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________________ ताओ उपनिषद भाग ३ लोकमत तेरी आंखों में नींद है। कहीं तू भी निन्यानबे के चक्कर में तो नहीं पड़ गया? उस नाई ने पूछा, आपको कैसे पता चला? उसने कहा कि पागल, तू झंझट में मत पड़ना, यह मेरे वजीर की करतूत है। कल उससे मेरा विवाद हो गया। और मैंने कहा कि नाई बड़ा शांत, संयमी आदमी है। उसने कहा कि कुछ मामला नहीं है, सिर्फ निन्यानबे उसके पास नहीं हैं। तो उसने मुझसे कहा था, आज रात जाकर मैं निन्यानबे की एक थैली उसके घर में फेंक आऊंगा, सुबह देख लेना। तू पड़ गया झंझट में। तू रात भर क्या सोचता रहा? वह बोला कि मैं रात भर यही सोचता रहा कि सौ कैसे हो जाएं। रात तो मैं सो ही नहीं सका। पहली रात मैं नहीं सो सका। और कभी मेरे पास कुछ नहीं होता था, मैं मजे से सोता था। ये निन्यानबे ने ठीक सौ का खयाल दे दिया। यह वैसे ही है जैसे दांत टूट जाए और जीभ वहीं-वहीं जाने लगे। वह जो सौ है, वह खाली गड्डा है, जीभ वहीं-वहीं जाने लगी। रात भर सो नहीं सका। सम्राट ने कहा, अगर तू समझ, तो वह निन्यानबे की थैली फेंक दे, नहीं तो मरेगा दुख में। हम मर ही रहे हैं पहले से। हमारी तरफ देख। सौ होने से कुछ भी न होगा। निन्यानबे होना खतरा है। सौ होने से कुछ भी न होगा। फिर एक दफा यात्रा शुरू हो गई तो .तू मुश्किल में पड़ जाएगा। लेकिन उस नाई ने कहा, महाराज, एक दफे तो जीवन में मौका मिला। सौ तो कर लेने दें। लेकिन उस दिन के बाद नाई कभी सुखी नहीं हो सका। कोई भी नहीं हो सकता। होता क्या है? लोग आदत लेकर पैदा होते हैं। परिस्थिति मौका बनती है उस आदत के प्रकट होने का, या रुक जाने का। धन अब तक परिस्थिति में कम था, इसलिए कुछ लोग गरीब थे, कुछ लोग अमीर थे-धन के लिहाज से। और इस वजह से दूसरी गरीबियां दिखाई ही नहीं पड़ती थीं। अब दुनिया मुसीबत में पड़ेगी, क्योंकि धन की गरीबी परिस्थिति से मिटी जा रही है; मिट जाएगी। और तब आपको पहली दफे पता चलेगा कि और भी गरीबियां हैं, जो धन से बहुत गहरी हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि पांच प्रतिशत लोग ही केवल प्रतिभाशाली होते हैं केवल पांच प्रतिशत! और यह प्रयोग हजारों तरह से किया गया और यह प्रतिशत पांच से ज्यादा कभी नहीं होता। इसे थोड़ा आप समझें। यह केवल मनुष्यों तक सीमित नहीं है। जानवरों में भी पांच प्रतिशत जानवर कुशल होते हैं, शेष पंचानबे प्रतिशत से। जो कबूतर चिट्ठी-पत्री पहुंचा देते हैं, वे पांच प्रतिशत कबूतर हैं। पंचानबे प्रतिशत नहीं पहुंचा सकते। और अनेक-अनेक प्रयोग से यह बड़ी हैरानी की बात हुई कि ये पांच प्रतिशत, मालूम होता है, कोई वैज्ञानिक नियम है प्रकृति में। जैसे कि सौ डिग्री पर पानी गरम होता है, ऐसे पांच प्रतिशत प्रतिभा होती है। पिछले वर्षों में चीन में उन्होंने माइंड-वाश के लिए, ब्रेन-वाश के लिए बहुत से प्रयोग किए-लोगों के मस्तिष्क बदल देने के लिए। कोरियाई युद्ध के बाद चीन के हाथ में जो अमरीकन सैनिक पड़ गए थे, उन्होंने लौट कर जो खबरें दीं, उसमें एक खबर यह भी है। उन्होंने ये खबरें दी कि चीनियों ने सबसे पहले तो इसकी फिक्र की कि हममें प्रतिभाशाली कौन-कौन है। और तब उन्होंने पांच प्रतिशत लोगों को अलग कर लिया। अगर सौ कैदी पकड़े, तो उन्होंने पहले पांच प्रतिभाशाली लोगों को अलग कर लिया। और चीनियों का कहना है कि पांच प्रतिभाशाली लोगों को अलग कर लो, पंचानबे को बदलने में कोई दिक्कत ही नहीं होती। पांच को अलग कर लो, फिर पंचानबे कभी गड़बड़ नहीं करते; कोई उपद्रव, कोई बगावत, भागना, कुछ नहीं। पांच को अलग कर लो, पंचानबे के ऊपर पहरेदार रखने की भी कोई जरूरत नहीं है। वे पांच हैं असली उपद्रवी। अगर वे पांच वहां रहे तो झंझटें जारी रहेंगी। भागने की चेष्टा होगी, बगावत होगी, कुछ उपद्रव होगा। और अगर वे पांच मौजूद रहे, तो वे पांच जो हैं लीडर्स हैं, वह नेतृत्व है उनके पास, उनकी मौजूदगी में आप बाकी को भी नहीं बदल सकते। बाकी सदा उनके पीछे चलेंगे। उनके पांच प्रतिशत को अलग कर लो, वे पंचानबे प्रतिशत बिलकुल ही खाली हो जाते हैं। उनकी जगह किसी को भी रख दो, वे उनका नेतृत्व स्वीकार कर लेंगे। 258
SR No.002373
Book TitleTao Upnishad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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