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________________ आदर्श योग है, सामान्य व स्वयं छोबा स्वास्थ्य सिर्फ उसने एक बात कही, क्योंकि वह इतनी छोटी गाड़ी में कभी नहीं बैठा था। एक फिएट! वह बैठता था बड़ी गाड़ियों में, लंबी से लंबी गाड़ियों में। उसने कहा, इस छोटी गाड़ी में? उस सैनिक ने कहा, चुपचाप बैठ जाएं। हेलसिलासी चुपचाप सरक कर भीतर बैठ गया। गाड़ी चली गई। उसे ले जाकर उन्होंने गांव के एक छोटे से मकान में रख दिया। जैसे कि कोई खेत में खड़ा हुआ पुतला गिर जाए। व्यवस्था एक भाव-दशा है; तलवारों से नहीं चलती। और जब कोई राज्य तलवार का भरोसा करने लगता है, समझो कि उसके गिरने के दिन आ गए; आखिरी वक्त आ गया। यह मौत की घड़ी है। जैसे मौत के क्षण में एक भभक आती है जीवन की, और लपट बुझने के पहले जोर से भभकती है, ऐसे ही जिस दिन बड़ी तलवार राज्य के हाथ में उठी देखो, समझो कि मौत करीब आ गई। यह आखिरी भभक है। अब आखिरी उपाय किया जा रहा है। लाओत्से कहता है, 'जितने तकनीकी कौशल होते हैं, उतने ही लोग ज्यादा चालाक हो जाते हैं।' लाओत्से यंत्रों के विरोध में था। और उसकी बात सच है। क्योंकि यंत्र एक तरह की चालाकी है, प्रकृति के साथ एक तरह की कनिंगनेस। तुम प्रकृति से वह निकाल लेने की कोशिश कर रहे हो जो प्रकृति देने को तैयार न थी। यंत्र का मतलब यही है। तो जितने तकनीकी कौशल बढ़ते जाते हैं उतने लोग चालाक होते जाते हैं। जब तुम प्रकृति के साथ चालाक हो तो क्या वजह है कि मनुष्य के साथ चालाकी न की जाए? कोई कारण नहीं है। चालाकी चालाकी है। तुम जब चीजों को धोखा दे रहो हो...। अब अमरीका में हर चीज को धोखा दिया जा रहा है। फलों में इंजेक्शन लगाए जाते हैं, ताकि फल खूब बड़ा हो जाए। अब फल को इंजेक्शन देकर तुम वृक्ष के प्राण सोख रहे हो। मुर्गियां, भैंसें, सब इंजेक्शन देकर उनसे ज्यादा दूध लिया जा रहा है। कोई फर्क नहीं पड़ता, बेहदे ढंग से या ससभ्य ढंग से। कलकत्ते में एक पाप चलता है कि गाय या भैंस की योनि में एक डंडा डाल देते हैं दूध लगाते वक्त। उससे उसे इतनी बेचैनी होती है, लेकिन उस बेचैनी के कारण वह ज्यादा दूध दे देती है घबड़ाहट में। उसे पीड़ा होती है, लेकिन ज्यादा दूध दे देती है। अब यह बहुत अभद्र ढंग हुआ। एक इंजेक्शन लगा दिया, उस इंजेक्शन के कारण, हार्मोन्स के कारण ज्यादा दूध निकल आता है। लेकिन अब तुम गाय को धोखा दे रहो हो। जो गाएं मांसाहार के लिए काटी जाती हैं, उनको तो वे बिलकुल इंजेक्शन देकर कोमा में रखते हैं। उनको बाहर भी नहीं लाते, रोशनी में भी नहीं लाते। उनको तो बिलकुल वातानुकूलित गहों में इंजेक्शन देकर ही रखते हैं। वे कोमा में पड़ी रहती हैं बेहोश, लेकिन उनका मांस बढ़ता जाता है इंजेक्शन दे-देकर। इतना मांस बाहर नहीं बढ़ सकता। क्योंकि वे चलेंगी-फिरेंगी तो मांस पचता है। तो उतना नुकसान होता है धंधे वाले को। तो उनको चलने-फिरने ही नहीं दिया जाता। उनका जीवन बिलकुल पौधों की तरह कर दिया जाता है। पड़ी है गाय, उसको इंजेक्शन दिए जा रहे हैं। उसका मांस बढ़ता ही जाता है। वह मांस का लोथड़ा है सिर्फ। वह बेहोश है। बस उसको काट देंगे। वह जीयी, इसका भी उसको कभी पता नहीं चलेगा। उसने कभी सांस भी जीवन की ली, इसका उसे कोई पता नहीं चलेगा। अब यह सब चालाकी है। लाओत्से कहता है कि जितना तकनीकी कौशल बढ़ता है, उतनी ही चालाकी बढ़ती जाती है। एक घटना घटी। एक आदमी ने किसी को गोली मारी अमरीका के एक नगर में। जिस आदमी ने गोली मारी वह तो भाग गया; और यह आदमी मर गया, और तत्क्षण उसका हृदय निकाल लिया गया। क्योंकि आदमी मर ही रहा था तो उसका हृदय निकाल लिया ताजा। और वह हृदय दूसरे आदमी को लगा दिया गया। कोई हजार मील दूर तत्क्षण एरोप्लेन से ले जाकर वह, किसी मरते हुए मरीज को हृदय के, लगा दिया गया। फिर एक बड़ी कानूनी दिक्कत आई। वह आदमी पकड़ लिया गया जिसने गोली मारी थी। उसके वकील ने अदालत में कहा कि जब तक 217|
SR No.002375
Book TitleTao Upnishad Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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