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सनातन शक्ति, जो कभी भूल नहीं करती
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से मिलन को भी उपलब्ध नहीं होता, वह स्वयं के और अस्तित्व के मिलन को उपलब्ध नहीं हो सकेगा। स्वयं का
और अस्तित्व का मिलन तो और बड़ा मिलन है, विराट मिलन है । यह तो बहुत छोटा सा मिलन है। लेकिन इस छोटे मिलन में भी अखंडता घटित होती है— छोटी मात्रा में। एक और विराट मिलन है, जहां अखंडता घटित होती है— स्वयं के और सर्व के मिलन से । वह एक बड़ा संभोग है, और शाश्वत संभोग है।
यह मिलन अगर घटित होता है, तो उस क्षण में व्यक्ति निर्दोष हो जाता है। मस्तिष्क खो जाता है; सोच-विचार विलीन हो जाता है; सिर्फ होना, मात्र होना रह जाता है, जस्ट बीइंग । सांस चलती है, हृदय धड़कता है, होश होता है; लेकिन कोई विचार नहीं होता। संभोग में एक क्षण को व्यक्ति निर्दोष हो जाता है।
लेकिन लाओत्से कहता है कि अगर इस गहन आंतरिक मिलन को व्यक्ति उपलब्ध हो जाए कि पुरुष को जाने, स्त्री में वास करे, तो संसार के लिए घाटी बन जाता है। और घाटी होकर स्वरूप में स्थित रहता है, अखंड हो जाता है। शिशुवत निर्दोषता उपलब्ध होती है।
अगर आपके भीतर की स्त्री और पुरुष के मिलने की कला आपको आ जाए, तो फिर बाहर की स्त्री से मिलने की जरूरत नहीं है। लेकिन बाहर की स्त्री से मिलना बहुत आसान, सस्ता; भीतर की स्त्री से मिलना बहुत कठिन और दुरूह । बाहर की स्त्री से मिलने का नाम भोग; भीतर की स्त्री से मिलने का नाम योग। वह भी मिलन है। योग का मतलब ही मिलन है।
यह बड़े मजे की बात है। लोग भोग का मतलब तो समझते हैं मिलन और योग का मतलब समझते हैं त्याग । भोग भी मिलन है, योग भी मिलन है । भोग बाहर जाकर मिलना होता है, योग भीतर मिलना होता है। दोनों मिलन हैं। और दोनों का सार संभोग है। भीतर, मेरे स्त्री और पुरुष जो मेरे भीतर हैं, अगर वे मिल जाएं मेरे भीतर, तो फिर मुझे बाहर की स्त्री और बाहर के पुरुष का कोई प्रयोजन न रहा ।
भोजन कम करने से कोई ब्रह्मचर्य को उपलब्ध नहीं होता; होता है। न आंखें बंद कर लेने से, न सूरदास हो जाने से ब्रह्मचर्य को उपलब्ध होने का एकमात्र उपाय है : भीतर की स्त्री और पुरुष का मिल जाना।
और जिस व्यक्ति के भीतर की स्त्री और पुरुष का मिलन हो जाता है, वही ब्रह्मचर्य को उपलब्ध होता है । न स्त्री से, पुरुष से भाग कर कोई ब्रह्मचर्य को उपलब्ध आंखें फोड़ लेने से – कोई ब्रह्मचर्य को उपलब्ध होता है।
अब यह बड़े मजे की बात है कि बाहर की स्त्री से आप कितनी देर मिले रह सकते हैं? शरीर के तल पर क्षण भर मिल सकते हैं। क्योंकि वह मिलन बहुत महंगा है। आपको बहुत ऊर्जा खोनी पड़ती है, शक्ति खोनी पड़ती है। अब तो ऊर्जा नापी जा सकती है कि कितनी शक्ति आप एक संभोग में खोते हैं, कितनी शरीर की विद्युत विनष्ट होती है। इसलिए जब तक उतनी विद्युत आप फिर पैदा न कर लें, मिलन नहीं हो सकता। इसलिए अब रुकना पड़े–चौबीस घंटे, अड़तालीस घंटे, सप्ताह भर । जैसे उम्र बढ़ती जाएगी, उतना ज्यादा आपको रुकना पड़ेगा—महीना भर। क्योंकि जब तक उतनी विद्युत फिर पैदा न हो जाए, यह मिलन अब नहीं हो सकता। इसलिए यह मिलन स्थिर तो हो ही नहीं सकता - एक क्षण में इतनी विद्युत खो जाती है।
इसीलिए संभोग के बाद लोगों को शांति मालूम पड़ती है, विश्राम मालूम पड़ता है, नींद आ जाती है । फ्रायड ने संभोग को ही एकमात्र प्राकृतिक ट्रैक्वेलाइजर कहा है । है भी। अमीर आदमी और तरह के भी ट्रैक्वेलाइजर खोज लेता है; गरीब के लिए तो एक ही ट्रैक्वेलाइजर है । और इसलिए गरीब ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं । और कहीं कोई विश्राम नहीं, और कहीं कोई उपाय नहीं खो जाने का ।
अमरीका की मैं एक घटना पढ़ रहा था । अमरीका के एक नगर में एक वर्ष तक टेलीविजन यांत्रिक कारणों से बंद करना पड़ा। कुछ खराबी थी और एक वर्ष तक टेलीविजन नहीं चला। बड़ी हैरानी की घटना घटी, जो किसी ने
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