________________
सिद्धांत व आचरण में बही, सरल-सहज स्वभाव में जीना
लाओत्से कहता है, यह चालाकी जब तक है-और यह सिर्फ गलत चीजों में ही नहीं है, सब चीजों में है यह चालाकी-अगर यह चालाकी है, तो यह जिंदगी कभी भी कृत्रिमता के पार सहजता में प्रवेश नहीं कर सकती। परिणाम में मत जीओ; कृत्य में जीओ। मोमेंट टु मोमेंट लिव इन दि एक्ट, नॉट इन दि कांसीक्वेंस, नॉट इन दि रिजल्ट। वह जो कृत्य है, उस में ही जीओ। . रास्ते पर कोई आदमी मिला है, उससे राम-राम कर लेने का ही काफी मजा है। इसलिए अगर आप छोटे गांव में जाएं, तो आपको बड़ी हैरानी होगी। कोई आपको जानता नहीं, फिर भी लोग राम-राम कर लेंगे। बड़ी बेचैनी होगी, क्योंकि ऐसा कहीं नहीं होता। जब तक जानते न हों, मतलब न हो, कोई हिसाब न हो, यह काहे के लिए राम-राम कर रहे हैं? आपको बेचैनी होगी। पूछने का मन होगा, भई क्यों राम-राम करते हो? क्या मतलब है? विचित्र मालूम होता है। छोटे गांव में जाएं, कोई भी आदमी राम-राम करता है। न आपको कोई जानता, न आपके धन का किसी को पता, न आपके पद का पता। आप क्या कर सकते हैं, इसका भी पता नहीं। लेकिन वे गांव के पुराने लोग बिना हिसाब राम-राम किए जा रहे हैं। उसमें कोई हिसाब नहीं है। उसमें कोई गणित नहीं है कि आप क्या करोगे। आपसे कोई मतलब नहीं है। राम-राम करना आनंदपूर्ण है; कर लिया है।
हम सब तरफ हिसाब से भर गए हैं। हमारा प्रेम एक गणित। हमारी प्रार्थना एक गणित। हमारी दूकान तो है ही चालाकी, हमारा मंदिर भी हमारी चालाकी का विस्तार है। वहां भी हम सब लगा रहे हैं-आगे तक का हिसाब फैला कर रखा हुआ है।
__ इसे लाओत्से कहता है, यह चालाकी तुम्हें कभी सहज न होने देगी। छोड़ो चालाकी। छोड़ो उपयोगिता, यूटिलिटी।
अब यह ज्यादा गहरा मामला है उपयोगिता का; क्योंकि चालाकी ही इसलिए है कि उपयोगिता पर दृष्टि है हमारी। हर चीज की यूटिलिटी। अगर मैं एक बम बनाऊं, तो अखबारों में खबर छप सकती है; एक नया बम बनाऊं, नोबल प्राइज मिल सकती है। लेकिन एक सुंदर गीत लिखू, कहीं कोई खबर न छपेगी। क्योंकि गीत की उपयोगिता क्या है? कोई भी पूछेगा, उपयोगिता क्या है आपके गीत की? इससे कितने आदमी मारे जा सकते हैं? इससे कितने लोगों को रोटी मिल सकती है? इससे कितने लोगों को कपड़ा मिलेगा? इसकी उपयोगिता बताइए। गीत की क्या उपयोगिता है? कोई भी उपयोगिता नहीं है। एक फूल की क्या उपयोगिता है? कोई उपयोगिता नहीं है। बेकार है।
हमारा जो उपयोगितावादी दृष्टिकोण है, अगर ठीक से समझें, तो वही मैटीरियलिज्म है। वह आदमी नहीं है नास्तिक, जो ईश्वर को नहीं मानता। वह आदमी नास्तिक है, जो केवल उपयोगिता को मानता है। और आस्तिक वह है, जो उपयोगिता पर ध्यान ही नहीं देता। उपयोगिता महत्वपूर्ण भी नहीं है। और जीवन में जितनी श्रेष्ठतर चीजें हैं, उतनी गैर-उपयोगी हैं।
गैलीलियो ने जब किताब लिखी अपनी विश्व की व्यवस्था की, तो उसने ईश्वर का एक भी जगह उपयोग नहीं किया, शब्द का। हजारों पृष्ठ की किताब में ईश्वर शब्द का एक भी जगह उपयोग नहीं है। तो उसके मित्रों ने पूछा कि एकाध जगह तो ईश्वर शब्द का उपयोग कर लेते; इतने बड़े ग्रंथ में एक भी जगह ईश्वर का प्रयोग नहीं हुआ। तो गैलीलियो ने जो कहा है वह यह, उसने कहा कि मेरी परिकल्पना में ईश्वर शब्द की कोई भी उपयोगिता नहीं है; नो यूटिलिटी। यह जो मेरी हाइपोथीसिस है, इसमें ईश्वर शब्द की कोई उपयोगिता नहीं है। इसमें कोई सवाल ही नहीं है। ईश्वर बिलकुल गैर-उपयोगी है। क्या फायदा? उससे क्या करवाऊं? ग्रेविटेशन चीजों को नीचे खींच लेती है। सब नियम उपयोगी अपना काम करते हैं। ईश्वर बिलकुल गैर-उपयोगी हाइपोथीसिस, एक नॉन-यूटिलिटेरियन हाइपोथीसिस है। गैलीलियो ने कहा कि ईश्वर एक कविता है, इसकी यहां कोई जरूरत नहीं है।
349