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________________ Download More Osho Books in Hindi Download Hindi PDF Books For Free सोचा था, नसरुद्दीन घबड़ा जाएगा। नसरुद्दीन ने कहा, कोई हर्ज नहीं। एक कलम-कागज ले आओ। कलम-कागज! सोचा डाक्टर ने कि शायद वसीयत लिखता होगा; या सोचा कि शायद मित्रों को, पत्नियों को चिट्ठी-पत्री लिखता होगा। लेकिन चेहरे पर कोई चिंता नहीं है, कोई घबड़ाहट नहीं है। कागज-कलम दे दिया। नसरुद्दीन जब लिखने लगा, तो घंटे भर तक सिर न उठाया। डाक्टर भी हैरान हुआ कि कितना लिख रहा है! जब लिख कर सिर उठाया, डाक्टर ने पूछा, क्या वसीयत लिख रहे हैं इतनी बड़ी? या पत्र लिख रहे हैं घर? नसरुद्दीन ने कहा कि नहीं, मैं उन लोगों के नाम लिख रहा हूं, जिनको काटूंगा। पागल हो जाऊंगा न! लिस्ट बना रहा हूं। एक दफा पागल हो गए, फिर लिस्ट न बना पाए। जब पागल होने ही जा रहे हैं! और उसने डाक्टर से कहा, डोंट फील जेलस, यू विल नॉट बी डिप्राइव्ड। तुम्हारा नाम इसमें मैंने रखा है। पहला नंबर तुम्हारा ही रखा है। यह जो नसरुद्दीन है, यह आदमी के भीतर की बड़ा ठीक खबर देने वाला आदमी है। अगर पागल कुत्ता काट जाए, तो पहले यही खयाल आएगा कि किसको काटें। अब जो हो गया, हो गया। किसको काटें? मरते दम तक वासना निर्मित होती चली जाती है। क्या कर लेना है अब? उसकी योजना बना लो; वह लिस्ट तैयार कर रहा है। वक्त रहते लिस्ट तो तैयार कर लो। भरने की तरफ खयाल रखें कि हम प्रतिपल भर रहे हैं। और जितना सजग हो जाएंगे भरने के प्रति, उतना ही धीरे-धीरे पाएंगे कि भरना बिलकुल फिजूल है। जिंदगी भर भर कर तो भर नहीं पाए! अनेक जन्मों भर कर नहीं भर पाए! इधर से भरते हैं, इधर से सब निकल जाता है। लेकिन भरने का भ्रम कभी छुटता नहीं, क्योंकि भरने पर हम ध्यान ही नहीं देते। नसरुद्दीन की एक कहानी और। फिर मैं बात पूरी करूं। एक युवक उसके पास आया है और उसने कहा कि कैसे कहते हो नसरुद्दीन कि मन को खाली करें? कैसे? नसरुद्दीन ने कहा कि अभी तो मैं कुएं पर पानी भरने जा रहा हूं, तू मेरे पीछे आ, और बीच में सवाल मत पूछना। अगर सवाल पूछा, तो भगा दूंगा। लौट कर जवाब दूंगा। नसरुद्दीन ने दो बालटियां उठाई और भागा कुएं पर। वह युवक साथ-साथ गया। नसरुद्दीन ने एक बालटी तो रखी कुएं के पाट पर। युवक थोड़ा हैरान हुआ, जब उसने बालटी को रखा जाते देखा। देखा कि उसमें कोई नीचे तलहटी थी ही नहीं। खाली ड्रम था। दोनों तरफ कुछ न था। पर उसने कहा कि इस मूरख ने कहा है कि बीच में सवाल न पूछना। फंस गए! यह तो कभी भरने वाली नहीं है। अब बुरे फंस गए। और जब तक, यह बोलता है, भर न जाए, घर न लौटूं, तब तक सवाल-जवाब कुछ होगा नहीं। और यह कब भरेगी? यह भर ही नहीं सकती। मगर उसने सोचा, थोड़ा तो साहस रखो। एक मिनट, दो मिनट देखो तो, यह करता क्या है। नसरुद्दीन ने नीचे बालटी डाली। पानी खींच कर उस खाली ड्रम में डाला। जब तक उन्होंने डाला, तब तक वह निकल गया। उन्होंने दूसरी बालटी नीचे डाली। दोतीन बालटी निकल चुकीं। उस युवक ने कहा कि ठहरो महानुभाव, अब मुझे पूछना भी नहीं है। अगर आप जवाब भी देते हों लौट कर, हमको पूछना नहीं है। लेकिन एक सलाह आपको दे दें। नसरुद्दीन ने कहा कि चुप! अक्सर मैं देखता हूं कि जो लोग सीखने आते हैं, वे जल्दी से सिखाना शुरू कर देते हैं। यू केम एज ए डिसाइपल एंड नाऊ यू हैव बिकम मास्टर। अब तुम हमको एडवाइस दे रहे हो। गुस्ताख, इस तरह की बात दुबारा नहीं करना। खड़ा रह अपनी जगह पर! उस आदमी ने कहा कि लेकिन यह भरेगी कब, जरा खयाल तो करिए! आप तीन बालटियां डाल चुके हैं। कुछ भी पानी एक बूंद नहीं बचा है। नसरुद्दीन ने कहा कि दुनिया में जब कोई भी खयाल नहीं कर रहा है, तो मैंने ही ठेका लिया है गलत बातों का खयाल करने का? जन्म-जन्म से भर रहे हैं लोग, और नहीं भरा। और खयाल नहीं कर रहे हैं। तो हमने तो अभी तीन ही बालटी डाली हैं। ऐसा तो कुछ...| तू चुप रह! वह थोड़ी देर और खड़ा रहा। नसरुद्दीन ने और दस-पांच बालटियां डालीं। उसने कहा कि थोड़ा तो खयाल करिए। एक सीमा होती है। जरा ऊपर नजर तो डालिए। नसरुद्दीन ने कहा कि मुझे इससे प्रयोजन नहीं है कि बालटी भरती है या नहीं भरती है। मैं अपना पुरुषार्थ पूरा करके रहूंगा। हम भर कर रहेंगे। हम बालटी से पूछने नहीं जाएंगे। हम तो भर कर रहेंगे। हमारा काम भरना है। बालटी न भरेगी? देखें, कैसे नहीं भरती है! उस युवक ने कहा, मैं जाता हं, नमस्कार! वह चला गया। लेकिन रात उसे नींद न आई कि यह आदमी! क्या मतलब रहा होगा इसका? बार-बार जितना सोचा, उतना उसे लगा कि भूल हो गई। थोड़ा रुकना था। पता नहीं, वह अभी भी भर रहा है या क्या कर रहा है? वह तो जैसे ही वह आदमी गया था, नसरुददीन अपने घर इस पुस्तक का श्रेय जाता है रामेन्द्र जी को जिन्होंने आर्थिक रूप से हमारी सहायता की, आप भी हमारी सहायता कर सकते हैं -देखें आखिरी पेज
SR No.002371
Book TitleTao Upnishad Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages285
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, K000, & K999
File Size4 MB
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