SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 317
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रेष्ठ शासक काँब?-जो परमात्मा जैसा हो के होने वह है कि 'उससे भी कम से प्रजा डरती है, भयभीत होती है।' और आमतौर से जिससे हम भयभीत होते हैं, उसको हम प्रेम करते हैं। वह तृतीय कोटि का व्यक्तित्व है। तुलसीदास ने कहा है: भय बिन होय न प्रीति, बिना भय के प्रेम नहीं होता। निश्चित ही वे इस तीसरी कोटि की बात कर रहे हैं। हम सब ऐसे ही लोग हैं, जिनकी तुलसीदास बात कर रहे हैं। हमको भय हो, तो ही प्रेम होता है। हम परमात्मा से भी प्रेम करते हैं, भय के कारण। जितना परमात्मा हमें डराए या डराता हुआ मालूम पड़े कि नरक में डाल दूंगा, आग में जला दूंगा, पाप किया तो सदा-सदा के लिए, अनंतकाल तक सड़ोगे, ऐसी कोई बातें परमात्मा की तरफ से हमारे लिए कही जाएं, तो हम तत्काल प्रेम से भर जाते हैं, हमारे हाथ प्रार्थना में जुड़ जाते हैं। हम भय को समझ पाते हैं। शून्य को तो हम क्या समझ पाएंगे, हम प्रेम तक को नहीं समझ पाते! हम भय को समझ पाते हैं। इसलिए जो हमें जितना भयभीत कर दे, वह उतना बड़ा शासक मालूम होता है। अगर हम इतिहास उठा कर देखें, तो हम उन शासकों के ही नाम पाएंगे स्वर्ण-अक्षरों में लिखे, जिन्होंने लोगों को जितनी ज्यादा मात्रा में भयभीत किया है। फिर चाहे वे सिकंदर हों, चाहे नेपोलियन हों, चाहे चंगीज हों, चाहे कोई और हों। हमारा सारा इतिहास भयभीत करने वालों और भयभीत होने वालों का इतिहास है। जो जितना भयभीत कर दे, उतना बड़ा शासक हमें मालूम पड़ता है। क्यों? हमें प्रेम भी, अगर आक्रमण न करे, तो पता नहीं चलता। और प्रेम आक्रमण करना नहीं चाहेगा। भय का हमें पता चलता है, क्योंकि भय शद्ध आक्रमण है। भय का अर्थ ही है कि किसी ने आपके अस्तित्व को कंपा दिया। थोड़ा समझें इस बात को। श्रेष्ठतम शासक वह है, जिसके होने का आपको पता नहीं चलता। और निकृष्टतम शासक वह है, जो आपके होने को भी खतरे में डाल देता है। श्रेष्ठतम वह है कि आप उसकी तरफ देखें भी न। निकृष्टतम वह है कि उसकी नजर आपके प्राणों की जड़ों को कंपा दे। आप कंपे हुए हों, भयभीत हों। भय हमारी सारी स्थिति बदल देता है। चंगीज ने हमला किया है, तो जिस गांव पर चंगीज हमला करता है, उस गांव के बच्चों को कटवा कर भालों पर छिदवा देता है उनके सिरों को। दिल्ली में उसने दस हजार भाले बच्चों के सिरों पर छिदवा दिए। जहां से गुजरता है, वहां गांवों में आग लगा देता है, ताकि उसकी फौजों को प्रकाश मिल सके। चंगीज को आदमियत भूल नहीं सकती। तैमूर को लोग भूल नहीं सकते। तैमूर ने हमला किया था मुल्ला नसरुद्दीन के गांव पर। खबर मिली तैमूर को कि गांव में एक ज्ञानी है, नसरुद्दीन। पकड़वा भेजा, अदालत में खड़ा किया और कहा कि मैंने सुना है कि तुम एक मिस्टिक हो, एक रहस्यवादी हो। प्रमाण दो! अन्यथा यह तलवार रखी है। मैं प्रमाण मानता हूं, बातचीत नहीं। नसरुद्दीन ने आंखें बंद की, खुशी से भर गया आकाश की तरफ देखा और कहा कि देखो, देवता मौजूद हैं। नीचे आंख की और कहा, यह सातवां नरक! सब मुझे दिखाई पड़ रहे हैं। तैमूर ने कहा, हद! क्या है इसकी तरकीब, क्या है इसकी विधि जिससे तुम देवता देख लेते हो और नरक देख लेते हो? नसरुद्दीन ने कहा, विधि? नथिंग बट फियर। वह तुम्हारी तलवार की वजह से सब मुझे दिखाई पड़ रहा है। कुछ और नहीं है विधि, सिर्फ भय। रहस्यवादी वगैरह मैं नहीं हूं। मगर अब क्या कर सकता हूं? भय तो आदमी को कुछ भी दिखा देता है। आपको आकाश में देवता और स्वर्ग और नरक और ईश्वर वगैरह जो-जो दिखाई पड़ते हैं, वह भी भय ही कारण है। इसलिए बूढ़ा आदमी ज्यादा धार्मिक हो जाता है; क्योंकि बूढ़ा आदमी ज्यादा भयभीत हो जाता है। जवान आदमी को धार्मिक बनाना जरा मुश्किल है; बूढ़े आदमी को धार्मिक बनने से बचाना बहुत मुश्किल है। और लोग कहते हैं कि अभी तुम्हारी उम्र नहीं धार्मिक होने की! उनका मतलब साफ है कि जरा भय बढ़ने दो, फिर तुम्हें अयभात हमलावों के |3071
SR No.002372
Book TitleTao Upnishad Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy