। वैज्ञानिकों ने बहुत खोज की है नींद पर। चौबीस घंटे में दो घंटे शरीर का तापमान नीचे गिरता है। वे ही दो घंटे गहरी नींद के घंटे हैं। पुरुषों का तापमान गिरता है कोई तीन और पांच के बीच में; स्त्रियों का तापमान गिरता है कोई छह और आठ के बीच में। वे गहरे से गहरे नींद के क्षण हैं। अगर वे दो घंटे तुमने सो लिए तो तुम ताजा अनुभव करोगे। अगर उन दो घंटों में व्याघात पड़ गया तो तुम दिन भर परेशान अनुभव करोगे। तो अगर हम वैज्ञानिक की सलाह मानें तो सुबह की चाय पति को बनानी चाहिए, पत्नी को बिलकुल नहीं। उसे सोए रहना चाहिए बिस्तर पर; पति को लाना चाहिए चाय बना कर; अगर वैज्ञानिक की हम बात सुनें। क्योंकि स्त्रियों के शरीर का ढंग और है, पुरुष के शरीर का ढंग और है। उनके हारमोन अलग हैं। उनके शरीर की भीतरी बनावट और है। और उसके अनुसार सारी जीवन-व्यवस्था होनी चाहिए। __ मिताचार का अर्थ है कि तुम थोड़े से नियम बनाना, और नियम भी उधार मत लेना। और कठिन नहीं है, अगर तुम थोड़े से प्रयोग करो। कितना कठिन है? अगर तुम एक तीन सप्ताह प्रयोग करके देख लो, सब तरह से उठ 254
SR No.002375
Book TitleTao Upnishad Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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