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________________ ताओ उपनिषद भाग ५ 150 ऐसा है, और शक्तिशाली आदमी था, डर ऐसा था राम के भक्तों को, मित्रों को कि अगर रावण स्वयंवर में मौजूद रहा तो वह शिव का धनुष तोड़ देगा। वह शिव का भक्त भी था । और भक्ति उसकी अपरिसीम थी। कथा है कि अपनी गर्दन चढ़ा देता था। वही तो भक्ति है जब तुम अपना सिर रख दो। तो डर था कि वह शिव का भक्त है, और धनुष भी शिव का है; तोड़ दे सकता है । और बलशाली था । और सुंदर था । समृद्धशाली था । प्रतापी था । बड़ा राज्य था। स्वर्ण की उसकी लंका थी । डर था। इसलिए एक षड्यंत्र रचा गया। और ऐन वक्त पर जब स्वयंवर रचा था उसको झूठी खबर दी गई कि लंका में आग लग गई है। वह खबर झूठी थी। लेकिन लंका में आग लग गई है, इसलिए वह भागा हुआ लंका गया। इस बीच स्वयंवर हो गया। राम ने धनुष तोड़ दिया। सीता ब्याह कर चली गई। यहीं सारी उपद्रव की बात शुरू हुई। सीता का चुराना सिर्फ प्रत्युत्तर है । और रावण बुरा आदमी नहीं था। क्योंकि सीता को ले जाकर भी कोई दुराचरण नहीं किया; सीता को सुरक्षित रखा। सीता के ऊपर कोई जबरदस्ती नहीं की। राम ने जितनी जबरदस्ती सीता पर की उतनी रावण ने नहीं की है। क्योंकि कथा बड़ी अजीब है। जब रावण हार गया और सीता को राम वापस ले आए, तो वाल्मीकि में जो शब्द हैं वे बड़े दुखद हैं। क्योंकि राम ने सीता से कहा कि तू यह मत समझना कि यह युद्ध हमने तेरे लिए किया। यह युद्ध तो परंपरा के लिए, वंश की प्रतिष्ठा के लिए। ये शब्द अभद्र हैं। और फिर एक धोबी के कहने पर सीता को जंगल में फेंक दिया; गर्भिणी जंगल में छोड़ दिया बिना चिंता किए। फिर भी राम के भक्त को यह कुछ भी दिखाई न पड़ेगा। रावण की सब बुराई दिखाई पड़ेगी; राम की सब भलाई दिखाई पड़ेगी। अब दक्षिण में रावण के भक्त पैदा हो रहे हैं। उनको रावण की सब भलाई दिखाई पड़ती है; राम की सब बुराई दिखाई पड़ती है। आंख साफ होनी चाहिए और सीधा देखना चाहिए । भलाई राम में भी है; और बुराई रावण में भी है। बुराई राम में भी है; भलाई रावण में भी है। असल में, इस पृथ्वी पर कोई पूर्ण नहीं हो सकता। जो पूर्ण हो जाते हैं वे तिरोहित हो जाते हैं । इस पृथ्वी पर कोई आदमी इतना कर सकता है कि निन्यानबे प्रतिशत भला हो जाए। लेकिन एक प्रतिशत बुराई बची ही रहेगी। नहीं तो इस जमीन से संबंध ही टूट जाता है। बुराई ही तो बांधती है। और इस दुनिया में कोई आदमी चाहे तो निन्यानबे प्रतिशत बुरा हो सकता है। लेकिन एक प्रतिशत भलाई बची रहेगी। न तो सौ प्रतिशत बुरा आदमी मिलता है कहीं, न सौ प्रतिशत भला आदमी मिलता है कहीं । पुण्यात्मा में छोटा सा पापी छिपा रहता है; पापी में छोटा सा पुण्यात्मा छिपा रहता है। तभी तो वह बदलाहट की संभावना है, नहीं तो बदलाहट की संभावना भी खो जाएगी। न तो कोई रावण और न कोई देव है । सब मिश्रित है। और तुम सीधा देखना। और अपनी धारणा को बना कर मत देखना । जैसे ही तुमने धारणा बना ली वैसे ही तुम्हारी आंखें अंधी हो गईं। धारणा अंधापन है। 'संसार के चरित्र के अनुसार संसार को परखो। मैं कैसे जानता हूं कि संसार ऐसा है?” 1 इस परख के द्वारा कि मैं सीधे देखता हूं। मेरा कोई लगाव नहीं। मेरा कोई पक्ष-विपक्ष नहीं । ध्यान रखना, पक्ष-विपक्ष बुद्धि के खेल हैं। निष्पक्ष जब तुम देखोगे तभी तुम्हारा हृदय देखने में समर्थ हो पाएगा। तुम पक्ष-विपक्ष में खड़े ही मत होना । तुम सीधे-सीधे देखना । तुम आंख को दर्पण बना कर देखना । तुम्हारी आंख देखने में कुछ भी न जोड़े। जो तुम्हारे सामने हो उसी को देखना। अगर तुम्हें राम में भी बुराई दिखाई पड़े तो देखना। अगर रावण में भी भलाई दिखाई पड़े तो देखना । तुम यह मत कहना कि यह रावण है, इसमें भलाई कैसे हो सकती है! यह तुम मत कहना कि ये राम हैं, इनमें बुराई कैसे हो सकती है ! अगर तुमने ऐसी धारणाएं रखीं तो तुम हो। तब तुम न तो चरित्र को देख पाओगे और न चरित्र को उपलब्ध कर पाओगे। निष्पक्ष होकर देखना । *
SR No.002375
Book TitleTao Upnishad Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages440
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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