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________________ ताओ उपविषद भाग २ शैतान के आप परे कारखाने हैं। लेकिन फैक्टरी इतने दिनों से चल रही है कि उसके शोरगुल का पता नहीं चलता। जब बंद होती है, तब पता चलता है। मुश्किल में पड़ गया बोकोजू। लेकिन अब जा भी नहीं सकता, कुछ कर भी नहीं सकता, बैठा है, बैठा है, बैठा है। और ठीक वही घटना घटी, जो आनंद को उस झरने के किनारे घटी। साल पूरा होते-होते, बैठते-बैठते, बैठे-बैठे-बैठे वही-वही विचार कितनी बार सोचे? कोई उपाय नहीं। वे धीरे-धीरे विचार भी बासे पड़ गए। उनसे भी ऊब होने लगी। वे विचार भी धीरे-धीरे बह गए। मन शांत हो गया। एक दिन बोकोजू के गुरु ने कहा कि अब अगर तेरा इरादा हो, तो कुछ करने को बताऊं। उसने गुरु के चरण छुए और कहा कि बड़ी मुश्किल से करने से छूटा हूं। अब कृपा करिए। अब भूल कर भी कुछ करने को मत बताइए। बोकोजू के गुरु ने कहा, शांत नहीं होना है? बोकोजू ने कहा कि अब मैं समझ गया, अब मेरा मजाक मत करें। होने की कोशिश ही, कुछ भी होने की कोशिश अशांति है। होने की कोशिश ही, टु बी समथिंग, होने की कोशिश ही अशांति है। इसलिए शांत होने की कोई कोशिश जगत में नहीं हो सकती। अगर होने की कोशिश ही अशांति है, तो शांत होने की कोई कोशिश जगत में नहीं हो सकती। ' . फिर शांत होने का एक ही मतलब हुआ कि होने की सब कोशिश छुट गई हो, तो जो शेष रह जाता है, वह शांति है। लाओत्से कहता है, इस अशुद्धि और अशांति से भरे संसार में कौन विश्रांति को उपलब्ध होता है? जो ठहर कर, अपने में रुक कर, अपने में थिर होकर अशुद्धियों को बह जाने देता है। लड़ना मत भीतर की अशुद्धियों से। लेकिन समस्त धर्म, जैसा हम समझते हैं, ऐसा प्रतीत होता है कि कहता है लड़ो। लेकिन मैं आपसे कहता हूं कि धर्म को जिन्होंने भी जाना है, उन्होंने नहीं कहा कि लड़ो। क्योंकि लड़ कर कोई भी शांत नहीं हो सकता। और शांत हुए बिना कोई धार्मिक नहीं हो सकता। इसलिए कुछ वक्तव्य तो धार्मिक लोगों के इतने, इतने क्रांतिकारी हैं कि हम उन्हें पचा भी नहीं पाते। जीसस ने कहा है, रेसिस्ट नॉट ईविल–बुराई से मत लड़ना। ईसाइयत अभी तक नहीं पचा पाई-दो हजार साल होते हैं। कोई ईसाई चिंतक ठीक से यह बात नहीं कह पाया कि जीसस का क्या...। क्या कहते हैं जीसस, बुराई से मत लड़ो? तो क्रोध से न लड़ें? तो यौन से न लड़ें? तो लोभ से न लड़ें? ये शत्रु! मेरे पास लोग आते हैं और वे कहते हैं, इन चार शत्रुओं से छूटने का कोई उपाय बताएं। ये काम है, क्रोध है, लोभ है, मोह है, ये चार शत्रु। इनसे छूटने का कोई उपाय बताएं। कैसे इनको नष्ट करें? और जीसस कहते हैं, रेसिस्ट नॉट ईविल, बुराई से लड़ना मत। लाओत्से कहता है, ठहर जाना, बुराई को बह जाने देना। लड़े कि हारे। अगर जीतना हो, तो लड़ना ही मत।। लेकिन तथाकथित सतही धार्मिक चिंतन लोगों से कहता है कि दूसरे से भला मत लड़ो, लेकिन अपने से तो लड़ना ही पड़ेगा। लियो टाल्सटाय ने अपनी डायरी में लिखा है कि हे परमात्मा, दूसरों को मैं क्षमा कर सकू, ऐसा मुझे बल दे; और अपने को कभी क्षमा न कर सकू, ऐसा भी। यह सामान्य धार्मिक आदमी की बुद्धि है। दूसरे से तो नहीं लडूं, लेकिन अपने से तो लड़ना ही पड़ेगा। और जो लड़ेगा, वह आनंद की तरह धार में उतर गया झरने की। और गंदी हो जाएगी धार। इसलिए तथाकथित धार्मिक आदमियों के पास जैसी गंदी बुद्धि हो जाती है, वैसी गंदी बुद्धि अपराधियों के पास भी खोजनी मुश्किल है। सब तरफ उन्हें गंदगी का प्रोजेक्शन, गंदगी का विस्तार दिखाई पड़ने लगता है। कहीं भी, जहां उनकी आंख जाती है, वहीं उन्हें कुछ गंदगी दिखाई पड़ने लगती है। वह गंदगी उनके भीतर इकट्ठी हो गई है। और अब इतनी इकट्ठी हो गई है कि उसने बाहर भी विस्तार लेना शुरू कर दिया है। 232
SR No.002372
Book TitleTao Upnishad Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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