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________________ Download More Osho Books in Hindi Download Hindi PDF Books For Free ऊर्जा को हम पहचान लेते हैं, हम उसके मालिक हो जाते हैं। जिस शक्ति को हम जान लेते हैं, उसके हम मालिक हो जाते हैं। और जिस शक्ति को हम नहीं जानते, हम उसके गुलाम होते हैं। तो आप तकिए को अपनी प्रेयसी भी समझ सकते हैं। आप तकिए को कोहिनूर का हीरा भी समझ सकते हैं। आप तकिए को अपना दुश्मन भी समझ सकते हैं, जिसके सामने आप थर-थर कांप रहे हैं और भयभीत हो रहे हैं। इससे कोई सवाल नहीं है कि आप क्या ... । आपका जो लक्षण हो, उस लक्षण को पहचान लें। और उसे पहचान लेने में कठिनाई नहीं है। क्योंकि वह चौबीस घंटे आपके पीछे लगा हुआ है। वह आप भलीभांति जानते हैं कि आपका मूल लक्षण क्या है। एक ही होता है एक आदमी में मूल लक्षण, बाकी सब चीजें उससे जुड़ी होती हैं। अगर उसमें कामवासना मूल है, तो क्रोध, लोभ सब सेकेंडरी होंगे। अगर वह लोभ भी करेगा, तो कामवासना की पूर्ति के लिए। अगर वह क्रोध भी करेगा, तो कामवासना की पूर्ति के लिए। अगर वह भयभीत भी होगा, तो कामवासना में कोई बाधा न पड़ जाए इसलिए प्राइमरी, प्राथमिक कामवासना होगी, बाकी सब सेकेंडरी हो जाएंगे। अगर क्रोध आपका मूल है, तो आप किसी को प्रेम भी करेंगे तो इसीलिए ताकि आप क्रोध कर पाएं। आपकी कामवासना सेकेंडरी हो जाएगी, नंबर दो की हो जाएगी। वैसा आदमी लोगों से प्रेम करेगा इसलिए कि उन पर क्रोध कर सके। पर उसका मूल क्रोध हो जाएगा। वैसा आदमी लोभ भी करेगा, पैसा भी कमाएगा तो इसीलिए, ताकि जब वह क्रोध करे तो उसके पास ताकत हो। यह उसे चाहे पता हो या न हो पता, उसके पास धन बढ़ता जाएगा, उसी मात्रा में उसकी क्रोध की क्षमता बढ़ती जाएगी। और जिन-जिन के ऊपर उसके धन की ताकत होगी, उनकी गर्दन वह बिलकुल दबा देगा। वैसा आदमी अगर पद की इच्छा करेगा तो इसीलिए कि पद पर पहुंच कर वह क्रोध को पूरी तरह कर पाए। कई बार दिखाई नहीं पड़ता कि क्रोध कितना छिपा रहता है। विंस्टन चर्चिल की एक लड़की ने शादी की एक ऐसे युवक से, जिसको चर्चिल नहीं चाहता था कि वह शादी करे। बहुत क्रोध था मन में, पी गया। शादी हो गई। उस युवक को कभी उसने कहा भी नहीं कि मेरे मन में क्रोध है। उस बेचारे को कुछ पता भी नहीं। वह चर्चिल को पापा-पापा कह कर बात करता रहता। लेकिन चर्चिल को जब भी वह पापा कहता था, तो आग लग जाती थी। यह आदमी उसे पापा कहे, उसे बिलकुल बरदाश्त के बाहर था । दूसरे महायुद्ध के बाद एक दिन वह आया हुआ था दामाद और उसने चर्चिल से पूछा कि पापा, आप इस समय दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिज्ञ किसको मानते हैं? फिर उसे उसने पापा कहा, तो उसे बहुत बेचैनी हो गई। उसने कहा कि मैं मुसोलिनी को सबसे बड़ा राजनीतिज्ञ मानता हूं। तो जरा उसका दामाद हैरान हुआ। क्योंकि चर्चिल अपने दुश्मन को और मुसोलिनी को कहेगा ! और जब कि दुनिया में बड़े लोग थे। रुजवेल्ट था और स्टैलिन थे और हिटलर थे; तब मुसोलिनी पर एकदम से नजर जाएगी उसकी ! और चर्चिल खुद कोई मुसोलिनी से कम आदमी नहीं था, ज्यादा ही आदमी था । तो उसने पूछा, मैं समझा नहीं कि आप मुसोलिनी को क्यों...? तब चर्चिल एकदम चौंका, पर उसने कहा कि जाने भी दो। पर उसके दामाद ने जिद्द पकड़ी कि नहीं, मुझे बताइए कि क्यों ? तो उसने कहा, अब तू नहीं मानता तो मैं कहता हूं। मैं मुसोलिनी को इसलिए बड़ा राजनीतिज्ञ कह पाया, क्योंकि उसमें इतनी हिम्मत थी कि अपने दामाद को गोली मार दे। और कोई कारण नहीं है उसमें उस वक्त मेरे मन में तुझे गोली मारने का एकदम हो रहा था, कि पापा जब तू कहता है, पापा, तब मुझे लगता है कि गोली मार दूं। लेकिन आई हैव नॉट दि गट्स। मुसोलिनी में गट्स थे, अपने दामाद को उसने गोली मार दी। इसलिए उसको मैं बड़ा भारी आदमी मानता हूं। मुझमें उतने गट्स नहीं हैं। हमारे दिमाग में पर्तें हैं। छिपाए चले जाते हैं, दबाए चले जाते हैं। कभी उखड़ आती हैं, कभी निकल आती हैं, कभी दिखाई पड़ जाती हैं। कभी जीवन भर भी हम छिपाए चले जाते हैं। कई दफे ऐसा भी होता है कि आदमी समझता है कुछ और मुझमें ज्यादा है, कुछ होता और ज्यादा है। तो पहचान पहली तो जरूरी यह है कि अपना थोड़ा निरीक्षण करें। एक महीने डायरी रखें। रोज लिखें कि आप रोज क्या कर रहे हैं। सर्वाधिक? तीन बातों से पहचान करें। सर्वाधिक पुनरावृत्ति किस वृत्ति की होती है? लोभ की, काम की, भय की, क्रोध की, किसकी ? सर्वाधिक आवृत्ति किसकी होती है चौबीस घंटे में? फिर जिस चीज की आवृत्ति सर्वाधिक होती है, साथ में यह भी देखें: उसमें, उसकी आवृत्ति में सर्वाधिक रस आता है? और यह भी देखें कि रस के होने के दो ढंग हैं: उसमें मजा भी आ सकता है, उसमें पश्चात्ताप भी हो सकता है। लेकिन दोनों हालत में रस होता है। इस पुस्तक का श्रेय जाता है रामेन्द्र जी को जिन्होंने आर्थिक रूप से हमारी सहायता की, आप भी हमारी सहायता कर सकते हैं - देखें आखिरी पेज
SR No.002371
Book TitleTao Upnishad Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages285
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, K000, & K999
File Size4 MB
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