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________________ ताओ उपनिषद भाग ३ बर्नार्ड शॉ ने लिखा है एक पत्र में कि अगर लोगों को चोट पहुंचानी हो तो सच बोलने से ज्यादा कारगर दूसरा कोई उपाय नहीं है। किसी की अगर बिलकुल जड़ें ही काट देनी हों तो सच बोलने से ज्यादा और सुविधापूर्ण कोई शस्त्र नहीं है। ___हम सच का भी उपयोग झूठ की तरह करते हैं। झूठ का मतलब? हम उससे भी हिंसा ही करते हैं, उससे भी हम दूसरे को नुकसान और अपने को लाभ पहुंचाते हैं। वह हमारे लिए व्यवसाय का हिस्सा है। बुद्ध सच बोलते हैं तो कोई चुनाव नहीं है। जो भीतर है, वह बाहर आ जाता है। कोई विकल्प नहीं है। परम आचरण के सूत्रों का अर्थ है : ऐसा हो जाए भीतर का हृदय कि उससे जो निकले, वह सच हो; उससे जो निकले, वह ईमानदारी हो; उससे जो निकले, वह प्रेम हो; उससे जो निकले, वह करुणा हो। करुणा निकालनी न पड़े, प्रेम निकालना न पड़े, सत्य को खींचना न पड़े। खींचा हुआ सत्य सत्य नहीं रह जाता। और चेष्टा से किया गया प्रेम नाम को ही प्रेम होता है, प्रेम नहीं रह जाता। इसको थोड़ा प्रयोग करके देखें तो खयाल में आएगा। सत्य के संबंध में तो मुश्किल है; क्योंकि हमारी आदत सघन हो गई है। प्रेम में प्रयोग करके देखें; कोशिश करके कभी किसी को प्रेम करके देखें। चेष्टा करें प्रेम करने की। और तब आप पाएंगे कि आपकी चेष्टा आपके सारे प्रेम को झुठला रही हैं। जितनी आप चेष्टा करेंगे, जितना होगा एफर्ट, उतना ही झूठा हो जाएगा प्रेम। यह भी हो सकता है कि दूसरे को आप धोखा दे दें; लेकिन अपने को धोखा न दे पाएंगे। यह भी हो सकता है कि दूसरा मान ले कि प्रेम किया गया; लेकिन आप जानेंगे कि अभिनय से ज्यादा नहीं हुआ। हां, निरंतर चेष्टा से अभिनय में कुशलता आ जाएगी। फिर शायद आप भी भूल जाएं कि जो आप कर रहे हैं, वह अभिनय है, प्रेम नहीं। प्रेम को प्रयास से लाने का कोई उपाय जगत में नहीं है। कुछ चीजें हैं, जो प्रयास से नहीं आती, सहज आती हैं। जैसे रात नींद न आती हो तो कोशिश करके ले आएं। तब आपको पता चलेगा कि जितनी आप कोशिश करेंगे, नींद उतनी मुश्किल हो जाएगी। असल में अनिद्रा की । बीमारी कम लोगों को होती है; प्रयास की बीमारी ज्यादा लोगों को होती है। वस्तुतः अनिद्रा से कम लोग परेशान हैं; निद्रा को प्रयास से लाने से बहुत लोग परेशान हैं। नींद का मतलब ही है कि कोई प्रयास न होगा, तब नींद आएगी। अगर आपने प्रयास किया तो आ गई होगी नींद तो भी टूट जाएगी। प्रयास तो नींद को तोड़ेगा। ___लोग तरकीबें बताते हैं कि हजार तक गिनती गिन डालो रात में तो नींद आ जाएगी। हजार तक गिनती जो गिनेगा, नींद आनी तो मुश्किल है, थोड़ी-बहुत आ रही होगी, वह भी टूट जाएगी। क्योंकि हजार तक गिनती गिनने के लिए जो तनाव रखना पड़ेगा, वह नींद को तोड़ देगा। नींद प्रयास से नहीं आ सकती। जब आप सब प्रयास छोड़ देते हैं, तब नींद आती है। हां, कभी-कभी ऐसा हो सकता है कि हजार की गिनती करते-करते आप इतने ऊब जाएं, इतने परेशान हो जाएं कि फिर प्रयास छोड़ कर पड़ रहें कि आए न आए-और आ जाए। वह अलग बात है। लेकिन वह हजार की गिनती से नहीं आ रही है। थकान से आ सकती है। थक गए हों, प्रयास छूट गया हो, तो नींद आ जाए। नींद स्वाभाविक है; आप जब थक गए हैं, अपने आप आ जाती है। ठीक नींद जैसे बहुत से तत्व हैं जीवन में। और लाओत्से मानता है कि जीवन का जो परम आचरण है, वह नींद जैसा है; प्रयास जैसा नहीं है। स्वभाव से निष्पन्न होता है। तो आदमी क्या करे? हमारी चेष्टा यह होती है कि झूठ न बोलें, कोशिश से झूठ को रोक दें, कोशिश से सच बोलें। बेईमानी का मन हो रहा हो तो भी दबा दें और ईमानदारी का व्यवहार करें, यह हमारी शिक्षा है। इससे क्षुद्र आचरण पैदा होता है। और क्षुद्र मनुष्य पैदा होते हैं। उनका आचरण हो या अनाचरण, क्षुद्रता बराबर होती है। हमारे साधु और हमारे अपराधियों में क्षुद्रता में कोई भेद नहीं होता। 48
SR No.002373
Book TitleTao Upnishad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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