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स्वास्थ्य की खोज
धर्म है समग
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मुश्किल है निष्पक्ष आदमी खोजना, क्योंकि निष्पक्ष आदमी अगर हो तो कोई भी उसके पक्ष में न होगा। वह इतना सीधा देखेगा कि न तो वह तुम्हारे राम को राम कहेगा और न तुम्हारे रावण को रावण कहेगा। रावण के मानने वाले उस पर नाराज होंगे कि तुम रावण में कुछ बुराई देखते हो ? राम के मानने वाले नाराज होंगे कि तुम राम में कुछ बुराई देखते हो? सब अंधे उससे नाराज होंगे। आंख वाला अंधों के बीच में पड़ जाए तो सभी नाराज होंगे। और अंधे पूरी कोशिश करेंगे कि तुम्हारी आंखों में कुछ गड़बड़ है। क्योंकि हम सब जैसा देखते हैं, तुम क्यों नहीं देखते ? अंधे कोशिश करेंगे कि तुम्हारी आंखों का आपरेशन कर दिया जाए। तब तुम बिलकुल ठीक हो जाओगे ।
एक गांव में ऐसा हुआ। एक जादूगर ने एक कुएं में मंत्र फेंक दिया और कहा कि अब जो भी इसका पानी पीएगा, पागल हो जाएगा। सारे गांव ने पानी पीया । एक ही कुआं था गांव में एक और कुआं था, लेकिन वह राजा के महल में था। राजा बड़ा प्रसन्न हुआ, और वजीर बड़े प्रसन्न हुए कि कम से कम हमारा अलग कुआं है। तो वजीर और राजा तो पागल नहीं हुए, पूरा गांव पागल हो गया।
लेकिन शाम तक बड़ा तनाव फैलने लगा। क्योंकि राजा के पहरेदार, सिपाही, सैनिक सब पागल हो गए। और गांव में एक अफवाह उड़ने लगी कि मालूम होता है, राजा पागल हो गया है। शाम होते-होते गांव में आंदोलन तैयार हो गया। लोग भीड़ लगा कर राजमहल के चारों तरफ इकट्ठा हो गए और उन सबने चिल्ला कर कहा कि यह राजा पागल हो गया है, हम राजा को बदलना चाहते हैं !
राजा छत पर आया; उसने वजीर से पूछा, अब क्या करना ? उसने कहा, एक ही रास्ता है कि हम भी उसी कुएं का पानी पी लें। अब ये सब पागल हो गए हैं, मगर अब इनको कौन समझाए ? और ये सभी हैं सहमत, अब हम इन्हें पागल दिखाई पड़ रहे हैं। हालांकि हमें पता है कि हम पागल नहीं हैं, लेकिन इससे अब कुछ होगा नहीं । अब देर न करें । वजीर ने राजा से कहा कि आप लोगों को समझा कर रोकें, थोड़ी देर में मैं पानी लेकर आता हूं भागा हुआ। वह गया और कुएं से पानी भर लाया। दोनों ने पानी पीया, दोनों पागल हो गए। गांव उस रात भर उत्सव मनाता रहा कि हमारे राजा और वजीर की बुद्धि ठीक हो गई; धन्यवाद परमात्मा का !
तुम जिस बस्ती में हो वह पागलों की है, पाखंडियों की है। तुम जिनके बीच हो उनके बीच शुद्ध आंख को पैदा करने में बड़ी कठिनाई होगी। लेकिन वह कठिनाई गुजरने जैसी है। शुद्ध आंख पैदा कर लो। क्योंकि उसके बिना परमात्मा को देखने का कोई उपाय नहीं । सत्य को निष्पक्ष आंख ही देख सकती है। पक्षपात सभी असत्य हैं।
आज इतना ही ।