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तो उस गाइड ने कहा कि ढाई हजार साल से इस मुल्क में एक खयाल है कि जो पहले हमला करे, वह कमजोर, वह हार गया। तो ये दोनों प्रतीक्षा कर रहे हैं। जो पहले हमला करे, वह कमजोर, वह हार गया। उसने काबू पहले खो दिया। वह कमजोरी का लक्षण है। तो यह सब भीड़ भी खड़े होकर यह देख रही है कि देखें, कौन हारता है। और हार का लक्षण यह हुआ कि हमला हुआ कि भीड़ हट जाएगी। बात खत्म हो गई। फलां आदमी हार गया, जिसने हमला किया पहले। और ये दोनों एक-दूसरे को उकसा रहे हैं कि हमला करो। अब इसमें कौन हारता है, यह देखना है। और हार का बड़ा अजीब सूत्र है: वह जो हमला करेगा, वह हार गया।
यह लाओत्से की धारणा है कि कमजोर हमला पहले कर देता है।
मैंने कल मैक्यावेली का नाम लिया आपसे। और मैक्यावेली और लाओत्से में बड़ी समानांतर बातें हैं। मैक्यावेली कहता है, सुरक्षा का सबसे बड़ा उपाय पहले हमला कर देना है-दि बेस्ट वे टु डिफेंड इज़ टु अटैक फर्स्ट। अगर सुरक्षा चाहते हो, तो पहले ही हमला कर दो।
वह ठीक कह रहा है। वह ठीक इसलिए कह रहा है कि इतनी देर मत करो, हमला पहले ही कर दो। अगर कमजोर भी पहले हमला कर दे, मैक्यावेली के हिसाब से, तो उसके जीतने की संभावना बन जाएगी। वह आगे हो गया। और मैक्यावेली जो संदेश दे रहा है, वह कमजोरों के लिए दे रहा है। असल में, सुरक्षा कमजोर के लिए ही खयाल है।
लाओत्से कहता है कि हमला आए, तो पी जाओ। हमला करने का तो सवाल ही नहीं; पहले क्या, पीछे भी करने का सवाल नहीं है। उसे आत्मलीन कर लेना है।
ऐसा हो सके कि शरीर हो स्वस्थ, मन हो शून्य, हड्डियां हों मजबूत, मकान की दीवारें हो सुदृढ़ और भीतर मालिक हो जैसे नहीं है, तो लाओत्से कहता है, परफेक्ट मैन, पूर्ण आदमी का जन्म होता है, पूर्ण मनुष्य का जन्म होता है।
यह धारणा उलटी है। हमारे सब के हिसाब में यह धारणा उलटी है। और यह उलटी इसलिए दिखाई पड़ती रहेगी कि हमारे सोचने के सारे मापदंड लाओत्से से बिलकुल विपरीत हैं। हम कहेंगे, यह कमजोरी है, कायरता है कि कोई हमला करे और तुम जवाब न दो। हम कहेंगे, यह कायरता है कि कोई हमला करे और तुम जवाब न दो, जिंदगी पुकारे लड़ाई के लिए और तुम खड़े रह जाओ, कि तूफान चुनौती दें और तुम लेट जाओ, कि नदी बहाने लगे तुम्हें और तुम बह जाओ और उलटे न बहो।
नसरुद्दीन को खबर दी है उसके घर के आस-पास के पड़ोसियों ने कि तू भाग जल्दी, तेरी पत्नी नदी में गिर पड़ी है! पूर है तेज, वर्षा के हैं दिन.धार है कड़ी और डर है कि पत्नी शीघ्र ही सागर में पहंच जाएगी। तू भाग!
नसरुद्दीन भागा। तट पर बहुत भीड़ इकट्ठी हो गई। वह नदी में कूदा और उलटी धार की तरफ तैरने लगा। उलटी तरफ! सागर की तरफ दौड़ रही है नदी, वह उलटी तरफ, नदी के उदगम की तरफ जोर से तैरने लगा। तेज है धार, तैर भी नहीं पा रहा। लोगों ने चिल्लाया, पागल नसरुद्दीन, कोई नदी में गिर जाए, तो उलटी तरफ नहीं बहता। तेरी पत्नी नीचे की तरफ गई होगी! उन्होंने कहा कि माफ करो, मेरी पत्नी को मैं तुमसे अच्छी तरह जानता हूं। वह सदा उलटे काम करती रही है। वह कभी नीचे की तरफ नहीं बह सकती। उसे मैं भलीभांति पहचानता हूं। तीस साल का हमारा-उसका सत्संग है। अगर तुम यह कहते हो कि सभी लोग नदी में गिर कर नीचे की तरफ बहते हैं, तो मेरी पत्नी ऊपर की तरफ बही होगी।
लाओत्से और हमारे बीच ऐसे ही उलटे नाते हैं। इसलिए लाओत्से को समझना मुश्किल हो जाता है। लाओत्से को समझना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि हमारे तर्क की व्यवस्था में और उसकी तर्क की व्यवस्था में बड़ा उलटापन है। हम कहते हैं कायरता, और लाओत्से कहता है शक्ति। वह कहता है, जितनी बड़ी शक्ति है, उतनी ही लड?ने की आतुरता कम होगी। अगर शक्ति पूर्ण है, तो लड़ाई होगी ही नहीं।
ऐसा समझें हम, परमात्मा के द्वार पर जाकर हम गाली दे रहे हैं। कोई उत्तर नहीं मिलता। और नास्तिक हजारों साल से खंडन करते रहे हैं। एक भी बार ऐसा नहीं हुआ कि परमात्मा एकाध बार तो कह देता कि मैं हूं। इतने दिन से लंबा विवाद चलता है। एकाध बार तो उसको इतना तो खयाल आ जाना चाहिए था कि यह बड़ी कायरता होगी, एक दफे तो कह दूं कि मैं हूं। नहीं, वह चुप है।
लाओत्से कहता है, वह इसलिए चुप है कि वह परम शक्ति है। प्रतिरोध वहां नहीं है। अगर नास्तिक कहता है, तुम नहीं हो, तो परमात्मा से भी प्रतिध्वनि आती है कि नहीं हूं। कोआपरेट कर जाता है, उसके साथ भी सहयोग कर देता है। उससे भी विरोध नहीं है। जितनी बड़ी ऊर्जा, उतना ही प्रतिरोध नहीं होता।
सुना है मैंने, एक स्कूल में एक पादरी बच्चों को बाइबिल का पाठ सिखा रहा है। और उनसे कह रहा है कि कल मैंने तुम्हें क्षमा के लिए सारी बातें समझाई थीं। अगर कोई तुम्हें मारे, तो तुम उसे क्षमा कर सकोगे? एक छोटे से लड़के को उसने खड़े करके पूछा कि तेरा क्या खयाल है? अगर कोई लड़का तुझे घूसा मार दे, तो तू उसे क्षमा कर सकेगा? उस लड़के ने कहा, कर तो सकूँगा, अगर वह मुझसे बड़ा हो। उसने कहा, कर तो सकूँगा, अगर वह मुझसे बड़ा हो। छोटे को करना जरा मुश्किल पड़ जाएगा।
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