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ताओ उपनिषद भाग ५
तुम्हारे पैर धोए और जिसका तुम पर इतना प्रेम था कि तुम उसकी हत्या करवाने जा रहे थे तो भी उसने कहा, अब तू जल्दी कर जो भी तुझे करना है, क्योंकि रात फिर बीती जाती है।
जिस पुरोहित ने तीस रुपए दिए थे और जीसस को फांसी लगवाई थी वह भी डरा कि इन तीस रुपयों को वापस कैसे रखना? उसको भी लगा कि ये हैं तो रुपए बहुत घृणित, इनका कोई उपयोग तो हो नहीं सकता। तो उसने अपने सब पुरोहितों को इकट्ठा किया और पूछा, इनका क्या करना? उन्होंने कहा, इनका कुछ उपयोग नहीं हो सकता, एक ही काम हो सकता है कि एक जमीन बिकती है उसे हम खरीद लें इन रुपयों से और भिखमंगों और गरीबों के लिए मरघट नहीं है तो उनके लिए मरघट हो जाए। बस इन रुपयों से मरघट ही खरीदा जा सकता है।
वह मरघट जेरूसलम में अब भी है। उन तीस रुपयों से सिर्फ मरघट खरीदा जा सकता है। जीवन का कुछ भी उनसे खरीदना जीवन को कलुषित करना होगा। सिर्फ लाशें ही दफनाई जा सकती हैं उन तीस रुपयों से। यह पुरोहित को भी लगा, जिसने कि फांसी लगवाई है। वह भी उन रुपयों को रख न सका वापस। वे रुपए भारी थे पाप से। और बड़े से बड़े पाप से भारी थे। क्योंकि एक शिशुवत, बच्चे को... । एक छोटा सा बच्चा रास्ते पर जा रहा हो और तुम उसकी हत्या कर दो।
____ लाओत्से कहता है, 'जंगली कीड़े उसे दंश नहीं देते, जंगली जानवर उस पर हमला नहीं करते, और शिकारी परिन्दे उस पर झपट्टा नहीं मारते।'
पर आदमी उन सबसे गया-बीता है। और आदमी ने शिशुवत व्यक्तियों की भी हत्याएं की हैं; उनको भी जहर पिला दिया है। इसे तुम खयाल रखना कि आदमी की ऊंचाई कोई जानवर नहीं पा सकता और आदमी की नीचाई भी कोई जानवर नहीं पा सकता। अगर आदमी ऊंचा होना चाहे तो परमात्मा की ऊंचाई उसकी ऊंचाई हो जाती है। और अगर नीचा होना चाहे तो कोई जानवर उससे प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता। कोई जानवर प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता; हिंस्र से हिंस्र पशु भी पीछे छूट जाएंगे। आदमी का कोई मुकाबला नहीं है। नीचे गिरे तो नरक तक जा सकता है; ऊंचा उठे तो स्वर्ग उसकी श्वास-श्वास में बस जाता है।
लेकिन लाओत्से कहता है कि जब तुम शिशुवत हो जाते हो तो सारा अस्तित्व जैसे तुम्हारी सुरक्षा करता है। .. तुम जब आक्रामक नहीं हो तो कोई क्यों आक्रामक होगा?
'यद्यपि उसकी हड्डियां मुलायम हैं, उसकी नसें कोमल, तो भी उसकी पकड़ मजबूत होती है।'
छोटे बच्चे की पकड़ का तुम्हें खयाल है? तुम एक अंगुली दे दो, वह अंगुली को पकड़ ले, तब तुम्हें पता चलेगा कि उसकी पकड़ मजबूत है। कोमल की पकड़ मजबूत! छोटा पौधा झुकता है तो भी जड़ों की पकड़ मजबूत है। जड़ें बड़ी छोटी हैं और बड़ी कोमल हैं। कोमलता की भी एक पकड़ है जो बड़ी मजबूत है। सच तो यह है कि कोमलता से बड़ी मजबूत जड़ें किसी चीज की नहीं हैं। कोमल से ज्यादा शक्तिशाली कोई नहीं है। निर्मल से ज्यादा शक्तिशाली कोई नहीं है। सरलता से ज्यादा शक्तिशाली कोई भी नहीं है। निर्दोषता परम शक्ति है, इनोसेंस, उसकी पकड़ मजबूत है। और अगर तुम्हारे हृदय से बहा हो तुम्हारा चरित्र तो उस चरित्र की भी पकड़ ऐसी ही मजबूत होगी; उसे कोई हिला न सकेगा। तूफान आएं, चले जाएं; तुम पर कोई चोट, कोई निशान भी नहीं छूटेगा।
'यद्यपि वह नर और नारी के मिलन से अनभिज्ञ है, तो भी उसके अंग-अंग पूरे हैं।' __ यह बड़ी महत्वपूर्ण बात है। छोटा बच्चा अभी विभाजित नहीं है सेक्स की दृष्टि से भी। छोटे बच्चे के भीतर की स्त्री और पुरुष अभी मिले हुए हैं। इसीलिए तो छोटा बच्चा, चाहे वह लड़का हो, तो भी स्त्रैण मालूम होता है। लड़के और लड़कियों में एक उम्र तक कोई फर्क नहीं होता; दोनों एक जैसे कोमल होते हैं। फर्क इतना ही होता है, कपड़े हम उनको अलग-अलग पहना देते हैं। संभावनाएं भिन्न हैं उनकी, लेकिन एक सीमा तक उनमें कोई फर्क नहीं
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