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नार्ड शॉ ने कहीं व्यंग्य में कहा है कि जब तक सारी दुनिया ईमानदार न हो जाए, तब तक मैं अपने बच्चों को कैसे कह सकता है कि ईमानदारी ही परम उपयोगी और लाभपूर्ण है। आनेस्टी इज़ दि बेस्ट पालिसी—यह मैं अपने बच्चों को तब तक कैसे कह सकता हूं, जब तक सारी दुनिया ईमानदार न हो जाए। सारी दुनिया ईमानदार हो तो ही ईमानदारी उपयोगी हो सकती है। बर्नार्ड शॉ जिस नैतिकता की, जिस आचरण की बात कर रहा है, लाओत्से उसे क्षुद्र नीति और क्षुद्र आचरण कहेगा। क्षुद्र आचरण सदा इस बात की फिक्र करता है कि आचरण भी उपयोगी और लाभप्रद होना चाहिए। क्षुद्र आचरण एक सौदेबाजी है, एक बार्गेनिंग है। उसका प्रतिफल क्या मिलेगा,
इस पर ही सब कुछ निर्भर है। अगर ईमानदार और सचाई और नेकी से जीने का परिणाम स्वर्ग होता हो तो मैं आचरण कर सकता हूं उनके अनुकूल। पुण्य अगर प्रतिष्ठा देता हो और सदाचरण से अगर रिस्पेक्टबिलिटी, आदर मिलता हो तो मेरे लिए सार्थक मालूम हो सकता है। यह क्षुद्र आचरण की व्यवस्था है। क्षुद्र आचरण में और अनाचरण में बहुत फर्क नहीं है।
इसे हम ठीक से समझ लें। क्षुद्र आचरण में और अनाचरण में बहुत फर्क नहीं है। क्षुद्र नैतिकता में और अनैतिकता में बहुत अंतर नहीं है। अगर ईमानदारी मैं इसीलिए उपयोगी पाता हूं कि उससे मुझे लाभ होता है, तो किसी भी क्षण मैं बेईमानी को भी उपयोगी पा सकता हूं क्योंकि उससे लाभ होता है। अगर दृष्टि लाभ पर है तो ईमानदारी और बेईमानी लक्ष्य नहीं हैं, साधन हैं। जब लाभ ईमानदारी से मिलता हो तो मैं ईमानदार हो जाऊंगा। और जब लाभ बेईमानी से मिलता हो तो मैं बेईमान हो जाऊंगा। अगर लाभ ही लक्ष्य है तो बेईमानी को ईमानदारी और ईमानदारी को बेईमानी बनने में बहुत अड़चन नहीं होगी।
__ इसलिए हम सब की नैतिकता की कीमत होती है। अगर मैं आपसे पूछं कि क्या आप चोरी कर सकते हैं? तो इस प्रश्न का कोई अर्थ नहीं है। यह प्रश्न नानसेंस है, अर्थहीन है। मुझे पूछना चाहिए, आप दस रुपए की चोरी कर सकते हैं? शायद आप कहें-नहीं। मुझे पूछना चाहिए, आप दस हजार की चोरी कर सकते हैं? शायद आपकी नहीं डगमगा जाए। मुझे पूछना चाहिए, आप दस लाख की चोरी कर सकते हैं? शायद आपके भीतर से हां उठने लगे।
एक आदमी कहता है कि मैं रिश्वत नहीं लेता हूं। पूछना चाहिए, कितने तक? क्योंकि रिश्वत लेने-देने का कोई अर्थ नहीं होता। सब की सीमाएं हैं। और सब अपनी सीमाओं पर बिक सकते हैं। क्योंकि हमारी नैतिकता कोई परम मूल्य नहीं है, अल्टीमेट वैल्यू नहीं है। हमारी नैतिकता भी साधन है कुछ पाने के लिए। जब वह नैतिकता से मिलता है, तब हम नैतिक होते हैं। जब वह अनैतिकता से मिलता है, तब हम अनैतिक होते हैं।
क्षुद्र नैतिकता का अर्थ है : नैतिकता भी साधन है किसी लाभ के लिए। और तब नीति और अनीति में बहुत
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