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तो वही है, वह चाहे क्रिएशन बने और चाहे डिस्ट्रक्शन बने। शक्ति तो वही है, चाहे सृजन हो, चाहे विनाश हो। जिन लोगों ने मां की धारणा के साथ सृष्टि और विनाश, दोनों को एक साथ सोचा था, उनकी दूरगामी कल्पना है। लेकिन बड़ी गहन और सत्य के बड़े निकट!
लाओत्से कहता है, स्वर्ग और पृथ्वी का मूल स्रोत वहीं है। वहीं से सब पैदा होता है। लेकिन ध्यान रहे, जो मूल स्रोत होता है, वहीं सब चीजें लीन हो जाती हैं। वह अंतिम स्रोत भी वही होता है।
“यह सर्वथा अविच्छिन्न है।'
यह जो स्त्रैण अस्तित्व है, यह जो पैसिव अस्तित्व है, यह जो प्रतीक्षा करता हुआ शून्य अस्तित्व है, इसमें कभी कोई खंड नहीं पड़ते। अविच्छिन्न है, कंटीन्युअस है, इसमें कोई डिसकंटीन्यूटी नहीं होती। जैसा मैंने कहा, दीया जलता है, बुझ जाता है; अंधेरा अविच्छिन्न है। जन्म आता है, जीवन दिखता है; मृत्यु अविच्छिन्न है। वह चलती चली जाती है। पहाड़ बनते हैं, मिट जाते हैं; घाटियां अविच्छिन्न हैं। पहाड़ होते हैं, तो वे दिखाई पड़ती हैं; पहाड़ नहीं होते, तो वे दिखाई नहीं पड़ती। लेकिन उनका होना अविच्छिन्न है।
“सर्वथा अविच्छिन्न है। इसकी शक्ति अखंड है।'
कितनी ही शक्ति इस शून्य से निकाली जाए, वह चुकती नहीं है, वह समाप्त नहीं होती है। पुरुष चुक जाता है, स्त्री चुकती नहीं है। पुरुष क्षीण हो जाता है, स्त्री क्षीण नहीं होती।
साधारणतया जिसे हम स्त्री कहते हैं, वह भी पुरुष से कम क्षीण होती है। और अगर किसी स्त्री को स्त्रैण होने का पूरा राज मिल जाए, तो वह अपने वार्धक्य तक अपरिसीम सौंदर्य में प्रतिष्ठित रह सकती है। पुरुष का रहना बहुत मुश्किल है। पुरुष तूफान की तरह आता है और विदा हो जाता है। स्त्री को अगर उसका ठीक मातृत्व मिल जाए, तो वह अंतिम क्षण तक सुंदर हो सकती है। और पुरुष भी अंतिम क्षण तक तभी सुंदर हो पाता है, जब वह स्त्रैण रहस्य में प्रवेश कर जाता है। कभी! कभी-कभी ऐसा होता है।
इसलिए मैं एक दूसरा प्रतीक आपसे कहूं। हमने बुद्ध, राम, कृष्ण या महावीर के बुढ़ापे के कोई भी चित्र नहीं बनाए हैं। सब चित्र युवा
यह बात एकदम झूठ है। क्योंकि महावीर अस्सी वर्ष के होकर मरते हैं; बुद्ध अस्सी वर्ष के होकर मरते हैं; राम भी बूढ़े होते हैं, कृष्ण भी बूढ़े होते हैं। लेकिन चित्र हमारे पास युवा हैं। कोई बूढ़ा चित्र हमारे पास नहीं है। वह जान कर; वह प्रतीकात्मक है।
असल में, जो व्यक्ति इतना लीन हो गया अस्तित्व के साथ, हम मानते हैं, अब वह सदा ही यंग और फ्रेश, ताजा और युवा बना रहेगा। भीतर उसके युवा होने का सतत सूत्र मिल गया। अब वह अविच्छिन्न रूप से, अखंड रूप से अपनी शक्ति में ठहरा रहेगा।
“इसका उपयोग करो।'
लाओत्से कहता है, इस अखंड शक्ति का उपयोग करो। इस स्त्रैण रहस्य का उपयोग करो।
“और इसकी सहज सेवा उपलब्ध होती है।'
तुम्हें पता भर होना चाहिए, हाऊ टु यूज इट; एंड यू गेट इट। सिर्फ पता होना चाहिए, कैसे उपयोग करो; और सहज सेवा उपलब्ध होती है। क्योंकि यह द्वार जो है स्त्रैण, यह तैयार ही है अपने को देने को; तुम भर लेने को राजी हो जाओ।
“यूज जेंटली एंड विदाउट दि टच ऑफ पेन, लांग एंड अनब्रोकेन डज इट्स पावर रिमेन।'
थोड़ी भद्रता से, यूज जेंटली, थोड़े भद्र रूप से इसका उपयोग करो।
ध्यान रहे, जितने आप भद्र होंगे, उतने आप स्त्रैण हो जाएंगे। जितने आप पुरुष होंगे, उतने अभद्र हो जाएंगे। इसलिए अगर पुरुष बहुत भद्र होने की कोशिश करेगा, तो उसमें पुरुष का तत्व कम होने लगेगा। इसलिए एक बड़ी अदभुत बात घटती है; जैसे अमरीका में आज हुआ है। आज अमरीका में नीग्रो, काली चमड़ी वाले आदमी से सफेद चमड़ी वाले आदमी को जो भय है, वह भय सिर्फ आर्थिक नहीं है, वह भय सेक्सुअल और भी ज्यादा है। सफेद चमड़ी का आदमी इतना भद्र हो गया है कि वह जानता है कि अब सेक्सुअली अगर नीग्रो और उसके सामने चुनाव हो, तो उसकी पत्नी नीग्रो को चुनेगी। जो घबड़ाहट पैदा हो गई है, वह घबड़ाहट यह है। क्योंकि वह नीग्रो ज्यादा पोटेंशियली सेक्सुअल मालूम पड़ता है। वह अभद्र है, जंगली है। जंगली पुरुष में एक तरह का आकर्षण होता है पुरुष का। वाइल्ड, तो एक रोमांटिक, एक रोमांचकारी बात हो जाती है। बिलकुल भद्र पुरुष को...बिलकुल भद्र पुरुष स्त्रैण हो जाता है।
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