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________________ ताओ उपनिषद भाग २ लेकिन क्यों ऐसा होता है? ऐसा होने का कुल कारण इतना है कि आंख से जो शक्ति व्यय होती थी, वह दूसरी इंद्रियों को मिल जाती है, ट्रांसफर हो जाती है। अगर सभी इंद्रियां बंद कर दी जाएं और एक इंद्रिय शेष रह जाए, तो वह इंद्रिय इतनी तीव्र हो जाएगी कि जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। __इसीलिए पशुओं की इंद्रियां हमसे ज्यादा तीव्र हैं। क्योंकि उनके पास हमसे कम इंद्रियां हैं। जितना हम पशु जगत में पीछे लौटेंगे-अगर तीन इंद्रिय वाला पशु है, तो उसकी इंद्रियां हमसे तेज होंगी। अगर दो इंद्रिय वाला है, तो उसकी और तेज होंगी। अगर एक इंद्रिय वाला है, तो उस एक ही इंद्रिय से पांच इंद्रियों की सारी शक्ति उसकी बहती है। तो अमीबा है, जो कि सिर्फ स्पर्श करता है, उसके पास और कोई इंद्रिय नहीं। तो उसके स्पर्श का अनुभव हम कभी नहीं पा सकते कि वह स्पर्श कितनी प्रगाढ़ता से करता है। लेकिन आप कभी प्रयोग करें। कान बंद कर लें, आंख बंद कर लें, ओंठ बंद कर लें और फिर किसी को छुएं। तब आप पाएंगे कि आपके छूने में कुछ और ही अनुभव हो रहा है, आपके छूने में कोई नई विद्युत प्रवाहित हो गई है। अंधे आदमी की आंख की ताकत दूसरी इंद्रिय को मिल जाती है। यह मैं इसलिए कह रहा हूं कि हमारी जो इंद्रियां हैं, अगर ये बाहर नष्ट न हों, व्यतीत न हों, तो इनकी ताकत भीतर की इंद्रियों को मिल जाती है। अगर हम . बाहर की इंद्रियों का बहुत संयत उपयोग करें, दुरुपयोग न करें...। हम जो भी कर रहे हैं, वह दुरुपयोग है। रास्ते पर आप जा रहे हैं और दीवारों के पोस्टर पढ़ रहे हैं। अगर आप न पढ़ते होते, तो कोई मेहनत करके उन्हें लिखता भी नहीं। लिखने वाले भलीभांति जानते हैं कि यहां से गुजरने वाले न्यूरोटिक हैं, वे बिना पढ़े रह ही नहीं सकते। उनको पता है कि पागल गुजरते हैं यहां से, वे पढ़ेंगे ही। और आप अगर सोचते हों कि नहीं, हम चाहें तो नहीं पढ़ेंगे, तो आप कोशिश करके देखना। आप जितनी कोशिश करेंगे, पता चलेगा भीतर कोई पागल बैठा है, वह कहता है चूको मत, पता नहीं क्या लिखा हो, पढ़ ही लो! कुछ भी नहीं लिखा है, किसी को वोट देना है कि नहीं देना है, कोई साबुन बिकनी है कि नहीं, कि कोई फिल्म देखनी है कि नहीं, वह सब लिखा हुआ है। वह हजार दफे आपने देखा है, रोज उसी सड़क से निकले हैं। फिर आज देखेंगे, फिर आज पढ़ेंगे। अब तो पढ़ने की जरूरत भी नहीं पड़ती, देखा और पढ़ लिया जाता है। और आप आगे बढ़ जाते हैं। इतना अभ्यास है। लेकिन कभी आपने सोचा कि जो आप पढ़ रहे हैं, उसमें से कितना छोड़ा जा सकता है? जो आप सुन रहे हैं, उसमें से कितना छोड़ा जा सकता है? जो आप देख रहे हैं, उसमें से कितना कम देखें तो चल सकता है? ___अगर आप इस पर थोड़ा ध्यान करेंगे, तो आप पाएंगे, जो शक्ति आपकी बच जाएगी, वह आपकी भीतर की इंद्रिय को मिलनी शुरू हो जाएगी। अब एक आदमी मेरे पास आता है, वह कहता है, हम आंख बंद करके बैठते हैं, लेकिन भीतर कुछ दिखाई नहीं पड़ता। दिखाई पड़ने के लिए कुछ ऊर्जा भी बचनी चाहिए! चुक गए हैं बिलकुल, चला हुआ कारतूस जैसा होता है, वैसे हैं। अब बंदूक में भर कर उसको चला रहे हैं। वे कहते हैं, कुछ आवाज नहीं निकलती, धुआं तक नहीं निकलता। वह नहीं निकलेगा। चला हुआ कारतूस है, उसमें से क्या निकलेगा? हम सब करीब-करीब चले हुए कारतूस हो जाते हैं। इतना चला रहे हैं, उसमें कुछ बचता नहीं। थके-मांदे रात लौटते हैं, कहते हैं कि ध्यान करने बैठे हैं। एकाध दफे राम भी नहीं कह पाते कि नींद लग जाती है। सुबह कहते हैं, पता नहीं क्यों, जब भी ध्यान करते हैं तो नींद आ जाती है। आएगी ही। नींद भी आती है, यह भी चमत्कार है। इतनी भी शक्ति आपकी बच जाती है कि आप सो लेते हैं, यह भी काफी है। क्योंकि चिकित्सक कहते हैं, विशेषकर पूर्वीय चिकित्सक कहते हैं कि अक्सर अस्सी साल तक कोई आदमी जिंदा बच जाए, तो फिर मरना मुश्किल होता है। क्योंकि मरने के लिए भी एक खास शक्ति चाहिए, 104
SR No.002372
Book TitleTao Upnishad Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1995
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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