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________________ ताओ उपनिषद भाग ३ 50 बीमारी के खिलाफ है खबर । जब आपका शरीर गर्म होता है, फीवरिश हो जाता है, तो बुखार बीमारी नहीं है, बुखार केवल आपके शरीर के द्वारा दी गई सूचना है कि भीतर बीमारी है। जो बुखार को मिटाने में लग जाए, वह पागल है। बीमारी को मिटा देना चाहिए, बुखार अपने से तिरोहित हो जाएगा। लेकिन मनुष्य के गहन अंतस जगत में हम यही कर रहे हैं। एक आदमी बेईमान है तो हम उसकी बेईमानी मिटाने में लग जाते हैं। एक आदमी चोर है तो हम उसकी चोरी मिटाने में लग जाते हैं। एक आदमी झूठ बोलता है तो हम उसका झूठ बोलना मिटाने में लग जाते हैं। बिना इसकी फिक्र किए कि एक आदमी झूठ बोलता है, चोरी करता है, बेईमान है, क्यों ? लाओत्से कहता है, बुद्ध कहते हैं, वही व्यक्ति अनैतिक होता है, जिसका अपने से कोई संबंध नहीं। इसे हम उनकी भाषा में कहें तो अनैतिक वही व्यक्ति होता है, जो धार्मिक नहीं है। धार्मिक का मतलब हुआ, जिसका अपने से संबंध है। इसलिए अनैतिकता केवल हमारे अधार्मिक होने की सूचना है, लक्षण है। उन लक्षणों को बदलने से कुछ भी न होगा। क्योंकि जब कोई लक्षण बदलने में लगता है तो बड़ी जटिलताएं पैदा होती हैं। अगर एक बीमारी लक्षण प्रकट हुआ, आपने उसको दबा दिया, तो दूसरी बीमारी की शक्ल में प्रकट होना शुरू होगा। वहां से दबाएंगे, तीसरी तरफ से शुरू होगा। और ध्यान रखें, हर बार दबाई हुई बीमारी गहन हो जाएगी और शरीर के और ज्यादा तंतुओं में फैल जाएगी। धीरे-धीरे यह हो सकता है कि एक बीमारी हजार बीमारियां बन जाए। बीमारी जब खबर देती है, तो कारण की तलाश होनी चाहिए। एक आदमी बेईमान है। साफ बात है कि इस आदमी को ईमानदार होने का कोई अनुभव नहीं है, कोई आनंद नहीं है। इसीलिए ईमानदारी को बेच पाता है, दो पैसे में बेच देता है। कहते हैं, जीसस को जुदास ने तीस रुपयों में बेच दिया । जुदास जीसस का शिष्य है और तीस रुपयों में उसने यहूदियों के हाथ बेच दिया, जहां उनको सूली लग गई। एक बात पक्की है कि जुदास जीसस का मूल्य नहीं समझ पाया; या तीस रुपए की ही कीमत समझ पाया होगा। जीसस क्या हैं, जुदास को इसकी कोई खबर नहीं हो पाई। तभी उसने तीस रुपए में बेच दिया। लेकिन जीसस के मर जाने के बाद उसको पहली दफा खबर मिली। वह भी उस भीड़ में छिपा हुआ खड़ा था, जहां जीसस को सूली हुई। सूली पर चढ़े हुए जीसस को जब जुदास ने देखा, तब उसे पहली दफा दिखाई पड़ा यह आदमी कौन है। और जब जीसस ने कहा कि हे परमात्मा, इन सब लोगों को क्षमा कर देना, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं, तब जुदास के भीतर कोई क्रांति घटित हो गई। उसके पैर के नीचे की जमीन खिसक गई होगी। जिस आदमी को उसने तीस रुपए में बेच दिया, सूली पर लटका हुआ, मृत्यु के कगार पर खड़ा, हाथ में खीले टुंके, मरता हुआ वह आदमी, जो उसे मार रहे हैं, पत्थर फेंक रहे हैं, गालियां बक रहे हैं, उन लोगों के लिए परमात्मा से प्रार्थना करता है: हे प्रभु, इन्हें क्षमा कर देना; क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं; इसलिए ये कसूरवार नहीं हैं। कसूर तो उसका होता है, जो जानता हो और करता हो । इन्हें तो कुछ पता ही नहीं है कि ये क्या कर रहे हैं; इनको क्षमा कर देना । जुदास की पूरी कहानी लोगों को पता नहीं है; क्योंकि जीसस की मृत्यु इतनी बड़ी घटना हो गई कि फिर और सब बातें फीकी पड़ गईं। जीसस के मरने के दूसरे दिन जुदास ने आत्महत्या कर ली। यह दूसरी बात खयाल में नहीं है। इसकी ज्यादा चर्चा भी नहीं होती। इतनी बड़ी घटना थी जीसस की सूली कि फिर सब फीका पड़ गया। लेकिन जुदास ने आत्महत्या कर ली पश्चात्ताप में। यह आदमी, जिसने तीसं रुपए में बेचा था, इतनी पीड़ा से भर गया। इसे पता चला पहली दफे कि इसने हीरा बेच दिया है तीस रुपए में – जिसका कोई मूल्य नहीं था, जो अमूल्य था। सारे
SR No.002373
Book TitleTao Upnishad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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