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ताओ उपनिषद भाग २
अगर एक नमस्कार भी गणित है, तो चालाकी हो गई। तो फिर जिस दिन इस आदमी से कुछ नहीं मिलेगा, उस दिन बात व्यर्थ हो गई।
तुर्गनेव ने एक कहानी लिखी है। एक होटल के सामने लोग इकट्ठे हैं। और एक कुत्ते को एक आदमी दोनों पैर पकड़ कर पटकने के लिए तैयार है, मार डालने को। क्योंकि उस कुत्ते ने इसे काट लिया है। तभी दो पुलिस वाले वहां आते हैं और एक पुलिस वाला नीचे झांक कर कहता है कि ठीक है, मार ही डालो इस कुत्ते को! यह हम पुलिस वालों को भी बड़ा परेशान करता है; रात भौंकता-भांकता है। पुलिस वालों और कुत्तों के बीच कोई जन्मजात विरोध है। मुझे भी बहुत परेशान करता है, इसको मार ही डालो। तभी बगल वाला पुलिस वाला कहता है, जरा सोच कर कहना, यह हमारे बड़े साहब का कुत्ता मालूम पड़ता है। वह पहला पुलिस वाला फौरन झपट कर उस आदमी की गर्दन पकड़ लेता है जो कुत्ते को पकड़े हुए है, और कहता है कि तू समझता नहीं क्या कर रहा है! यह कुत्ता कोई साधारण कुत्ता है? छोड़ इसको! कुत्ते को छुड़ा कर गोदी में ले लेता है। और अपने दूसरे साथी से कहता है, हथकड़ी डालो इस आदमी को। यह बलवा खड़ा कर रहा है यहां सड़क पर। तभी वह दूसरा साथी कान में कहता है, लेकिन नहीं, यह कुत्ता वह नहीं मालूम होता। तो वह उस कुत्ते को पटक देता है और कहता है, मार डालो इस कुत्ते को! सब गंदा हो गया। स्नान करना पड़ेगा। लेकिन तभी वह साथी कहता है कि नहीं-नहीं, है तो यह साहब का ही कुत्ता। फिर वह कुत्ते को उठा लेता है।
यह कहानी चलती है। और यह सब चालाक लोगों की जिंदगी की कहानी है। पूरे वक्त यह चल रहा है। चालाकी का अर्थ हैः परिणाम महत्वपूर्ण है। कोई हिसाब है पीछे। जो भी हम कर रहे हैं, उसमें हिसाब है। अगर यह बात सच है, तो एक आदमी मंदिर जाकर घंटा बजा रहा है, पूजा कर रहा है-चालाक है। हिसाब है उसका। एक आदमी माला फेर रहा है-चालाक है। वह कहता है, कितनी मालाएं फेरनी हैं? एक लाख माला अगर फेर लीं, तो यह फल होगा। एक लाख दफे अगर माला फेर ली, तो यह फल होगा। इतनी दफे राम का नाम ले लिया।
मैं एक मंदिर में गया। वहां लाखों कापियां रखी हैं अंदर राम-राम लिख-लिख कर। जो आदमी लिखवा रहे हैं राम-राम, वे घूम-घूम कर दिखलाते हैं। सारी अलमारियां भरी हैं। मैंने पूछा, यह क्या, हो क्या रहा है?
तो उन्होंने कहा, मैंने नियम लिया हुआ है कि इतने अरब नाम लिखवा कर रहूंगा। क्या होगा इससे? क्या होगा! यह व्रत अगर मेरा पूरा हो गया, तो फिर आवागमन से छुटकारा है।
तुम कापियां खराब करोगे और आवागमन से छुटकारा हो जाएगा? और न मालूम कितने पागलों को लिखवाने में लगाए हुए हो। उनका समय खराब कर रहे हो। मगर उस आदमी का आवागमन से छुटकारा हो रहा है; क्योंकि राम-राम, राम-राम कापियों पर लिखवा रहा है।
मैंने उसको कहा, पागल, अब तो प्रेस है। अब इसकी कोई जरूरत नहीं। तू छपवा ले जितना तुझे छपवाना है, और रख ले और उनके ऊपर बैठ जा।
लेकिन कैलकुलेशन है। राम का नाम भी आदमी लेगा, तो हिसाब है। बेकार हो गई बात। अगर राम का नाम भी हिसाब से लिया, तो राम का नाम लिया ही नहीं। हिसाब चालाकी है। हर चीज में चालाकी है।
बेटा बाप के पैर दाब रहा है। वह देख रहा है कि क्या-क्या मिल सकता है? वसीयत में क्या मिलेगा, क्या नहीं मिलेगा? कहते हैं कि अमीर बाप के बेटे कभी भी बाप के मरने पर सच में दुखी नहीं होते। हो भी नहीं सकते। होने का कोई कारण भी नहीं है। भीतर शायद खुश ही होते हैं। सम्राटों के बेटे तो अक्सर बाप को मारने का कारण ही बनते हैं। सब तरफ हिसाब है।
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