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________________ ताओ उपनिषद भाग ३ उन्होंने कहा, क्या कहते हैं आप, सब प्रतिष्ठा पानी में मिल जाएगी! वे मानते हैं कि मुझे पता है, इसीलिए तो सारी प्रतिष्ठा है। पर मुझे कोई रास्ता बता दें। लेकिन यह भी वे चोरी में ही पूछते हैं! मैंने कहा कि रास्ते की शुरुआत हो जाएगी, उन लोगों को बुला लें, उनके सामने ही पूछे। इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि उनको सामने बुला कर पूछ लें। जो साधु समझाते हैं लोगों को ब्रह्मचर्य पर, एकांत में मुझे मिलते हैं, वे पूछते हैं, ब्रह्मचर्य कैसे सधे, सधता तो नहीं। और जितना कम सधता है, उतना व्याख्यान में ज्यादा जोर लगाते हैं कि ब्रह्मचर्य साधो! वे आपको कम समझा रहे हैं, खुद को ज्यादा समझा रहे हैं। चौबीस घंटे ब्रह्मचर्य की बात करते रहेंगे। लेकिन भीतर फोड़ा है वह उनका। आप समझ रहे हैं वे उपदेश कर रहे हैं; वह उनका फोड़ा है। यह मवाद बह रही है फोड़े से। यह उनका दुख है भीतर। आदमी अपने को धोखा देने में अति कुशल है। वह यह भी मानने को राजी नहीं होता कि मैं बीमार हूं। इसमें भी तकलीफ होती है मानने में कि मैं बीमार है। वह कहता है, हूं तो मैं स्वस्थ, लेकिन दवा दे दें-अगर कोई दवा हो। लेकिन स्वस्थ की कोई दवा होती है? बीमारी स्वीकार करना आवश्यक है। आपने कभी खयाल किया, इसको सूत्र समझ लें, कि जो सदगुण आपको आनंद न देता हो वह सदगुण आपके लिए फोड़ा है। लोग मेरे पास आकर कहते हैं कि हम ईमानदार हैं, लेकिन कष्ट भोग रहे हैं। ईमानदार हैं तो कष्ट कैसा? वे कहते हैं, बेईमान बड़ा मजा कर रहे हैं। ईमानदार कष्ट भोग रहे हैं, बेईमान बड़ा मजा कर रहे हैं। मत भोगें ऐसा कष्ट, बेईमान हो जाएं। यह ईमानदारी झूठी है, यह तलछट है; यह सदगुण नहीं है, यह फोड़ा है। इससे कुछ मिलता नहीं है। मजा यह है कि यह फोड़ा ऐसा है कि इससे बेईमान भी ज्यादा लाभ में है, यह मालूम पड़ता है। यह आश्चर्य की बात है! एक आदमी कहता है कि हम सत्य बोलते हैं और दुख पाते हैं, और झूठ बोलने वाले आगे बढ़े जा रहे हैं! अगर सत्य बोलना काफी नहीं है आनंद के लिए तो यह सत्य फोड़ा है। तब इसका मतलब केवल इतना ही है कि आप में झूठ बोलने की भी हिम्मत नहीं है, इसलिए झूठ भी नहीं बोलते। लेकिन झूठ बोलने से जो मिलता है, उसका लोभ आपको सता रहा है। वह आप चाहते हैं। बड़े बेईमान हैं, बेईमान से भी ज्यादा बेईमान हैं। बेईमान बेईमानी करता है और बेईमानी से जो मिलता है वह पाता है। आप बेईमानी भी नहीं कर सकते, उतनी भी हिम्मत नहीं, ईमानदार होने का ढोंग भी जारी रखते हैं और बेईमानी से जो मिलता है वह भी पाना चाहते हैं। आपकी चालाकी ज्यादा है, आप ज्यादा कनिंग हैं। बेईमान का हिसाब साफ है। बेईमान मुझे कभी कहता नहीं मिलता कि हम इतनी बेईमानी कर रहे हैं, फिर भी सुख नहीं पा रहे और फलां ईमानदार आदमी सुख पा रहा है। बेईमान कहता ही नहीं है यह। बेईमान कभी नहीं कहता कि हम इतनी बेईमानी करके भी सुख नहीं पा रहे हैं और फलां ईमानदार आदमी सुख पा रहा है, बिना ही बेईमानी किए। असल में, ईमानदार आदमी सुखी दिखाई नहीं पड़ता। बेईमान को लगता है कि वह हम से भी ज्यादा दुख पा रहा है। कोई ईमानदार आदमी सुखी दिखाई नहीं पड़ता। और जिस आदमी की ईमानदारी सुख नहीं है, उसकी ईमानदारी फोड़ा है। जो आदमी सच में सदगुण में जीता है, उसके लिए इस जगत में कोई तुलना नहीं है फिर किसी से। फिर उसके सामने कोई स्वर्ग को लाकर रख दे और कह दे कि तू सच बोलना छोड़ दे और स्वर्ग ले ले। तो वह कहेगा, अपना स्वर्ग ले जाओ अपने साथ, क्योंकि मेरे लिए सत्य बोलना ही स्वर्ग है। और अगर सत्य बोलना स्वर्ग नहीं है तो कोई स्वर्ग स्वर्ग सिद्ध नहीं हो सकता। लेकिन हमसे कोई स्वर्ग तो बहुत दूर की बात है, नए ढंग का नरक भी बता दे तो हम झूठ बोलने को तैयार हैं। कम से कम नए ढंग का नरक तो है; पुराने से छुटकारा हुआ, इसको ग्रहण करें, थोड़ी राहत तो मिलेगी। 152
SR No.002373
Book TitleTao Upnishad Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages432
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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