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ताओ उपनिषद भाग ३
आश्वस्त हो गए हैं, अपने होने से और आनंदित हो गए हैं। और इस जगत के साथ उन्होंने एक गहरी मैत्री भी साध ली। आंधी भी उनका कुछ बिगाड़ती नहीं; आंधी भी उन्हें बना जाती है, सहला जाती है।
लाओत्से कहता है, 'झुकना है सूत्र सुरक्षा का, टु यील्ड इज़ टु बी प्रिजर्ल्ड होल।'
इसे हम और पहलुओं से भी देखें। देखा है, रोज छोटे बच्चे गिर जाते हैं; चोट नहीं खाते हमारे जैसी। हम भी कभी छोटे बच्चों की तरह थे और गिरते थे और चोट नहीं खाते थे। एक बड़े आदमी को एक बच्चे की तरह चौबीस घंटे गिरा कर देखें, तब आपको पता चलेगा। सब हड्डी-पसली टूट जाएगी, जगह-जगह फ्रैक्चर हो जाएंगे। होना तो उलटा चाहिए था। बच्चे की हड्डी तो है कमजोर, कोमल; आपकी हड्डी तो ज्यादा मजबूत, ज्यादा शक्तिशाली है। बच्चा गिरता है, उठता है, खेलने लगता है। आप गिरते हैं, सीधा एंबुलेंस में सवार होते हैं। क्या, फर्क क्या है? अगर शक्ति ही विजय है और शक्ति ही सुरक्षा है तो बच्चे की हड्डियां टूटनी चाहिए, आपकी नहीं।
छोड़ें बच्चे को। कभी देखा है शराबी को रास्ते पर गिर जाते? आप जरा गिर कर देखें। जो शराब नहीं पीते हैं, साधु हैं भले, जरा गिर कर देखें शराबी की तरह रास्ते पर। तब आपको पता चलेगा कि शराबी भी क्या चमत्कार कर रहा है। रोज गिरता है, रोज सुबह घर पहुंच जाता है। न हड्डी टूटती है, न कुछ होता है। इस शराबी में क्या राज है? वह बच्चे वाला ही राज है। यह लाओत्से का ही सूत्र है। असल में बच्चे को पता नहीं है कि वह गिर रहा है। वह झुक जाता है। वह गिरने में राजी हो जाता है; रेसिस्ट नहीं करता। शराबी का भी राज वही है। जब वह गिरता है तो वह बेहोश है, उसे होश ही नहीं है कि वह गिर रहा है। वह मजे से गिर जाता है।
गिरते वक्त आपको होश होता है कि मैं गिरा। आप विरोध करते हैं कि गिरूं न। वह जो जमीन की गुरुत्वाकर्षण की शक्ति है, ग्रेविटेशन है, वह खींचती है नीचे आंधी की तरह। और आप उठते हैं ऊपर कि नहीं गिरूंगा। इस कशमकश में हड्डियां टूट जाती हैं। रेसिस्टेंस है। वही रेसिस्टेंस, वही प्रतिरोध, जो बड़ा वृक्ष आंधी को देता है, आप भी समझदार होकर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण को देते हैं।
लाओत्से कहता है, गिर जाओ। जब गिर ही रहे हो, यील्ड; तब लड़ो मत, तब गिर ही जाओ। अपनी तरफ से गिर जाओ। साथ दो। और हड्डियां नहीं टूटेंगी।
वह बच्चा अनजाने, उसे कुछ पता नहीं क्या हो रहा है, झुक जाता है। बच्चा छोटे पौधे की तरह व्यवहार करता है। शराबी भी छोटे पौधे की तरह व्यवहार करता है। होश नहीं है इसलिए। यही शराबी होश में दोपहर में गिरेगा, तब चोट खाएगा। और यही रात पीकर नाली में पड़ा रहेगा, सड़क पर गिर जाएगा, और चोट नहीं खाएगा।
कई बार ऐसा होता है कि गाड़ी उलट जाती है, कार उलट जाती है, छोटे बच्चे बच जाते हैं। लोग समझते हैं, भगवान बड़ा दयालु है। अगर भगवान दयालु है तो बड़ों को बचाना चाहिए, इन पर ज्यादा मेहनत हो चुकी है, ज्यादा खर्चा हो चुका है। यह धंधा दया का नहीं है। एक बच्चे पर जिस पर अभी पचास साल खर्च होंगे, तब इस लायक हो पाएगा, या नालायक हो पाएगा। जिस पर पचास साल खर्च हो चुके हैं, पहले इसे बचाना चाहिए। इसमें काफी इनवेस्टमेंट है। लेकिन यह मर जाता है। छोटे बच्चे बच जाते हैं। नहीं, भगवान का कुछ इसमें हाथ नहीं है। छोटे बच्चे बच जाते हैं, क्योंकि यील्ड कर जाते हैं; जो भी हो रहा है, उसमें साथी हो जाते हैं; उसके विरोध में खड़े नहीं होते। उसको शत्रुता से नहीं लेते। उसको मित्रता से ले लेते हैं। ले लेते हैं, होश ही नहीं है इसलिए।
संत इसी को होश से करता है। जो बच्चे अनजाने में करते हैं, जो शराबी बेहोशी में करता है, संत इसी को होश में करता है।
चीन और जापान, दोनों मुल्कों में लाओत्से के आधार पर युद्ध की कई कला और कई कौशल विकसित हुए हैं-जुजुत्सु, जूडो। उनका सारा सीक्रेट, सारा राज यही सूत्र है-यील्ड। जब दुश्मन चोट करे, प्रतिरोध मत करो,
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