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से प्रश्न हैं।
एक मित्र ने पूछा है, ताओ की परिभाषा क्या हैं?
उसी की परिभाषा का हम प्रयास कर रहे हैं। और सारा प्रयास पूरा हो जाने पर भी परिभाषा उसकी समझ में आएगी नहीं। क्योंकि जब समझाने का सारा प्रयास भी पूरा हो जाता है, तब भी ताओ परिभाषा के बाहर छूट जाता है। वह तो जब आप उसका प्रयोग भी करेंगे, तभी समझ में आएगी। जैसे प्रेम को समझाया जाए; कितना ही समझाया जाए, जब तक आप प्रेम में उतर न जाएंगे, तब तक उसे नहीं जान पाएंगे। प्रेम की कोई भी परिभाषा प्रेम को प्रकट न कर पाएगी; प्रेम का अनुभव ही उसे प्रकट करेगा। फिर
भी प्रेम की परिभाषा करने की कोशिश की जाती है। इसलिए नहीं कि आप उससे प्रेम को जान लेंगे, बल्कि इसीलिए कि शायद प्रेम को जानने की प्यास उससे पैदा होगी।
तो अगर ताओ को समझने की कोशिश में आपको ताओ की परिभाषा समझ में न आए तो यह उचित ही है। लेकिन ताओ को समझने की प्यास जग जाए तो किसी दिन उसके अनुभव में उतरा जा सकता है। जिन्हें अनुभव हुआ है, वे भी परिभाषा कर सकेंगे, ऐसा नहीं है। जिन्हें अनुभव हुआ है, वे खुद तो जान लेंगे, लेकिन दूसरे को बताते समय वही कठिनाई खड़ी हो जाएगी। अनुभव कहे नहीं जा सकते। इशारे हो सकते हैं। लेकिन शब्दों में प्रकट करने का कोई उपाय नहीं है। और जितना बड़ा हो अनुभव, उतनी ही असमर्थता हो जाती है।
ताओ बड़े से बड़ा अनुभव है। उससे बड़ा कोई अनुभव नहीं है।
ताओ शब्द का अर्थ होता है धर्म । ताओ शब्द का अर्थ होता है वह परम नियम, जिसके आधार पर पूरा अस्तित्व चलता है। तो जब तक हम अस्तित्व में न डूबें और उस परम नियम के साथ एक न हो जाएं, तब तक हमारी समझ में आएगा नहीं। सागर के किनारे खड़े होकर लहरों को समझा जा सकता है। दूर की समझ परिचय ही होगी, ज्ञान नहीं। जिसे सागर को ही जानना हो, उसे सागर में डूबना होगा, डुबकी लगानी होगी। और वह डुबकी भी ऐसी नहीं कि आप सागर से अलग बने रहें । वह डुबकी ऐसी चाहिए जैसे नमक का पुतला सागर में कूद जाए, फिर लौट नसके, नमक उसका पिघल जाए, बह जाए, सागर के साथ एक हो जाए। तभी सागर को जाना जा सकेगा।
तो अगर शब्द की ही जानने की इच्छा हो तो ताओ का अनुवाद होगा धर्म, परम नियम, अस्तित्व का मूल आधार। जिसको वेदों ने ऋत कहा है, वही ताओ का अर्थ है। लेकिन यह शब्द का अर्थ हुआ। इसे जान लेने से कुछ जान लिया, ऐसा जो मानता है, वह भ्रांति में पड़ेगा। यह सिर्फ इशारा हुआ, यात्रा की तरफ जाने के लिए पहला । यात्रा पर निकलना जरूरी है।