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________________ Download More Osho Books in Hindi Download Hindi PDF Books For Free अपनी बालटी लेकर चले गए थे। वह आधी रात उठ कर कुएं पर पहुंचा, देखा कि जा चुका है। नसरुद्दीन के घर पहुंचा, देखा कि वह सो रहा है। उसे उठाया और कहा कि क्या हुआ? वह बालटी भरी कि नहीं? नसरुद्दीन ने कहा, पागल, वह तेरे लिए रखी थी। हम अपने मन को भर रहे हैं जन्मों-जन्मों से और जन्मों को छोड़ दें, क्योंकि इतना पुराना है, वह हमें भूल गया। इस जन्म में भी हम भर रहे हैं। कभी खयाल किया कि जिस चीज से आपने भरा है, उसमें से रत्ती भर भी भीतर बचा है? कितनी बार क्रोध किया, कितना बचा है? कितनी बार भोग किया, कितना बचा है? क्या-क्या किया, उसमें से बचा क्या है? आपकी संपदा क्या है उसमें से? बालटी खाली है। और हम पूछते हैं कि बालटी को खाली कैसे करें? मजा यह है कि बालटी खाली है। वह भरी ही नहीं है। आपको खाली करने की जरूरत नहीं है। कृपा करके आप उसे भरने की जो पागलपन में लगे हैं, देख ही नहीं रहे हैं खाली बालटी की तरफ, कुएं में डाल रहे हैं, भर रहे हैं, डाल रहे हैं...। जैसे नसरुद्दीन किसी से पूछे कि यह जो ड्रम रखा है कुएं के पाट पर, इसको खाली कैसे करें, वैसे ही हमारा पूछना है। मन भरा कहां है ? किसको खाली करने की बात है? मन खाली है। लेकिन इतने जोर से हम भरते चले जाते हैं कि पता ही नहीं चलता कि यह मन खाली है। इस भरने पर थोड़ा ध्यान रखें। और जो-जो भरा हो अब तक और कुछ भी न भर पाया हो, उससे थोड़े सजग हों। एक चौबीस घंटे के लिए कोई राजी हो जाए कि नहीं भरूंगा ! वह पाएगा, यह मन सदा से खाली है, इसमें कभी कुछ भरा ही नहीं जा सका है। तो उलटा मत पूछें। गलत सवाल न उठाएं। गलत सवाल गलत जवाबों में ले जाते हैं। ठीक सवाल ठीक जवाब में ले जाता है। ठीक सवाल यह है कि हम जो भर रहे हैं, यह कैसे न भरें? और कैसे न भरें का इतना ही मतलब है, थोड़ा सजग हो जाएं। अगर आपको पता चल जाए कि यह ड्रम दोनों तरफ से टूटा है, तो फिर आप भरेंगे? हाथ से बालटी छूट जाएगी; हंसेंगे और घर लौट जाएंगे। उस शून्य को लाना नहीं है, वह शून्य हमारे भीतर है। चमत्कार तो यह है कि हमने उस शून्य को भी भरा हुआ जैसा बना रखा है। ऐसा लगता है कि सब भरा हुआ है। इस भ्रम के प्रति जागना पर्याप्त है। कुछ और सवाल रह गए हैं। अगली बार जब बैठक होगी तब उनको चर्चा कर लेंगे। इस पुस्तक का श्रेय जाता है रामेन्द्र जी को जिन्होंने आर्थिक रूप से हमारी सहायता की, आप भी हमारी सहायता कर सकते हैं देखें आखिरी पेज
SR No.002371
Book TitleTao Upnishad Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages285
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, K000, & K999
File Size4 MB
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