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ताओ उपनिषद भाग ३
फिर परिभाषा का क्या अर्थ होता है?
परिभाषा का अर्थ होता है किसी एक चीज को किसी दूसरी चीज के द्वारा बताना। किसी एक चीज को किसी दूसरी चीज के द्वारा बताना। जैसे कि अगर आपने नीलगाय नहीं देखी है जो हिमालय की तराइयों में होती है, तो हम कह सकते हैं, वह गाय जैसा एक जानवर है। तो थोड़ी सी समझ आई, थोड़ा सा खयाल आया। लेकिन ताओ या धर्म तो अकेला ही अनुभव है। उस जैसा कोई दूसरा अनुभव नहीं है, जिससे इशारा किया जा सके; कोई दूसरा अनुभव नहीं है जिससे हम कह सकें-उस जैसा।
फिर ताओ तो जटिल, गहनतम अनुभूति है। छोटे-मोटे जीवन के अनुभव भी परिभाष्य नहीं हैं, डिफाइनेबल नहीं हैं। अगर कोई आपसे पूछ ले कि पीला रंग क्या है तो आप क्या कहेंगे? क्योंकि पीले रंग जैसा कोई और रंग तो होता नहीं। और अगर पीले रंग जैसा कोई रंग होगा तो वह पीला ही होगा। पीले रंग की क्या परिभाषा करिएगा?
इस सदी के बहुत बड़े विचारक जी.ई.मूर ने, जिसने डेफिनीशन पर, परिभाषा पर सर्वाधिक काम किया है, दो, ढाई सौ पृष्ठों में चर्चा करने के बाद यह कहा है कि व्हाट इज़ यलो इज़ इनडिफाइनेबल, पीला क्या है उसकी परिभाषा नहीं हो सकती। पीला पीला है, यलो इज़ यलो।
मगर यह कोई बात हुई? इसको तर्कशास्त्री कहते हैं टोटोलाजी। इसका मतलब तो हुआ, जब आप कहते हैं । यलो इज़ यलो, पीला पीला है, तो इसका मतलब हुआ कि आपने परिभाषा करने से इनकार कर दिया। पीला क्या है, हम यह पूछ रहे हैं। आप कहते है, पीला पीला है। यह तो कोई उत्तर न हुआ। यह तो बात वहीं के वहीं रह गई। - जी.ई.मूर ने कहा है कि जितना परिभाष्य है, वह सब जोड़ है।
जैसे कि कोई अगर पूछे, पानी क्या है? तो हम कह सकते हैं, हाइड्रोजन और आक्सीजन का जोड़ है-एच टू ओ। यह परिभाषा हो गई पानी की। क्योंकि पानी दो चीजों का जोड़ है, इसलिए दो को तोड़ कर हम बता सकते हैं कि पानी यह है। जितनी चीजें कई चीजों का जोड़ हैं, उनकी परिभाषा आसान है। लेकिन अब कोई पूछे, आक्सीजन क्या है ? तो अड़चन होगी; क्योंकि आक्सीजन किसी चीज का जोड़ नहीं है। लेकिन फिर भी तोड़ा जा सकता है। अब हमने परमाणु को तोड़ लिया तो हम कह सकते हैं कि इतने इलेक्ट्रान, इतने न्यूट्रान, इनका जोड़ है। नीचे उतरते जाएं; जब एक ही चीज रह जाएगी, तो तोड़ा भी नहीं जा सकता।
ताओ आखिरी बिंदु है, जिसको तोड़ने का कोई उपाय नहीं है। धर्म आखिरी अनुभव है, आत्यंतिक, अल्टीमेट; उसकी कोई परिभाषा नहीं हो सकती। लेकिन उसका अनुभव हो सकता है। माना कि पीले की कोई परिभाषा नहीं हो सकती, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि पीले का अनुभव नहीं हो सकता। आप पीले का अनुभव रोज करते हैं, कोई अड़चन नहीं है।
___अगर आप जिद्द कर लें कि पहले परिभाषा, फिर अनुभव करूंगा, तो फिर अनुभव भी बंद हो जाएगा। आप पहले अनुभव करते हैं प्रेम का। कोई आदमी पूछे कि पहले मैं परिभाषा कर लूं, समझ लूं ठीक से, फिर उतरूंगा, क्योंकि अनजाने रास्ते पर नहीं उतरना है, तो वह प्रेम के रास्ते पर कभी भी नहीं उतरेगा। आप समय का उपयोग करते हैं रोज। लेकिन कोई आपसे पूछ ले समय की परिभाषा, तब आप कठिनाई में पड़ जाएंगे।
अगस्टीन ने कहा है कि मुझसे पूछो मत तो मैं जानता हूं, और मुझसे पूछा कि मैं मुश्किल में पड़ जाता हूं।
जानना कुछ ऐसी बात है, जिसके लिए परिभाषा जरूरी नहीं है। तो ताओ जानना होगा; और जान कर भी ताओ गूंगे का गुड़ ही रहेगा। कबीर ने कहा है कि पूछो मत मुझसे कि वह क्या है। रास्ता पूछ लो, कैसे उस तक मैं पहुंचा, वह मैं तुम्हें बता दूं। तुम भी पहुंच जाओ, तुम भी जान लो। मुझसे मत पूछो कि वह क्या है। क्योंकि वह मुझसे भी बड़ा है, उसे प्रकट करने का कोई उपाय नहीं है।
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