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________________ ताओ उपनिषद भाग ३ 342 इजिप्त की पुरानी किताबें कहती हैं कि इजिप्त ने ध्वनि की कीमिया खोज ली थी। और एक विशेष ध्वनि करते ही पत्थर ग्रेविटेशन खो देते थे; उनका जो वजन है, वह खो जाता था । आज कहना मुश्किल है कि यह कहां तक सही है। लेकिन और कोई उपाय भी नहीं है सिवाय यह मानने के कि उन्होंने कुछ मंत्र का, कुछ ध्वनि का उपाय खोज लिया था। चारों तरफ एक विशेष ध्वनि करने से एंटी-ग्रेविटेशन, जो गुरुत्वाकर्षण है, उसकी विपरीत स्थिति पैदा हो जाती थी, और पत्थर उठाया जा सकता था। यहां पूना के पास, कोई पचास मील दूर, सिरपुर में एक पत्थर है । एक मस्जिद के पास पड़ा हुआ है। जिस दरवेश की, जिस फकीर की वह मजार है, नौ आदमी, ग्यारह आदमी अपनी छिगलियां उस पत्थर में लगा दें और फकीर का नाम लें जोर से, तो अंगुलियों के सहारे वह बड़ा पत्थर उठ आता है सिर के ऊपर तक । बिना नाम लिए ग्यारह आदमी कितनी ही कोशिश करें, वह पत्थर हिलता भी नहीं । पर एक क्षण को वह पत्थर ग्रेविटेशन खो देता है। वैज्ञानिक उसका अध्ययन करते रहे, लेकिन अब तक उसकी कोई बात साफ नहीं हो सकी कि मामला क्या है। फकीर के नाम में कोई ध्वनि, आस-पास पत्थर के, निर्मित हो जाती है और पत्थर उठ जाता है। पर जिन्होंने ध्वनि के सहारे इतने बड़े पत्थर पिरामिड पर चढ़ाए होंगे, वे आज कहां हैं? वे खो गए। एक शिखर छुआ। आज पिरामिड खड़े रह गए हैं, लेकिन उनको बनाने वालों का कुछ भी पता नहीं रहा । असीरिया, बेबीलोन, सब खो गए, जहां सभ्यता जनमी। प्लेटो ने अपने संस्मरणों में लिखा है कि इजिप्त से यात्रा करके लौटे हुए एक व्यक्ति ने बताया कि इजिप्त के मंदिर के बड़े पुजारी ने, सोलन ने उसे बताया है कि कभी एक महाद्वीप परम सभ्यता को उपलब्ध हो गया था। अटलांटिस उस महाद्वीप का नाम था; फिर वह पूरी सभ्यता के साथ समुद्र में खो गया। क्यों खो गया, इसका कोई कारण आज तक नहीं खोजा जा सका। लेकिन जो भी मनुष्य जान सकता है, वह अटलांटिस की सभ्यता ने जान लिया था। खो जाने का क्या कारण होगा, इस पर लोग चिंतन करते हैं। हजारों किताबें लिखी गई हैं अटलांटिस पर । और अधिक लोगों का यही निष्कर्ष है कि अटलांटिस ने इतनी विज्ञान की क्षमता पा ली कि अपने ही विज्ञान के शिखर से गिरने के सिवाय कोई उपाय नहीं रह गया। वह अपनी ही जानकारी के भार से डूब गया। या तो कोई विस्फोट उसने कर लिया अपनी ही जानकारी से, जैसा आज हम कर सकते हैं। आज कोई पचास हजार उदजन बम अमरीका और रूस के तहखानों में इकट्ठे हैं। अगर जरा सी भी भूल हो जाए और इनका विस्फोट हो जाए, तो अटलांटिस नहीं, पूरी पृथ्वी बिखर जाएगी। इसलिए आज जहां-जहां एटम बम इकट्ठे हैं, उनकी तीन-तीन चाबियां – क्योंकि एक आदमी का दिमाग जरा खराब हो जाए, गुस्सा आ जाए, किसी का पत्नी से झगड़ा हो जाए और वह सोचे कि खतम करो इस दुनिया को - तो तीन-तीन चाबियां रखी हुई हैं कि जब तक तीन आदमी राजी न हों, तब तक कुछ भी नहीं किया जा सकता। लेकिन तीन आदमी भी राजी हो सकते हैं। तीन आदमी राजी हो सकते हैं, सारी पृथ्वी मिटाई जा सकती है। अटलांटिस पूरा डूब गया शिखर को पाकर। खयाल यह है कि उसका ज्ञान ही उसकी मृत्यु का कारण बना। अभी इस तरह के पत्थर मिलने शुरू हुए हैं सारी दुनिया में। अब तक उन पत्थरों पर खुदी हुई तस्वीरों का कुछ अंदाज नहीं लगता था। लेकिन अब लगता है। अभी आपके जो चांद से यात्री आकर लौटे हैं, वे जिस तरह का नकाब पहनते हैं और जिस तरह के वस्त्र पहनते हैं, उस तरह के वस्त्र और नकाब पहने हुए दुनिया के कोने-कोने में पत्थरों पर मूर्तियां हैं और चित्र हैं। अब तक हम जानते भी नहीं थे कि ये क्या हैं। लेकिन अब बड़ी कठिनाई है। जिन लोगों ने ये चित्र खोदे हैं पत्थरों पर, उन्होंने अगर अंतरिक्ष यात्री न देखे हों, तो ये चित्र खोदे नहीं जा सकते। और अगर ये दस-दस हजार
SR No.002373
Book TitleTao Upnishad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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